16 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से अलग भारत की रूस ईरान व चीन के राष्ट्रअध्यक्षों से द्विपक्षीय वार्ता के दूरगामीं सकारात्मक नतीजे शीघ्र मिलने की संभावना -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

asiakhabar.com | October 23, 2024 | 4:20 pm IST

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर करीब करीब सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिसमें भारत उस मंच का सदस्य है या नहीं, उसकी उपस्थिति कों नजरअंदाज नहीं किया जा सकता! जिसका सदस्य है,वहां तो अपनी बौद्धिक क्षमता का आगाज़ करता ही है,परंतु जिसमें सदस्य नहीं है उसमें भी बतौर अतिथि आमंत्रित किया जाता है। अभी हाल ही में इस्लामाबाद पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन में भारत ने उनके घर में ही यानें मेजबानी में पारदर्शिता से खरी-खरी सुनाई। आज हम इस विषय पर इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि कज़ान रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22-24 अक्टूबर 2024 शुरू है,भारतीय पीएम 22 अक्टूबर 2024 को कैज़ान पहुंचे जहां उनका जोरदार ढंग से स्वागत किया गया।परंतु इस 16 वें शिखर सम्मेलन के बीच जहां एक और रूस-यूक्रेन व इजरायल-हमास -ईरान युद्ध अपने चरम स्तरपर है वहीं भारतीय पीएम के ब्रिक्स से अलग एक द्विपक्षीय बातचीत रूस ईरान तथा विशेष रूप से 23 अगस्त 2024 को चीन के साथ करना इसकी अद्भुत विशेषता को रेखांकित करता है, क्योंकि दुनियाँ जानती है भारत शांति कायम रखने में विश्वास रखता रखता है व उसे इसमें महारत हासिल है, ऐसे वक्त में इन तीनों देशों से अलग-अलग बातचीत करना विशेष बात है, क्योंकि स्वाभाविक ही है युद्ध को रोकने संबंधी बातचीत की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता जो कि प्रेस रिलीज में नहीं आई है, परंतु इतना हम समझ सकते हैं कि अब वैश्विक शांति की उम्मीद बढ़ गई है।यानें 16 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का सकारात्मक आगाज़ होगा व विशेष रूप से 4 वर्षों के बाद चीनी राष्ट्रपति से भारतीय पीएम के द्विपक्षीय वार्ता का सकारात्मक परिणाम का अंजाम मील का पत्थर साबित होगा इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,16 वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन व भारत की ईरान रूस व चीन से द्विपक्षीय वार्ता का ऐतिहासिक नतीज़े का आगाज़।
साथियों बात अगर हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन केज़ान रूस 22-24 अक्टूबर 2024 की करें तो, यह अंग्रेजी अक्षरों बीआरआईसीएस से बना है। ब्रिक्स दुनियाँ की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। जैसा कि नाम से अनुमान लगाया जा सकता है, ये देश हैं – ब्राजील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। ब्रिक्स के विचार की परिकल्पना वर्ष 2001 में की गई थी, जो 2006 में ब्रिक के रूप में सामने आई और 2010 में जब इस समूह में दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ, तो यह ब्रिक्स बन गया। अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका में हुए 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णय के अनुसार अब समूह में 10 देश शामिल हैं। मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात नए पूर्ण सदस्य के रूप में ब्रिक्स में शामिल हुए हैं। ब्रिक्स आज दुनिया की 43 प्रतिशत आबादी, दुनिया के 32 प्रतिशत भूमि क्षेत्र, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 35 प्रतिशत और विश्व निर्यात का 20 प्रतिशत कवर करता है। समूह के अनुसार, यह पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग विकसित करने के अवसर प्रदान करता है जो देशों के सतत विकास और वृद्धि में योगदान देता है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 22 अक्टूबर 2024 को भारतीय पीएम और रूसी राष्ट्रपति की द्विपक्षीय वार्ता की करें तो,बता दें कि इससे पहले भारतीयपीएम ने मंगलवार को कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर पहले रूसी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। इस दौरान पीएम ने रूसी राष्ट्रपति के साथ बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जाना चाहिए और भारत इसके लिए हर संभव सहयोग देने को तैयार है।पीएम ने टेलीविजन पर प्रसारित अपनी शुरुआती टिप्पणी में पुतिन से कहा कि भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता की शीघ्र बहालीका पूर्ण समर्थन करता है। आगे कहा कि पिछले तीन महीनों में रूस की उनकी दूसरी यात्रा दोनों देशों के बीच घनिष्ठ तालमेल और गहरे विश्वास को दर्शाती है।पीएम ने कहा,हम रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के मुद्दे पर लगातार संपर्क में हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा, हमारा मानना ​​है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए। इसके बाद पीएम ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से मुलाकात की। ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच पेजेशकियन ने पश्चिम एशिया में शांति की आवश्यकता पर बल दिया तथा सभी पक्षों के साथ अपने अच्छे संबंधों के कारण संघर्ष को कम करने में भारत की भूमिका पर जोर दिया।
साथियों बात अगर हम 22 सितंबर 2024 को ईरान व भारत की द्विपक्षीय वार्ता की करें तो, पीएम ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर ईरान के राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस साल जुलाई में वें के ईरान के राष्ट्रपति बनने के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री से भी मुलाकात की। उन्होंने चाबहार बंदरगाह, लोगों के बीच संपर्क, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान में स्थिरता और सुरक्षा और यूक्रेन संघर्ष सहित कई विषयों पर चर्चा की।भारत और ईरान महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदारभारत और ईरान के बीच लंबे समय से सभ्यतागत संबंध हैं। ईरान भारत के विस्तारित पड़ोस में स्थित है और दोनों देशों के आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण समानताएं हैं। भारत और ईरान महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार हैं।भारतीय विदेश मंत्री ने जनवरी 2024 में ईरान का दौरा किया। सितंबर 2023 में ब्रिक्स में शामिल होने के बाद यह उनकी पहली ईरान यात्रा थी।इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती शत्रुता पर गंभीर रूप से चिंतित भारत ने इस महीने की शुरुआत में पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति के बढ़ने पर अपनी चिंता व्यक्त की थी और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान दोहराया था। इस साल अप्रैल में एक बयान में भारत ने कहा था कि वह इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती शत्रुता पर गंभीर रूप से चिंतित है, जो क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।इसने तत्काल तनाव कम करने, संयम बरतने,हिंसा से पीछे हटने औरकूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। बैठक में पीएम मोदी और प्रेसिडेंट पेजेश्कियान के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई और दोनों पक्षों ने इसे सार्थक चर्चा कहा है।
साथियों बात अगर हम विशेष रूप से भारतीय पीएम और चीन के राष्ट्रपति की द्विपक्षीय वार्ता की करें तोपीएम बुधवार को रूस के कज़ान में ब्रिक्स समिट के दौरान चीनी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक की,यह दोनों नेताओं के बीच पांच वर्षों में पहली औपचारिक मुलाकात थीकज़ान में मंगलवार शाम को एक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव ने पुष्टि की कि यह बैठक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, इस बैठक को लेकर यह उम्मीद की जा रही है कि यह दोनों देशों के बीच रिश्तों को सुदृढ़ करने और विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगी।दोनों शीर्ष नेताओं की मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जबकि भारत ने सोमवार को घोषणा की कि दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में अपने गतिरोध को सुलझाने के लिए एक समझौता किया है। विदेश सचिव ने कहा,पिछले कुछ हफ्तों में, भारतीय और चीनी कूटनीतिक तथा सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर आपस में निकट संपर्क में रहे हैं।इन चर्चाओं के परिणाम स्वरूप पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पेट्रोलिंग व्यवस्थाओं के लिए एक समझौता किया गया है, जिससे सैनिकों की वापसी और 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न समस्याओं का समाधान होगायह समझौता पीएम के कज़ान जाने से पहले की गई घोषणा है, और इसे दोनों देशों के संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। चीन ने भी पूर्वी लद्दाख में उसकी और भारत की सेनाओं के बीच गतिरोध समाप्त करने के लिए नई दिल्ली के साथ समझौता होने की मंगलवार को पुष्टि की,चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा भारत और चीन दोनों देशों की सीमा से संबंधित मुद्दों पर राजनयिक और सैन्य माध्यमों के जरिए निकट संपर्क में रहे हैं,उन्होंने कहा,अब दोनों पक्ष प्रासंगिक मामलों पर एक समाधान पर पहुंच गए हैं जिसकी चीन बहुत सराहना करता है। जियान ने कहा कि चीन इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा,हालांकि, उन्होंने इस संबंध में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 16वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22-24 अक्टूबर केज़ान रूस के ऐतिहासिक नतीज़ों का आगाज़।ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से अलग 4 वर्षों के बाद भारत चीन व राष्ट्रअध्यक्षों की द्विपक्षीय वार्ता परिणामों पर दुनियाँ की नज़रें।16 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से अलग भारत की रूस ईरान व चीन के राष्ट्रअध्यक्षों से द्विपक्षीय वार्ता के दूरगामीं सकारात्मक नतीजे शीघ्र मिलने की संभावना है।


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