लतेश भार्गव-
अपराध कानूनी नियमों-कानूनों के उल्लंघन करने की नकारात्मक प्रक्रिया है। इसमें चोरी करना, हत्या करना, बलात्कार करना कुछ विशेष अपराध हैं जिनके सिद्ध होते ही अपराधी को कड़ी सजा मिलती है। परंतु डिजिटल इंडिया के चलते अपराध की एक और श्रेणी का आरंभ हुआ है जिसे हम साइबर अपराध के नाम से जानते हैं। साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जिसमें कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का आपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है। किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना, फिरौती मांगना, भयदोहन करना, किसी का मानसिक या शारीरिक शोषण करना कंप्यूटर अपराध के अंतर्गत आता है। कंप्यूटर अपराध करने के लिए अपराधी मैलवेयर की सहायता लेता है। मैलवेयर एक बेहद हानिकारक सॉफ्टवेयर होता है जिसे विशेष रूप से किसी कंप्यूटर या उसमें स्टोर किए गए डाटा को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया जाता है। मैलवेयर के मुख्य प्रकार हैं- वायरस, स्पाइवेयर, वार्म एडवेयर, रैंसमवेयर। वायरस का मुख्य काम होता है चलते कंप्यूटर को शटडाउन कर देना और कंप्यूटर के अंदर मौजूद जरूरी डाटा फाइल्स को डिलीट कर देना। वहीं स्पाइवेयर में अपराधी उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना वह कंप्यूटर पर क्या काम कर रहा है, वह जो भी ऑनलाइन एक्टिविटीज कर रहा है, उस पर नजर रखता है।
किस तरह की साइट पर वो काम कर रहा है, उसके क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड का कॉन्फिडेंशियल डाटा, यह सब उपयोगकर्ता की जानकारी के बिना अपराधी एकत्रित कर लेता है। वार्म एक प्रकार का मैलवेयर है जो एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम पर जाता है। एक कंप्यूटर को डैमेज करने के बाद वह अगले कंप्यूटर को डैमेज करता है। ऐसे मैसेज आते हैं कि इस मैसेज को 11 लोगों के साथ शेयर करो, आपको फ्री में कुछ गिफ्ट मिलेगा। कई बार उपयोगकर्ता बिना सोचे समझे अपने ही सगे संबंधियों के साथ इस तरह के मैसेज का आदान-प्रदान कर देते हैं और उससे उनके सिस्टम पर वायरस उनके पूरे डाटा को खराब कर देता है। एडवेयर मैलवेयर विज्ञापनों के रूप में उपयोगकर्ताओं के कंप्यूटर स्क्रीन पर आता है। जैसे ही उपयोगकर्ता उस लिंक पर क्लिक करता है उसके सिस्टम में मैलवेयर आ जाता है। इसके अलावा रैंसमवेयर होता है जिसमें जिसके कंप्यूटर में आ जाने के बाद कंप्यूटर स्क्रीन पर एक वार्निंग आने लगती है कि आप इतने पैसे दीजिए, तभी यह वायरस आपके सिस्टम से हटाया जाएगा, नहीं तो यह वायरस आपके सिस्टम का महत्त्वपूर्ण डाटा खराब कर देगा। इन सभी प्रकार के मैलवेयर से बचने के लिए हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है। जिस लिंक की हमें जानकारी नहीं है, उस पर हमें क्लिक नहीं करना चाहिए, किसी भी मैसेज को बिना सोचे-समझे अपने सगे संबंधियों के साथ शेयर नहीं करना चाहिए। और अगर किसी भी तरीके से हम किसी मैलवेयर के शिकार हो जाते हैं तो हमें बिल्कुल समय बर्बाद न करते हुए किसी से मदद लेनी चाहिए। फिशिंग एक प्रकार की सोशल इंजीनियरिंग है जिसका उपयोग यूजर का डेटा चुराने के लिए किया जाता है। फिशिंग अटैक में अपराधी उपयोगकर्ता को एक धोखाधड़ी वाला संदेश भेजता है और उपयोगकर्ता की लॉगिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी चुरा लेता है।
इबर अपराधियों का फिशिंग अटैक करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य होता है उपयोगकर्ता की गुप्त जानकारी चुराना। साइबर अपराधियों द्वारा भेजे गए इस संदेश को अक्सर उपयोगकर्ता असली संदेश समझ लेता है और अपनी निजी जानकारियां दे देता है। यह बिल्कुल मछली पकडऩे जैसा है। जिस प्रकार मछली भोजन के चक्कर में मछुआरे के हुक में फंस जाती है, ठीक उसी प्रकार फिशिंग अटैक को अंजाम दिया जाता है। बस फर्क इतना है कि यहां पर मछली की जगह एक उपयोगकर्ता फंस जाता है। फिशिंग अटैक के बहुत प्रकार होते हैं। ईमेल फिशिंग, स्पीयर फिशिंग, व्हेलिंग फिशिंग, स्मिशिंग, विशिंग। फिशिंग अटैक करने के लिए ईमेल हमेशा से ही साइबर अपराधियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण तरीका रहा है। जब व्हाट्सऐप और बाकी मैसेजिंग के माध्यम नहीं थे, उस वक्त से ईमेल फिशिंग सबसे अधिक होने वाला अटैक था और यह सबसे पुराना और कारगर तरीका माना जाता है जो आज भी साइबर अपराधियों द्वारा फिशिंग अटैक के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। ईमेल फिशिंग अटैक में साइबर अपराधी एक साथ हजारों लोगों को फर्जी ईमेल भेजते हैं जो बिल्कुल असली ईमेल जैसे दिखाई पड़ते हैं और इन इमेल्स में उपयोगकर्ता को किसी ऑफर का लालच दिया जाता है।
इसमें साइबर अपराधी बड़ी-बड़ी कंपनियों के मिलते-जुलते वेब डोमेन खरीदकर ओरिजिनल वेबसाइट जैसी फर्जी वेबसाइट बनाता है, जैसे अमेजन डॉट काम की जगह अमाजोन डॉट काम। अगर उपयोगकर्ता इसको सावधानी से न देखे तो वह बहुत आसानी से धोखा खाकर अपराधी की चाल में फंस जाता है। विशिंग अटैक जो आजकल बहुत ही लोकप्रिय है, जिसमें लोगों को फर्जी कॉल किए जाते हैं। और कई बार उपयोगकर्ता उस फर्जी कॉल के झांसे में आ जाते हैं और अपनी निजी जानकारी उनके साथ सांझा कर अपने पैसों का नुकसान करवा देते हैं। कई फिशिंग अटैक में लोगों को टारगेट किया जाता है। इसके अलावा लोगों को एसएमएस भेजे जाते हैं और कॉल कर भी उनसे उनकी बैंक डिटेल्स की जानकारी हासिल की जाती है। इस डिजिटल इंटरनेट की दुनिया में हमें टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए बेहद सावधान और सतर्क रहने की आवश्यकता है। अगर हम कभी भी साइबर अपराध के शिकार बन जाते हैं तो बिल्कुल भी समय बर्बाद न करते हुए हमें वेबसाइट ‘ट्रिपल डब्ल्यू डॉट साइबरक्राइम डॉट जीओवी डॉट इन’ पर संपर्क करना चाहिए और हेल्पलाइन नंबर 1930 पर अवश्य ही कॉल करनी चाहिए।