वानर के वानर

asiakhabar.com | January 27, 2018 | 5:03 pm IST
View Details

सत्यपाल सिंह के साथ बड़ी ज्यादती हो रही है। विरोधी तो विरोधी, अपने तक मुंह बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं। शिक्षा के मामलों के बड़े मंत्री, जावड़ेकर ने तो कह दिया है कि सत्यपाल सिंह को डार्विन वगैरह के मामलों में पड़ना ही नहीं चाहिए। यह अन्याय नहीं तो और क्या है? छोटे मंत्री हुए तो क्या हुआ, सिंह साहब आखिरकार हैं तो शिक्षा के मंत्री। शिक्षा का मंत्री अगर बच्चों को शिक्षा भी नहीं बांटेगा तो क्या ‘‘पद्मावत’ के विरोध में बसें जलाएगा! फिर सत्यपाल सिंह ने जो कुछ कहा है, हमें तो उसमें कुछ भी गलत नहीं लगता है। क्या किसी ने किसी को बंदर से आदमी बनते देखा है? बेशक, इंसानों में भी बंदरों के लक्षण पाए जाते हैं। कुछ इंसानों में बंदरों के लक्षण काफी ज्यादा पाए जाते हैं। यहां तक कि कुछ तो बजरंग बली के नाम पर अपने झुंड का नाम भी रख लेते हैं। कहने वाले तो कहते हैं कि कम हों या ज्यादा, हरेक इंसान में बंदर के लक्षण होते ही हैं। लेकिन लक्षण मिलने से ही तो बंदर से इंसान का कनैक्शन साबित नहीं हो जाता है। बंदर का हमारा पुरखा होना तो हरगिज, हरगिज नहीं। है कोई सबूत? दूसरे मान लेते होंगे पर सत्यपाल सिंह से बिना सबूत किसी रिश्ते पर विास करने की उम्मीद कोई न करे। जिंदगी भर पुलिस की नौकरी की है, सबूत और गवाही का महत्त्व उनसे ज्यादा कौन जान सकता है? उन्होंने तो पुरखों तक की गवाही करा ली, लेकिन न मौखिक और न लिखित, किसी ने बंदर के इंसान बनने की गवाही नहीं दी। विज्ञान सबूत मांगता है। सत्यपाल सिंह विज्ञान भी पढ़े हैं। बिना सबूत के कैसे मान लें किसी डार्विन की बात। माना डार्विन ने ऐसा नहीं कहा है, फिर भी अगर बंदर, इंसान बन सकता है, तो इंसान भी तो पलट कर बंदर बन सकता है। इसका खतरा कौन मोल लेना चाहेगा? कल को किसी ने शिक्षा मंत्री के ही पलटने की अफवाह फैला दी तो? नर को नर और वानर को वानर ही रहने दो। डार्विन गलत ही भला, कम-से-कम शिक्षा मंत्री के हाथ में उस्तरा होने पर शोर तो नहीं मचेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *