सवालों के घेरे में तबलीग जमात

asiakhabar.com | April 3, 2020 | 5:06 pm IST
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भारत में लाॅकडाउन के आठवें दिन जब पूरा देश कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी की उम्मीद कर रहा
था तभी दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीग जमात के मरकज में 24 कोरोना पॉजिटिव पाये जाने सूचना ने पूरे
देश में एक नया खौफ पैदा कर दिया। निजामुद्दीन का तबलीग इस्लामी शिक्षा का दुनिया में सबसे बड़ा केंद्र है।
इस्लामी शिक्षा के लिए निजामुद्दीन के मरकज में कई देशों के लोग आते रहते हैं। फिलहाल तबलीग जमात में
जलसे का आयोजन 1 से 15 मार्च तक था जिसमें 5 हजार से ज्यादा लोग आए थे। अब तक इस जलसे में
शामिल होने वाले 2157 लोगों की पहचान करके उनकी मेडिकल जांच की जा चुकी है। ये सभी निजामुद्दीन
स्थित बंगलावाला मस्जिद में ठहरे हुए थे। 1339 लोगों को नरेला, सुल्तानपुरी, बक्करवाला, झज्जर और एम्स में
क्वाॅरेंटीन किया गया है। लगभग 32 में कोरोना के लक्षण पाए गए थे, जिन्हें दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में
दाखिल कराया है। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों को सर्दी, खांसी व जुकाम की शिकायत है इनके कोरोना संक्रमित
होने की आशंका है। इस खबर के मिलने के बाद अब यहां आने वाले उन हजारों लोगों की तलाश और उन्हें
आइसोलेट करने की मुहिम शुरू हो चुकी है जो यहां हुए धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे।
आंकड़ों के अनुसार इस कार्यक्रम में करीब 2100 विदेशी पहुंचे थे जिनमें इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंडस, नेपाल,
म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान के लोग शामिल हैं। गृहमंत्रालय ने कहा है कि जलसे के बाद 824
विदेशी देश के दूसरे हिस्सों में गए। इस जलसे में भाग लेने वाले देश के विभिन्न राज्यों से आए लोगों की संख्या
एक अनजाने खतरे की ओर इशारा कर रही है क्योंकि बड़ी संख्या में यहां आए लोग अपने अपने राज्यों को लौट
गए हैं। रिपोर्टों की मानें तो इस जलसे में सबसे अधिक लोग तमिलनाडु से आये थे जिनकी संख्या 501 थी जबकि
असम से इस मरकज में आने वालों की संख्या 450 थी। इस जलसे में यूपी से 157, मध्यप्रदेश से 107,
महाराष्ट्र से 109, तेलंगाना से 55, पश्चिम बंगाल से 78, बिहार से 86 और झारखंड से 46 लोग शामिल हुए
थे। हालांकि राज्य सरकारों ने अब इन्हें ट्रेस करना शुरू कर दिया है। लेकिन भले ही ये लोग मिल जायें पर इन
लोगों ने किस किस से संपर्क किया था यह खोजना बहुत मुश्किल काम है।
गौरतलब है कि तबलीग जमात के जलसे में शिरकत कर चुके 10 लोगों की अब तक कोरोना से मौत की पुष्टि हो
चुकी है। इनमें 6 मौत अकेले तेलंगाना में ही हुई है। इन मृतकों में एक विदेशी भी शामिल है। इन तब्लीग जमात
के लोगों ने देश के कई हिस्सों का दौरा भी किया था और आशंका है कि इस जमात के लोगों के संपर्क में आनेवाले
कई लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं।
बहरहाल तबलीग जमात के मोहम्मद युसूफ के द्वारा एक चिट्ठी जारी की गई है जिसमें मरकज के प्रमुख ने
निजामुद्दीन के एसएचओ 25 मार्च को 1500 लोगों के इस मस्जिद में होने की सूचना दी थी। लेकिन यह सूचना
भी एसएचओ के 24 मार्च के पत्र के जवाब में दिया गया था न कि इस संस्था ने खुद अपने से इस मामले को
सामने लाया है। निजामुद्दीन के एसएचओ के बयान पर गौर करें तो उन्होंने 23 मार्च को ही मरकज के

प्रतिनिधियों को मस्जिद खाली करने का लिखित आदेश दे रखा था। इसके बावजूद जलसे में शामिल लोगों के
द्वारा मस्जिद को खाली नहीं किया गया था इसे किसकी गलती मानी जाय?
बहरहाल तबलीग मामले में गलती सिर्फ मौलाना युसूफ या जमात के लोगों द्वारा ही नहीं की गई। 25 मार्च को
निजामुद्दीन के एसएचओ ने दिल्ली के एसडीएम को पत्र लिखकर बंगला मस्जिद में रहनेवाले लोगों को घर भेजने
हेतु गाड़ी का पास देने का अनुरोध किया था जिस पर एसडीएम की ओर से कोई उत्तर ही नहीं दिया गया। ऐसे में
सवाल उठता है कि निजामुद्दीन के एसएचओ के पत्र पर एसडीएम ने गौर करना क्यों जरूरी नहीं समझा? और
मरकज में मौत के बाद ही दिल्ली प्रशासन क्यों जागा? हालांकि अब इस मामले में तबलीग जमात के मुखिया
सहित छह लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।
ऐसे में सवाल बहुतेरे हैं। सवाल यह कि जब 15 मार्च को ही जलसा खत्म हो गया था तो इस जमात के लोगों को
मस्जिद से क्यों नहीं रूखसत किया गया? सवाल यह कि लाॅकडाउन के बाद इस जमात के प्रमुख मौलाना शाद ने
खुद दिल्ली प्रशासन को इसकी सूचना देना जरूरी क्यों नहीं समझा? जब निजामुद्ददीन के एसएचओ ने 19-20
मार्च को ही मस्जिद खाली करने का आदेश दिया था तो मरकज किस आधार पर इतने लोगों को मस्जिद में
ठहराये गए था? गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को एक स्थान पर 200 से अधिक लोगों के इकट्ठे
होने पर पांबदी लगा रखी थी तो तब इस जलसे खत्म क्यों नहीं किया गया? फिर 18 मार्च को जब दिल्ली
सरकार ने एक स्थान पर 20 से ज्यादा लोगों के ठहरने पर पाबंदी लगा दी तो मरकज ने अपने यहां लोगों की
भीड़ की सूचना क्यों नहीं प्रशासन को दिया? साथ ही सवाल यह कि तबलीग ने अपने ही कौम पर जो धब्बा
लगाया है इसके लिए मुस्लिम समाज उसे कभी मुआफ करेगा?
बहरहाल 1 अप्रैल को भी दिल्ली के एक इलाके के गुरूद्वारे से भी 200 लोगों को निकाले जाने की सूचना मिली।
पता नहीं ऐसे और कितने लोग किन किन धार्मिक संस्थाओं में छिपे या फंसे हैं। जरूरी है कि केन्द्र सरकार राज्यों
को अपने अपने राज्यों में पड़नेवाले मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा, चर्च सरीखे तमाम धार्मिक संस्थाओं की जांच करने
का आदेश दे कि कहीं इस तरह से बड़ी संख्या में और लोग फंसे या छिपे हुए तो नहीं हैं अन्यथा लाॅकडाउन का
सारे किये कराये पर पानी फेरने में देर नहीं लगेगी।


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