-नईम कुरेशी-
इस्लाम के आखिरी पैगम्बर साहब के मुल्क में सत्ता बदलते ही खास बदलाव आने की खबरें आम होती जा रही हैं।
दुनिया के पत्रकारों का एक वर्ग इसे अच्छा भी मान रहा है। सऊदी अरब शुरू से ही अमेरिका के खास प्रभावों में
माना जाता रहा है। वहाँ की सुरक्षा भी अमेरिकी सरकार देखती आ रही है।
सऊदी अरब में इस्लामी कानूनों पर अमल होता आया है। हाथ काटने व गला काटना आम बात रही है, जो
मानवतावादियों व दुनियाभर में अच्छा नहीं माना जाता रहा है। इस्लाम यूँ तो समाजवादी व समतावादी कहा जाता
है उस पर आम लोग खूब सम्मान करते देखे जा रहे हैं। जयसी, अमीर खुसरो से लेकर संत कबीर गीत, गजलों,
दोहों, चौपाइयों के बादशाह तक इसमें देखे जाते हैं। कड़े कानूनों से अपराध भी कम होते हैं फिर भी उन्हें लचीला
बनाया जाना ही चाहिये इसलिये ये सब जरूरी भी था।
नाच गाने होंगे
अब सऊदी अरब में शराब परोसी जायेगी, नाच गाने भी होंगे। हज़रत दाऊद के दौर में भी संगीत इस्लाम में जायज
हो चुका था। नाच तो अभी भी वहां होता ही है पर कम होता है, लुका छिपी से होता है। लोग दावा करते हैं कि
अरब शेख मासूम बच्चों तक को ऊँट पर बंधवाकर दौड़ाते हैं। बच्चे रोते हैं, डरते हैं, गिर कर मर जाने की खबरें
भी हैं। हाल ही में यहां शाहरूख खान व अन्य फिल्मी तारिकाओं के खुलेआम डांस शोर होने शुरू हो गये हैं। ये कोई
बुरी बातें नहीं पर धार्मिक आड़ में औरतों के हकों को दबाना भी गलत था ना। यहां अभी-अभी औरतों को कार
चलाने की इजाजतें मिल सकी थीं। ये कहें कि सऊदी अरब विज्ञान की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है ठीक है। ईरान,
ईराक जैसे लोग इससे हैरत में हैं पर विज्ञान की तरफ जाना तो बुराई भी नहीं है।
सरिया का कानून से दूरी
इस बात का स्वागत होना चाहिये कि अरब वाले सरिया कानून से दूरी बनाते आ रहे हैं। कुछ कट्टर मुसलमानों
तब्लीगी जमातों से दूरी बनाने जा रहे हैं। अरब की औरतें यकीनन खूबसूरत हैं योरोप, अमेरिका से भी शायद कुछ
ज्यादा हों पर बुरके के कवर से उनकी खूबसूरती में ग्रहण लग जाता है। औरतें, बेटियां खूबसूरत हैं तो उसमें उनका
क्या गुनाह है उन पर पर्दा डालना जरूरी नहीं है और फिर धर्म तो महज अपना निजी मामला है न। इसमें आपसी
बैर न हो वरना तरक्की रुक जाती है। जैसे भारत में इसका असर देखा जा रहा है धर्म की अफीम से आम लोगों
को कहीं प्रताड़ित भी किया जा रहा है। इसे प्रशासन नहीं रोक पाता है। मुस्लिम देशों कतर, ईरान, ईराक,
बांग्लादेश, यू.ए.ई. आदि में खूब तरक्की की। यहां की महिलायें योरोप, इंग्लैण्ड आदि से पीछे नहीं हैं, कहीं-कहीं
आगे हैं। फ्रांस, जर्मन की तो बात ही निराली है। सऊदी अरब को धार्मिक मुल्क माना जाता है वहां तो कड़ाई से
सरिया कानून लागू होता आया है जो ठीक नहीं कहा जा सकता है। यहां के राजकुमार ने सत्ता हथिया कर काफी
लोकतन्त्र की तरफ चले जाना अच्छी बात है। सऊदी अरब अब और बेहतर तरक्की कर सकेगा।