विकास गुप्ता
साल 2020 भले बहुत ज्यादा समस्याएं लेकर आया लेकिन जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़कर
सभी चुनौतियों का सामना करने में देश का नेतृत्व किया और देश को एकजुट किया वह अपने आप में मिसाल
है। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से निबटने में जहां दुनिया के बड़े नेताओं के हाथ-पाँव फूले जा रहे थे
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समय पर और सही निर्णय लेकर देश को बड़ा नुकसान होने से बचा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जनता कैसे एकजुट हो जाती है यह दुनिया ने तब देखा जब उन्होंने
जनता कर्फ्यू का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपीलों का असर कैसा होता है यह दुनिया ने तब
देखा जब प्रधानमंत्री ने कोरोना वारियर्स के प्रति सम्मान प्रकट करने और महामारी के खिलाफ लड़ाई के दौरान
नया उजाला करने के लिए पहले ताली और थाली बजाने की अपील की, फिर दीया और मोमबत्ती जलाने की
अपील की। बड़े से बड़े व्यक्ति ने भी देश के साथ खड़े होकर दीया जलाया और गांव में रहने वाले गरीब ने भी
जैसे-तैसे कर दीया जलाया और प्रधानमंत्री की ओर से उठाये जा रहे कदमों का समर्थन किया। प्रधानमंत्री ने
पीएम केयर्स फंड बनाकर लोगों से दान की अपील क्या की देखते ही देखते लोग आगे आने लगे और इस फंड
ने चाहे प्रवासी मजदूरों को राहत दिये जाने की बात हो, वेंटिलेटर खरीदे जाने की बात हो…तमाम मोर्चों पर देश
की मदद की।
संकट के समय सबसे बड़ी परीक्षा देश का नेतृत्व कर रहे व्यक्ति की ही होती है और पूरी दुनिया ने देखा कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ना सिर्फ भारत में रहने वालों की चिंता की बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों में बसे
भारतीयों और वहां फँसे भारतीयों की भी चिंता की। यही नहीं भारत की विश्व कल्याण की भावना को आगे
बढ़ाते हुए समय-समय पर विभिन्न जरूरत वाली दवाइयों को दुनिया के बड़े देशों को भी भेजा गया और छोटे
देशों की भी सिर्फ दवा ही नहीं चिकित्सा उपकरणों और अन्न से भी मदद दी गयी। ब्राजील के प्रधानमंत्री ने तो
नरेंद्र मोदी की तुलना हनुमानजी से करते हुए कहा था कि वह संजीवनी बूटी लेकर आ गये हैं। लॉकडाउन के
कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए तो मनरेगा का दायरा बढ़ाते हुए उसके लिए बजट में विशाल वृद्धि
की गयी ताकि गरीबों, मजदूरों को आमदनी होती रहे। लोग कर्ज की किश्तों का भुगतान नहीं कर पा रहे थे तो
आरबीआई ने उन्हें छह महीने के लिए राहत दी। दुनिया ने देखा कि कैसे भारत के प्रधानमंत्री समय-समय पर
टीवी के माध्यम से देश को संबोधित करते हुए महामारी के खिलाफ लड़ाई में जनता का मार्गदर्शन भी कर रहे
हैं और उनके लिए तमाम राहतों का ऐलान भी कर रहे हैं। यह भी पहली बार हुआ कि देश के प्रधानमंत्री ने
राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में उद्योगपतियों, कंपनियों और अन्य नियोक्ताओं से हाथ जोड़ कर अपील की
कि अपने कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं काटें। उद्योग के जो भी क्षेत्र मंदी की गिरफ्त में आये उनके लिए
तमाम प्रोत्साहन दिये गये। अंतरिक्ष समेत नये-नये क्षेत्रों को निजी कंपनियों के लिए खोला गया। इसके साथ ही
पहली बार 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज जनता के लिए पेश किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान सिर्फ भारत में कोरोना की रोकथाम तक ही नहीं रहा बल्कि उन्होंने वीडियो
कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पहले सार्क देशों की बैठक की पहल की ताकि पड़ोस में यह महामारी थमे और इससे
एकजुटता के साथ लड़ा जा सके। इसके बाद उन्होंने तमाम वैश्विक मंचों की बैठक बुलाने की पहल की और
भारत ने दिखाया कि संकट के समय अपना ख्याल रखते हुए पूरी दुनिया की चिंता कैसे की जाती है और
दुनिया की मदद कैसे की जाती है।
शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्रियों के साथ इतना संवाद किया होगा जितना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ एक वर्ष में किया। समय-समय पर मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना की स्थिति पर
चर्चा करने के अलावा उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार के हर मंत्रालय को उन्होंने विशेष रूप
से सक्रिय किया। यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्र की
हस्तियों, मीडिया जगत के लोगों, उद्योगपतियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बॉलीवुड हस्तियों, खेल प्रतिभाओं के
साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के अपने मंत्र
पर आगे बढ़ते हुए प्रधानमंत्री ने महामारी से निबटने के दौरान सभी दलों के नेताओं को भी विश्वास में लिया
और सर्वदलीय बैठकों के माध्यम से उनके विचार कोरोना से लड़ाई के मुद्दे पर भी जाने और वैक्सीन के मुद्दे
पर भी जाने। कोरोना जिस तरह अपनी चाल बदलता रहा उसको लेकर प्रधानमंत्री चिकित्सा विज्ञानियों के भी
सतत संपर्क में बने रहे ताकि सरकार की रणनीति हमेशा कारगर साबित हो।
चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री ने नये कानून तो बनवाये ही उनकी हर जरूरत का
भी ख्याल रखा गया। यही नहीं कोरोना वैक्सीन की प्रगति को लेकर स्वयं प्रधानमंत्री विभिन्न कंपनियों के
संपर्क में बने रहे और सरकार की ओर से वैक्सीन निर्माण के लिए रिसर्च के दौरान भारी योगदान भी किया
गया ताकि घरेलू स्तर पर यह वैक्सीन बन सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात के लिए चिंतित रहे कि
लॉकडाउन के दौरान चीजों का अभाव नहीं हो। चिकित्सा उपकरणों की कमी नहीं हो, लॉकडाउन के दौरान अपने
राज्य चले गये प्रवासी मजदूरों के पास खाने की कमी नहीं हो। गरीबों के खाने की चिंता के साथ ही अन्नदाता
की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने नये कृषि सुधार कानून लागू करवाये। इस एक वर्ष में हर वर्ग के लिए
तमाम तरह की कल्याण योजनाएं घोषित की गयीं साथ ही आम लोगों समेत उद्योग जगत को विभिन्न प्रकार
की रियायतें दी गयीं। लॉकडाउन से भले भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा लेकिन प्रधानमंत्री की
नीतियों के चलते और आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को गति मिलने के कारण वापस अर्थव्यवस्था में बड़ा उछाल
सामने आ रहा है। स्वयं वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के प्रति काफी आशान्वित
नजर आ रही हैं।
बात सिर्फ कोरोना से लड़ाई की नहीं थी। खुद को प्रधान सेवक और देश का चौकीदार मानने वाले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने चीन को ऐसा सबक सिखाया है जिसकी उसने कल्पना तक नहीं की होगी।
पूर्वी लद्दाख में चीनी हिमाकत का मुँहतोड़ जवाब दिया गया। घायल जवानों का हाल जानने और एलएसी पर
तैनात जवानों का हौसला बढ़ाने खुद प्रधानमंत्री पूर्वी लद्दाख पहुँचे और चीन को सीधी चेतावनी दी। यही नहीं
जब पूरा देश दीवाली मना रहा था तब प्रधानमंत्री जैसलमेर में भारतीय सेना के वीर जवानों को मिठाई खिला
रहे थे। देश ने इस दौरान विभिन्न चक्रवातों और तूफानों का सामना भी किया और प्रधानमंत्री वहां भी पहुँचे,
हालात का जायजा लिया और मदद की घोषणा की। मौका आने पर प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के
अधिवेशन को संबोधित करते हुए उसकी कार्यशैली पर कई बड़े सवाल उठाये। राजनीतिक मोर्चे पर भी
प्रधानमंत्री ने कमान सँभाली और बिहार में अगर आज एनडीए की सरकार है तो उसका पूरा श्रेय नरेंद्र मोदी को
जाता है। इसके अलावा इस साल हुए विभिन्न चुनावों और उपचुनावों में भाजपा ने अपनी शानदार जीत का श्रेय
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों को ही दिया है।
जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से कराये गये चुनाव हों या युवाओं को उद्यमी बनने के लिए
प्रेरित करने की बात हो, रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर बड़े उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने की बात
हो… सभी क्षेत्रों में काफी काम किया गया है। साल 2020 में अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए
भूमि पूजन के साथ ही प्रधानमंत्री ने संसद के नये भवन के निर्माण के लिए भी भूमि पूजन किया। संसद के
नये भवन के निर्माण कार्य की राह में भले बाधाएं पैदा करने के प्रयास किये जा रहे हों लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी का विजन स्पष्ट है और वह बार-बार स्पष्ट कर चुके हैं कि राजनीति इंतजार कर सकती है लेकिन
विकास इंतजार नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो महासंकल्प भारतीयों को
दिलाया है उसमें हर व्यक्ति अपने-अपने स्तर से योगदान दे रहा है।