सचिन की घर वापसी से गहलोत हुए मजबूत

asiakhabar.com | August 12, 2020 | 4:04 pm IST

शिशिर गुप्ता

राजस्थान विधान सभा का 14 अगस्त को जो सत्र बुलाया गया है उसमें राज्य की गहलोत सरकार अगर चाहे तो
उसे अपना बहुमत साबित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी | पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की गत दिवस पार्टी
के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के साथ हुई बातचीत के नतीजों से यह माना जा
सकता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है | पार्टी हाईकमान ने सचिन
पायलट को यह भरोसा दिलाया है कि पार्टी में उनकी प्रतिष्ठा का पूरा ध्यान रखा जाएगा| हाई कमान के साथ
अपनी बातचीत से स़चिन पायलट जिस तरह संतुष्ट नजर आ रहे हैं उससे यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि
उन्हें हाई कमान ने उपमुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर उनकी ससम्मान वापसी का आश्वासन दे
दिया है हालांकि पायलट ने कहा है कि उनके लिए पार्टी सर्वोपरि है और पार्टी जो पद देती है उसे वापस लेने का
भी पार्टी को अधिकार है | पायलट के गिले शिकवे दूर करने में प्रियंका गांधी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
|अब यह उत्सुकता का विषय है कि मुख्य मंत्री अशोक गहलोत पार्टी हाई कमान के फैसले को मन मसोस कर
स्वीकार करते हैं अथवा अपने पूर्व उप मुख्य मंत्री को खुशी खुशी गले लगाने के लिए पहल करते हैं | गौरतलब है
कि सचिन गुट की बगावत के बाद राज्य में इतने दिनों से चल रही राजनीतिक उठापटक के दौरान मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को लेकर कई बार तीखी टिप्पणियाँ भी की थीं | सचिन पायलट ने हाईकमान
का ध्यान उन टिप्पणियाों की ओर भी आकृष्ट किया और यह भी कहा कि उनने खुद कभी ऐसी भाषा का प्रयोग
नहीं किया | अब विशेष गौर करने लायक बात यह है कि एक ओर पार्टी हाई कमान ने सचिन पायलट को पार्टीमें
उनकी ससम्मान वापसी सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है वहीं गहलोत सरकार के कुछ मंत्रियों ने सचिन गुट
के साथ सुलह का विरोध किया है | दिल्ली में सचिन पायलट के गिले शिकवे दूर हो जाने के बाद गहलोत
गुट और बागी पायलट गुट के विधायकों की जयपुर वापसी की तैयारियां शुरू हो गई हैं परंतु प्रमुख विपक्षी दल
भाजपा ने अब गहलोत सरकार पर आरोप लगाया है कि उसके द्वारा विगत कुछ दिनों से सरकारी अधिकारियों के
माध्यम से भाजपा विधायकों को प्रलोभन देने की कोशिश की जा रही है | शायद इसी चिंता के कारण भाजपा ने
14 अगस्त के विधान सभा सत्र के लिए पार्टी विधायकों को व्हिप जारी कर दिया है और यह चेतावनी भी दे दी है
कि व्हिग का उल्लंघन करने वाले विधायकों के विरुद सख्त कार्रवाई की जाएगी |उधर गहलोत सरकार के राजस्व
मंत्री हरीश चौधरी कहते हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास विधान सभा में पर्याप्त बहुमत है इसलिए कांग्रेस
को भाजपा विधायकों से संपर्क साधने की कोई आवश्यकता नहीं है | मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में प्रदेश की
जनता का पूरा भरोसा है | वे कहते हैं कि कांग्रेस विधायकों की कोई बाड़ाबंदी नहीं की जा रही है | पार्टी के
विधायक विधायक जिस होटल में रुके हुए हैं वहां से कहीं भी आने जाने के लिए उन पर कोई बंदिश नहीं है
|मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वस्त हरीश चौधरी भले ही कांग्रेस विधायकों की बाडाबंदी की बात से इंकार करें
परंतु हकीकत तो यही है कि गहलोत गुट के विधायक अभी तक बाडाबंदी के दौर से गुज़र रहे थे |पिछले एक माह
से बाडा बंदी में रहकर ही वे अपनी आगे की रणनीति तय कर रहे थे | यही स्थिति पायलट गुट के विधायकों की
भी थी| दरअसल कोई भी पार्टी जब अपने विधायकों की बाड़ाबंदी करती है तो उसके पीछे केवल एक ही मंशा होती
है कि प्रतिद्वंदी गुट अथवा पार्टी उन तक पहुंच बनाने में सफल न हो पाए इसलिए बाड़ाबंदी को अपने पक्ष के
विधायकों की पहरेदारी कहना भी गलत नहीं होगा |यही पहरेदारी दोनों प्रतिद्वंदी गुटों के विधायकों की पिछले एक
माह से हो रही थी |

राजस्थान में सचिन पायलट अभी तक अपने पत्ते खोलने के लिए तैयार नहीं थे परंतु विधान सभा सत्र के मात्र तीन
पहले वे जिस तरह कांग्रेस हाई कमान केसाथ बातचीत के लिए राजी हो गए उससे यह अनुमान लगाया जा सकता
है कि वे खुद भी पार्टी हाई कमान के साथ बातचीत के लिए उत्सुक थे और दिल्ली से बुलावा आने की प्रतीक्षा कर
रहे थे वैसे भी अभी तक वे हमेशा यही कहते रहे हैं कि उनके पक्ष के विधायक भाजपा में नहीं जाएंगे | दरअसल
इतने दिन में उन्हें भी इस हकीकत का अहसास हो गया था कि गहलोत गुट के कुछऔर विधायकों को जब तक
वे अपने साथ नहीं मिला लेते तब तक उनकी बगावत बेमानी ही बनी रहेगी | ऐसा प्रतीत होता है कि उपमुख्यमंत्री
पद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हाथ धोने के बाद इतने दिनों तक जब उन्हें अपनी ताकत बढ़ाने में
कामयाबी नहीं मिली तो कांग्रेस में बने रहने में ही उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित दिखाई देने लगा
|गहलोत सरकार से बगावत करके वे जो कुछ खो चुके हैं उससे बेहतर हासिल करने के लिए उन्हें भाजपा के
सहारे की आवश्यकता थी लेकिन अभी उनके साथ जितने विधायक हैं उससे तो भाजपा भी उनकी महत्वाकांक्षा पूरी
नहीं कर सकती थी |सचिन पायलट को इस हकीकत का भी अहसास हो गया था कि मध्यप्रदेश की कहानी
राजस्थान में नहीं दोहराई जा सकती |मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया तोअपने गुट के सभी विधायकों को
साथ लेकर भाजपा में शामिल ही हो गए थे |और दूसरी बात यह कि मध्यप्रदेश में भाजपा को कमलनाथ सरकार
गिराने के लिए 10से भी कम विधायकों को तोड़ने की जरूरत थी | राजस्थान में यह संख्या दुगने से भी अधिक है
|
सचिन पायलट यह अनुमान भी लगा चुके थे कि अगर वे कुछ और कांग्रेस विधायकों को अपने पक्ष में लाने में
सफल नहीं होंगे तो भाजपा का उनके लिए उमड़ा प्रेम भी समाप्त भी हो सकता है |दरअसल गहलोत सरकार से
बगावत करते समय सचिन पायलट से यह अनुमान लगाने में चूक हो गई कि वे महीने भर बाद भी अपनी ताकत
बढ़ाने में सफल नहीं होंगे| इसीलिए उनने घर वापसी की राह चुनी| फिलहाल तो यही उनके लिए सर्वोत्तम विकल्प
था | सचिन पायलट ने जिस तरह घर वापसी की उससे यह संदेश भी मिलता है कि मौके की नजाकत ने सचिन
को समझौतावादी रुख अपनाने के लिए विवश कर दिया | मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विरुद बगावत का झंडा
उठाने वाले राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने जो मुद्दे पार्टी हाई कमान के
सामने उठाए थे उनका निराकरण करने के सोनिया गांधी ने तीन सदस्यों की एक समिति बना दी है और मुझे पूरा
भरोसा है कि इन मुद्दों पर उक्त समिति गंभीरता से विचार कर उनका निराकरण करेगी | प्रदेश के इस
राजनीतिक संकट में भा ज पा अभी तक यह साबित करने की कोशिश कर रही थी कि कांग्रेस के अंदर जो कुछ
हो रहा है उसमें उसका कोई हाथ नहीं है और पायलट की बगावत कांग्रेस का अंदरूनी मामला है परंतु गत एक माह
से हरियाणा में पायलट गुट के विधायकों की जो आवभगत हो रही थी उसके यही निहितार्थ निकाले जा रहे थे
कि पायलट की पीठ पर भाजपा का हाथ है| विधान सभा सत्र की तारीख नजदीक आने के साथ जयपुर से लेकर
दिल्ली तक भा ज पा में गंभीर मंत्रणाओं के दौर से भी यही संकेत मिल रहे थे परंतु भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे
पी नड्डा और रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह से भेंट के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने जब साफ साफ
यह कह दिया कि भा ज पा राज्य में कांग्रेस के बागी विधायकों को साथ लेकर सरकार बनाने की जो कोशिश कर
रही है उसके वे सख्त खिलाफ हैं तब भा ज पा की यह मुहिम ठंडी पड़ गई | गौर तलब है कि राजस्थान भा ज
पा के अंदर हमेशा वसुंधरा राजे की मर्जी ही सर्वोपरि रही है |दरअसल उनकी नाराजी इस बात को लेकर है कि
पार्टी ने उनको विश्वास में लिए बिना राज्य में आपरेशन लोटस की योजना कैसे बना ली|

राजस्थान कोटे से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत को भी पूरे खेल में कुछ अधिक ही महत्व मिलना भी वसुंधरा की
नाराजी का कारण बन गया |गौरतलब है कि गजेंद्र शेखावत को राजस्थान में वसुंधरा राजे का प्रतिद्वंदी माना
जाता है | राज्य में भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया, राज्य
विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया भी शामिल हैं |सचिन पायलट की घर वापसी ने गहलोत सरकार
को फिलहाल तो निरापद कर दिया है परंतु भाजपा अभी भी यह यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि अशोक
गहलोत सरकार पर जो खतरा सचिन पायलट गुट की बगावत के कारण आया था वह हमेशा के लिए टल गया है |
भाजपा की यह उम्मीद अभी भी कायम है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट ज्यादा समय तक साथ साथ
चल पाएंगे |
गौरतलब है कि गहलोत सरकार के कुछ मंत्री एवं कुछ कांग्रेस विधायक पार्टी हाई कमान द्वारा सचिन पायलट को
घर वापसी के लिए मनाए जाने से खुश नहीं हैं |हालांकि मुख्य मंत्री अशोक गहलोत यह कह. चुके हैं कि वे इस
मामले में पार्टी हाईकमान के फैसले को स्वीकार करेंगे |अभी तक उन्होंने ऐसी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है
जिससे यह संकेत मिल सके कि सचिन पायलट के प्रति उनका गुस्सा शांत हो गया है | सचिन पायलट ने जिस
तरह घर वापसी का रास्ता चुना है उसे उनकी मजबूरी के रूप में देखा जा रहा है | मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने
उनके खिलाफ जैसी तल्ख़ टिप्पणियाँ की थीं उनसे सचिव पायलट काफी आहत हुए थे | आज भी उनके दिल में
उनकी टीस बनी हुई है | सचिन पायलट ने हाई कमान के सामने भी यह मुद्दा उठाया और कहा कि मैं व्यक्तिगत
राजनीति नहीं करता | संवाद में विनम्रता और शालीनता का ध्यान रखा जाना चाहिए | सचिन ने हाई कमान के
सामने पार्टी के सिद्धांतों में अपनी पूर्ण आस्था व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी
उसका वे पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे | अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि घर वापसी सचिन ने अपनी शर्तों
पर की है अथवा इसके अलावा उनके सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था |यह भी बताया जाता है कि सचिन
गुट में भी फूट पड़ने लगी थी और लगभग आधा दर्जन विधायक मुख्य मंत्री के खेमें में लौटने के इच्छुक थे |
बहरहाल सचिन पायलट की घर वापसी ने मुख्य मंत्री अशोक गहलोत की स्थिति और मजबूत कर दी है | अब
देखना यह है कि मुख्यमंत्री विधान सभा सत्र के बाद उनका मान, सम्मान और स्वाभिमान सुनिश्चित करने में
कितनी दिलचस्पी दिखाते हैं | सचिन पायलट भी एकदम अकेले नहीं हैं | उन्हें पार्टी के युवा नेताओं का पूरा
समर्थन है |युवा साथियों ने ही उनकी घर वापसी के लिए हाई कमान पर दबाव बनाया | अब देखना यह है कि
सचिन पायलट पार्टी में अपना खोया हुआ सम्मान और स्वाभिमान कब तक अर्जित कर पाते हैं |


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