सुरेंदर कुमार चोपड़ा
पिछले साल मार्च से विद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर कोरोना के कारण हर प्रकार के खेल व अन्य गतिविधियां
बंद पड़ी हैं। पढ़ाई तो ऑनलाइन या घर पर कैसे न कैसे हो जा रही है, मगर खेलों से दूरी आज भी बनी पड़ी है।
बच्चों, किशोरों व युवाओं के लिए इस आयु अवधि में शारीरिक फिटनेस बहुत जरूरी है। जब मास-पार्टिसिपेशन होगी
तो खेलों के लिए प्रतियोगी वातावरण स्वयं ही बन जाता है। किसी न किसी तरह अब संस्थान प्रमुखों व शारीरिक
शिक्षकों को विद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर खेलों को सुचारू रूप से कोरोना नियमों का पालन करते हुए शुरू
कर देना चाहिए ताकि विद्यार्थियों की फिटनेस व खेल दोनों चल सकें तथा विद्यार्थियों की फिटनेस प्रभावित होने
से बच सके। ओलंपिक खेलों में भाग लेने वाले अधिकांश खिलाड़ी महाविद्यालय व विश्वविद्यालय से ही निकल कर
आते हैं। अकादमिक विषयों की तरह खेल भी शिक्षा का अभिन्न हिस्सा हैं। शारीरिक फिटनेस का उच्चतम स्तर ही
खेलों में उत्कृष्ट परिणामों का मुख्य कारण है।
जिस देश की जवानी जितनी फिट होगी, वहां पर खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाना उतना ही आसान होता है।
इसलिए शिक्षा संस्थानों में हर विद्यार्थी की फिटनेस के लिए कार्यक्रम होना चाहिए जिससे अच्छे खिलाड़ी ही नहीं,
फिट नागरिक भी देश को मिल सकें। महाविद्यालय स्तर पर खेलों के लिए जहां स्तरीय खेल ढांचे का होना बहुत
जरूरी है, वहीं पर ज्ञानवान प्रशिक्षकों की भी बहुत ज्यादा जरूरत है। देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश
में भी महाविद्यालय स्तर पर खेलों का हाल ज्यादा ठीक नहीं है और ऊपर से कोरोना की मार। राज्य के अधिकतर
महाविद्यालय अच्छे खिलाडि़यों को मंच देने में नाकाम रहे हैं। कनिष्ठ खिलाडि़यों के लिए नजर दौड़ा कर देखें तो
उनके प्रशिक्षण के लिए बहुत अच्छा तो नहीं मगर प्रशिक्षण शुरू करने काबिल व्यवस्था मौजूद है। हिमाचल प्रदेश
के खिलाड़ी स्कूल के बाद अपनी महाविद्यालय की पढ़ाई के लिए राज्य के महाविद्यालयों में खेल वातावरण न होने
के कारण पड़ोसी राज्यों को पलायन कर जाते रहे हैं।
महाविद्यालय स्तर पर खिलाड़ी विद्यार्थियों को अच्छी खेल सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में भी
कुछ प्राचार्यों व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापकों ने प्रशिक्षकों व खिलाडि़यों को अच्छा प्रबंधन देकर पदक विजेता
प्रदर्शन करवाया है। नब्बे के दशक में हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय में तत्कालीन प्राचार्य डॉक्टर ओपी शर्मा व
शारीरिक प्राध्यापक स्वर्गीय डीसी शर्मा ने एथलेटिक्स व जूडो के प्रशिक्षकों को बुला कर उन्हें कामचलाऊ सुविधा
उपलब्ध करवा कर उनके प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रोत्साहित किया था। उसी प्रशिक्षण कार्यक्रम के कारण पुष्पा ठाकुर
हमीरपुर से किसी भी खेल की पहली अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय पदक विजेता बनी तथा उसके बाद
हमीरपुर महाविद्यालय ने एथलेटिक्स व जूडो में कई राष्ट्रीय पदक विजेता दिए। हमीरपुर के सरकारी महाविद्यालय
की तत्कालीन खिलाड़ी विद्यार्थियों में पुष्पा ठाकुर व संजो देवी एथलेटिक्स तथा जूडो में नूतन हिमाचल प्रदेश के
सबसे बड़े खेल पुरस्कार परशुराम अवार्ड से सम्मानित हैं। प्राचार्य डॉक्टर नरेंद्र अवस्थी व शारीरिक शिक्षा के
प्राध्यापक सुशील भारद्वाज के प्रबंधन में एक समय राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर की चार धाविकाओं ने आज
तक का सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड प्रदर्शन करते हुए अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स
प्रतियोगिता बंगलौर 2006-07 में मंजू कुमारी ने पंद्रह सौ व पांच हजार मीटर की दौड़ों में दो स्वर्ण पदक जीत
कर सर्वश्रेष्ठ धाविका का ताज पहना।
संजो ने भाला प्रक्षेपण में नए रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक, रीता कुमारी ने पांच हजार में रजत व दस हजार मीटर
में स्वर्ण तथा प्रोमिला ने दो सौ मीटर की दौड़ में रजत पदक जीत कर चारों धाविकाओं ने राष्ट्रमंडल खेल 2010
के लिए लगे इंडिया कैम्प में जगह बना ली थी। आज भी हिमाचल प्रदेश में कई शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक
विभिन्न खेलों के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षक, खिलाड़ी व प्रशासन का आपसी
समन्वय बहुत जरूरी है। इसी तरह महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय सुंदरनगर में तत्कालीन प्राचार्य
डॉक्टर सूरज पाठक व शारीरिक शिक्षा के प्राध्यापक डॉक्टर पदम सिंह गुलेरिया ने मुक्केबाजी के लिए सुविधा
उपलब्ध करवाई थी। सुंदरनगर प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर
के मुक्केबाज निकल रहे हैं। इसी नर्सरी से निकला आशीष चौधरी इसी महीने ओलंपिक में शिरकत करेगा। स्नेह
लता द्वारा संचालित मोरसींघी हैंडबाल अकादमी कोरोना नियमों का पालन करते हुए अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम जारी
रखे है। और यही कारण रहा कि लंबे अरसे से वरिष्ठ राष्ट्रीय महिला हैंडबाल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक को संघर्ष
कर रही हिमाचल प्रदेश की महिला टीम सफल हुई है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की तरह राज्य स्तर पर भी
कोरोना नियमों का पालन करते हुए विद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू करवा देना
चाहिए।