संयोग गुप्ता
राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आधारशिला रखने के साथ क्या यह चुनावी
मुद्दा भी बनेगा। देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले के बावजूद क्या इसके सियासी महत्त्व और
उससे जुड़े हितों से इनकार किया जा सकता है… या फिर सालों से विवादित इस मुद्दे का पटाक्षेप मंदिर निर्माण
शुरू होने के साथ हो जाएगा। तो फिर किसी भी राजनीतिक दल के लिए इसे भुनाना आसान नहीं होगा। जहां तक
बात चुनाव की है तो मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ पहला बड़ा चुनाव मध्यप्रदेश में होगा। कोरोना काल की नई
चुनौतियां ने यदि चुनाव आयोग को भी सोचने को मजबूर किया.. तो राजनीतिक दल भी द्वंद से बाहर नहीं निकल
पा रहे। मध्यप्रदेश में अभी तक 27 सीट रिक्त घोषित की गई जहां चुनाव होना है.. अंतिम फैसला संविधानिक
समय अवधि खत्म होने के 55 दिन पहले कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर इन विधानसभा क्षेत्रों में किया जाना
है।
सवाल समय पर या उसके आगे जब भी उप चुनाव होंगे.. क्या राम मंदिर से जुड़ा हिंदुत्व और चीन की सरहद से
जुड़ा देश प्रेम और राष्ट्रवाद का मुद्दा इन उपचुनाव में भी मतदाताओं को प्रभावित करेगा.. या फिर स्थानीय,क्षेत्रीय
और प्रदेश से जुड़े मुद्दे पर ही सिमट कर रह जाएगा यह उपचुनाव। यह सवाल इसलिए क्योंकि यह उपचुनाव
भाजपा की शिवराज सरकार ही नहीं मोदी शाह और नड्डा के नेतृत्व और प्रबंधन क्षमता को रेखांकित करेंगे…
मुख्यमंत्री के नाते शिवराज की नेतृत्व क्षमता यदि कसौटी पर.. तो कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन संभालने वाले
सांसद महाराज ज्योतिरादित्य की साख भी कसौटी पर लग चुकी है.. ज्यादातर सीट वह है जो सिंधिया समर्थक
कांग्रेस में रहते विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई है… जो उनके ग्वालियर चंबल क्षेत्र में भी आती है।
शिवराज और महाराज की जोड़ी विकास के मुद्दे पर फिलहाल चुनाव का माहौल भाजपा के पक्ष में बनाना चाहती
है। तो कांग्रेस खास तौर से कमलनाथ और दिग्विजय के नेतृत्व ने भ्रष्टाचार के साथ बिकाऊ और टिकाऊ को बड़ा
मुद्दा बनाने के संकेत दे दिए हैं.. सवाल ऐसे में जब भी चुनाव होंगे क्या राम मंदिर के मुद्दे को इन चुनाव में
नजरअंदाज करना आसान होगा.. कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व
की लाइन पर आगे बढ़ते हुए मंदिर मंदिर जाकर भाजपा को अकेले हिंदुत्व प्रेमी साबित नहीं होने दिया था.. बदलते
राजनीतिक परिदृश्य में जब राम मंदिर के भूमि पूजन के साथ शुरुआत दिए जलाकर दीपावली मनाने से होने जा
रही है। तो फिर मंदिर निर्माण में देश वासियों की सहभागिता सुनिश्चित करने की भी योजना पर ट्रस्ट करने जा
रहा है …यही नहीं संघ से जुड़ा विश्व हिंदू परिषद इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ चुका है।
इस आंदोलन से जुड़े नेताओं में शामिल रहीं उमा भारती ने जिस तरह भोपाल में अपनी मौजूदगी दर्ज करा कर राम
मंदिर आंदोलन की याद ताजा की उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता… पिछले दिनों दो राजदारों शिवराज और
महाराज की जोड़ी को उमा भारती ने ताकत दी …तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को निशाने पर भी लिया है
…इस बीच कांग्रेस से मोहभंग होने वाले विधायक के इस्तीफे में भी पर्दे के पीछे भूमिका निभाई …उमा भारती इन
दिनों शिवराज और उनके नेतृत्व की बड़ी प्रशंसक बन कर सामने आई है। वह बात और है कि कभी इनके मतभेद
चर्चा में रहे। कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के साथ भाजपा इस बार अपनी सरकार बनाने का श्रेय जिस
ज्योतिरादित्य को दे रही.. वह महाराज भी साध्वी से मिलने उनके आवास जा चुके। तो सवाल क्या विष्णु दत्त की
भाजपा के लिए उपचुनाव में उमा भारती भी एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आएंगी। जो फिलहाल राम मंदिर को
लेकर बने माहौल के बीच एक जाना पहचाना चेहरा बन चुकी है.. तो क्या शिवराज और महाराज की इस जोड़ी को
उमा आने वाले उपचुनाव में एक नई ताकत देंगी.. सवाल प्रदेश भाजपा की रोजमर्रा की राजनीति और उनके बड़े
फैसलों से भले ही उमा भारती दूरी बनाए हुए। फिर भी पिछले चुनाव की तरह इस बार भी उपचुनाव में पार्टी उनका
उपयोग करेगी.. जिन सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से अधिकांश में उमा भारती के समर्थकों की मौजूदगी से
इनकार नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस पर पाकिस्तान को निशाने पर लिया है …. जो चीन को लगातार
सचेत भी कर रहे.. प्रधानमंत्री कोरोना काल में 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। इससे
पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या दौरा कर तैयारियों का जायजा ले चुके है.. भाजपा और मोदी
सरकार इस तारीख को देश दुनिया के लिए इतिहास में यादगार बनाना चाहती है.. राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को लेकर
नए सिरे से शुरू हुई .इस चर्चा के बीच लंबे अरसे बाद राम मंदिर आंदोलन यादों को ताजा करते हुए उमा भारती के
दिल की बात भी न्यूज़ चैनलों पर सुनने को मिली.. कभी फायर ब्रांड नेता में शुमार होती रही साध्वी उमाश्री यदि
राम मंदिर के निर्माण के साथ ही देश में रामराज्य की एक नई बहस के आगे बढ़ने की ओर इशारा कर रही …तो
दूसरी ओर इस आंदोलन के पीछे बड़ी भूमिका निभाने वाले संघ का चिंतन मंथन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल
में खत्म हो चुका है। जो कोरोना काल में देश दुनिया के सामने नई चुनौतियां को चिन्हित कर अपना फीडबैक मोदी
सरकार तक पहुंचाएगा.. मध्यप्रदेश में चुनाव आयोग के संदेश और संकेत के बीच उपचुनाव को लेकर कयासबाजी
के बीच सरगर्मियां लगातार परवान चल रही है।
इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कोरोना पॉजिटिव आने के साथ ही सियासी आरोप-प्रत्यारोप का
सिलसिला भी जोर पकड़ चुका है.. ऐसे में सवाल राम मंदिर के भव्य भूमि पूजन के बाद देश की राजनीति की
दिशा क्या होगी.. फिलहाल इसका आकलन जल्दबाजी ही माना जाए। या फिर राम और रफेल के पॉलिटिकल
कनेक्शन से इनकार नहीं किया जा सकता.. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दूर की कौड़ी उससे पहले पश्चिम बंगाल
और बिहार विधानसभा के चुनाव होना है। इससे पहले मध्य प्रदेश समेत जिन दूसरे विधानसभा और लोकसभा सीट
पर उपचुनाव होना क्या वहां जय श्री राम का नाम और नारा लोगों के सिर चढ़कर बोलेगा। कोरोना काल में ही
मध्यप्रदेश के तख्ता पलट के बाद राजस्थान में सियासी संकट अभी थमा नहीं महाराष्ट्र में उद्धव सरकार भी
सतर्क हो गई है। तब ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है.. विकास के नाम पर सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर अस्तित्व में
आई मोदी सरकार के लिए राम मंदिर के भूमि पूजन से जुड़ा अयोध्या का यह घटनाक्रम क्या भविष्य में हिंदुत्व की
राजनीति का अहम पड़ाव साबित होगा। तो बड़ा सवाल मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की स्थिरता से जुड़ चुके
उपचुनाव में क्या राम मंदिर भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
यदि ऐसा माहौल बनाया बनाया गया तो इसका फायदा क्या बीजेपी उठा पाएगी….कमलनाथ कांग्रेस जिसने
विधानसभा चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व को अपनाया था… क्या इन उपचुनाव में अपनी उस लाइन को आगे बढ़ाएगी..
तो कौन किस पर भारी और असरदार साबित होगा… संघ और भाजपा के एजेंडे से जुड़ा रहा हिंदुत्व और सांस्कृतिक
राष्ट्रवाद की बयार क्या आने वाले दिनों में फिर जोर शोर से नजर आएगी …. देश के बदलते राजनीतिक परिदृश्य
में जब कई मोर्चों पर मोदी सरकार घिरती नजर आ रही है.. तब यह सवाल इसलिए क्योंकि स्वतंत्रता दिवस के
नजदीक आते ही भारत की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाते रहे राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने जा
रहा है… दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ चीन से बनते बिगड़ते संबंध एक बार फिर देश की अस्मिता से जुड़ गए हैं…
देश की सियासत से जुड़े ज्वलंत अहम मुद्दों का केंद्र बिंदु भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बन चुके हैं.. जिन के तेवर
और मन की बात बताती है कि उन्होंने देश की अस्मिता को चुनौती देने वाले पाकिस्तान और चीन दोनों को सबक
सिखाने का मानस बना लिया है।
जो राम मंदिर की आधारशिला रखने वो खुद 5 अगस्त को अयोध्या पहुंच रहे हैं.., वह भी तब जब कांग्रेस ने
लोकतंत्र बचाओ मुहिम को जोर शोर से जनता के बीच जाकर उठाने का एलान कर दिया… कोरोना काल में कांग्रेस
यदि मध्य प्रदेश की सरकार गवा चुकी। तो गुजरात के राज्यसभा चुनाव में भी झटका खा चुकी है… ऐसे में
राजस्थान का संकट हो या फिर महाराष्ट्र में उद्धव की हुंकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता… तो यह भी
सच है इस सियासी उलटफेर के बीच देश के लिए कुछ दूसरी तारीख भी मायने रखती है। चाहे फिर वह कारगिल
विजय दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात … 27 जुलाई को जब देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण
माने जाने वाले रफेल विमान भारत पहुंच रहे हैं.. जिसको लेकर सड़क से लेकर संसद तक काफी हंगामा हो चुका है
और राहुल गांधी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे। इसके बाद ही 5 अगस्त वह तारीख है जिसे मोदी सरकार ने
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 से जोड़कर यादगार बना दिया था.. गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा
में प्रस्तुत किया और पारित भी कर दिया गया था।
संयोग से राम मंदिर की आधारशिला रखने का मुहूर्त भी 5 अगस्त 2020 का निकला है … इसके बाद प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी लाल किले से देश को संबोधित करेंगे …तो सवाल खड़ा होना लाजमी क्या सर्जिकल स्ट्राइक और दूसरे
मोर्चों पर पाकिस्तान को सबक सिखा चुका भारत क्या मोदी के नेतृत्व में चीन से टकराने का इरादा बना चुका है
….जो भी हो आने वाले समय में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की गूंज अगले कुछ महीनों तक सुनाई देने से इनकार नहीं
किया जा सकता… जब तिरंगे और भगवा की धूम देखने को मिलेगी.. चाहे फिर यादें जम्मू कश्मीर की ताजा की
जाए या पाकिस्तान सबक सिखा देने की… इस बीच राम मंदिर निर्माण का काम जिस तरह शुरू होगा उस पर
सियासत पर असर पड़ने से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
क्योंकि राम मंदिर के आंदोलन की यादें ताजा की जाने लगी है.. इस आंदोलन से जुड़ी मध्य प्रदेश की पूर्व
मुख्यमंत्री उमा भारती अपने दिल की बात सुना कर यदि अपने योगदान पर संतोष व्यक्त कर रही हैं.. तो कहीं ना
कहीं वह संदेश भी दे रही है… पिछले दिनों भोपाल में संपन्न हुई संघ के विस्तारक बैठक के एजेंडे में राम मंदिर
की प्राथमिकता से भी इनकार नहीं किया जा सकता.. विश्व हिंदू परिषद भाजपा के साथ ट्रस्ट से जुड़े लोग भी
देशवासियों का आवाहन कर रहे हैं.. राम भक्त 4 और 5 अगस्त को दीए जलाकर दीपावली की याद ताजा करें..
यही नहीं मंदिर निर्माण के लिए देशवासियों की भागीदारी सुनिश्चित कर आस्था से जुड़े इस मुद्दे पर भावनाओं का
भी ख्याल रखने की रणनीति साफ देखी जा सकती है.. राम मंदिर का निर्माण जिस अवधि में पूरा कर लिया
जाएगा.. उस वक्त लोकसभा चुनाव 2024 होंगे.. तो इससे पहले 2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भी
इस मुद्दे की प्रासंगिकता से इनकार नहीं किया जा सकता… फिलहाल देखना दिलचस्प होगा जिन राज्यों में आने
वाले समय में चुनाव होने जा रहे हैं… क्या वहां राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को भाजपा जो अभी तक विकास को मुद्दा
बनाकर चुनाव लड़ती रही … प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश को आत्मनिर्भर बनाने का आवाहन कोरोना काल में
पहले ही कर चुके हैं… स्वतंत्रता दिवस नजदीक आते-आते क्या हिंदुत्व और राष्ट्रवाद उसकी प्राथमिकता में सबसे
ऊपर आ जाएंगे।
टीम भगवत के भोपाल चिंतन मंथन में कोरोना काल में सामने आई चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए संघ ने अपने
रोड मेप को अंतिम रूप दे दिया… इस बैठक में पहले दिन ही भाजपा की ओर से राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल
संतोष भी शामिल हुए थे। यानी संघ का मोदी सरकार के लिए संदेश और पार्टी नेतृत्व का संघ के लिए फीडबैक
के आदान-प्रदान से इनकार नहीं किया जा सकता … बावजूद इसके संघ इस महत्वपूर्ण बैठक के खत्म होने के बाद
समस्याओं पर केंद्रित सुझाव और अपनी अपेक्षा से सत्ता और संगठन के शीर्ष नेतृत्व को अवगत कराएगा …. चाहे
फिर वह सबसे ज्वलंत मुद्दे चीन से जुड़ी हो या फिर राम मंदिर निर्माण के साथ उसे ऐतिहासिक यादगार और
भव्य बनाने की तैयारियों से जुड़ी साधु संतों की भूमिका ही क्यों ना हो … संघ जरुर चाहेगा कि राम मंदिर
आंदोलन से जुड़े संगठन और उनके चेहरों को इस मौके पर नजरअंदाज नहीं किया जाए।
ट्रस्ट की अपनी जवाबदेही सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की जा चुकी है.. किसी नए आंदोलन से दूर हिंदुओं की आस्था से
जुड़े राम मंदिर को देशवासियों के स्वाभिमान से जोड़कर बनाए रखने की रणनीति पर विश्व हिंदू परिषद की
गंभीरता से इनकार नहीं किया जा सकता … 5 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन
कर आधारशिला रखेंगे… कोरोना काल में जिन सीमित करीब 200 लोगों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाना उसको
लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं हुई है.. संघ की ओर से सरसंघचालक मोहन भागवत के अलावा मुरली मनोहर जोशी
और दूसरे पदाधिकारियों के साथ लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती से लेकर साध्वी ऋतंभरा
विनय कटियार जैसे चेहरे इस मौके पर मौजूद रहेंगे इस पर अटकलें भी लगाई जा रही.. संघ की भोपाल बैठक में
सामाजिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर लंबा चिंतन मंथन किया जा चुका है.. पिछले 6 माह में संघ की
जो गतिविधियां ठप हो गई थी.. उन्हें नए सिरे से नए स्वरूप और नई कार्ययोजना से आगे बढ़ाने का रोड मैप बना
लिया गया। कोरोना काल में संघ और उसके वैचारिक संगठनों द्वारा किए गए सेवा कार्यों का आकलन भी किया
गया।
तो दूसरे धर्म और उससे जुड़ी संस्थाओं की सेवा कार्यों में भूमिका को लेकर भी फीडबैक हासिल किया गया …प्रवासी
मजदूर से लेकर आत्मनिर्भर भारत की नई चुनौतियों पर भी मंथन हुआ… देश आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों को लेकर
भी संघ अपनी अपेक्षाओं से मोदी सरकार को जल्द अवगत कराएगा.. इसके साथ ही पश्चिम बंगाल से ले कर के
उत्तर प्रदेश तो बिहार से लेकर जिन राज्यों में उप चुनाव होना वहां संघ के वैचारिक संगठनों की भूमिका पर भी
विचार किया गया… इसके साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम और मोदी मंत्रिमंडल में
फेरबदल पर भी उसकी नजर रही।