किसी धर्मनिरपेक्ष राज्य का ये बुनियादी सिद्धांत होता है कि उसमें न तो किसी धर्म को प्रोत्साहित किया जाता है, न ही किसी को हतोत्साहित। सबको अपना मजहब मानने की आजादी होती है। साथ ही ये अपेक्षित होता है कि कोई अपने धर्म के पालन अथवा उसके प्रचार-प्रसार के लिए राज्य से सहायता की अपेक्षा न रखे। न ही राज्य को ऐसी मदद देनी चाहिए। भारतीय संविधान ने अपने देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की है। लेकिन अफसोसनाक है कि आरंभ से ही सरकारों ने इसकी भावना के मुताबिक आचरण नहीं किया। वोट की तलाश में राजनीतिक दलों ने विभिन्न् धर्मावलंबियों को राजकोष से ऐसी मदद दी, जो सैद्धांतिक रूप से उचित नहीं थी। हज यात्रा के लिए मुस्लिम समुदाय के लोगों को दी गई सबसिडी भी ऐसी ही एक सहायता रही है। अतीत में इस पर न्यायपालिका ने भी सवाल उठाए। लेकिन सरकारें इसे खत्म करने से हिचकती रहीं। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सरकार को निर्देश दिया कि वह सबसिडी को चरणबद्ध ढंग से 2022 तक समाप्त कर दे।
इसकी रोशनी में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का ये एलान बेहद अहम है कि हज यात्रियों को इस साल से सबसिडी नहीं मिलेगी। सरकार ने कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक अपनी हज नीति तैयार की है। नकवी ने कहा- यह बिना तुष्टीकरण किए अल्पसंख्यकों का गरिमामय सशक्तीकरण की हमारी नीति का हिस्सा है। यह दोहरे हर्ष का विषय है कि हज सबसिडी खत्म करने से बचने वाले धन को सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की शिक्षा एवं उनके कल्याण पर खर्च करने का निर्णय लिया है। स्पष्टत: ये फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘सबका साथ-सबका विकास की नीति के अनुरूप है। फिर सबसिडी खत्म करने से मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपनी सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा करने में दिक्कत न आए, सरकार ने उसे सुनिश्चित करने की भी कोशिश की है। जलमार्ग से सऊदी अरब जाने का विशेष प्रबंध करने का इरादा उसने जताया है। इससे वे लोग आसानी से हज करने जा सकेंगे, जो हवाई यात्रा का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार ने हज कमेटी ऑफ इंडिया और प्राइवेट टूर ऑपरेटरों के बीच हज कोटा के बंटवारे को विवेकसम्मत बनाने की पहल कीहै, जिससे निहित स्वार्थी तत्वों की मिलीभगत से हज यात्रा के लिए जरूरत से ज्यादा शुल्क वसूलने की परिपाटी रुक सकेगी।
इन प्रयासों को देखते हुए आशा की जा सकती है कि हज सबसिडी खत्म होने का हज यात्रा के इच्छुक मुस्लिम धर्मावलंबियों पर कोई खास प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस वर्ष सऊदी अरब हज के लिए 5000 अधिक भारतीयों को अपने यहां आने की इजाजत देगा। इससे 1.75 लाख लोग वहां जा सकेंगे। 1,300 महिलाओं के भी वहां जाने की संभावना है। यानी कहा जा सकता है कि सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे हज यात्रियों पर कोई उल्टा असर नहीं पड़ेगा और कुल मिलाकर मुस्लिम समुदाय को लाभ होगा तथा भारतीय राज्य की धर्मनिरपेक्ष छवि भी उज्ज्वल होगी।