लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल 5 राज्यों के चुनाव

asiakhabar.com | October 10, 2023 | 6:21 pm IST
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-सनत जैन-
केंद्रीय चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है। 16 करोड़ मतदाता पांच राज्यों के चुनाव में मतदान करेंगे। इस चुनाव में लगभग 60 लाख नए मतदाता 18 वर्ष की उम्र के जुड़े हैं। यह पहली बार मतदान करेंगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में सीधी टक्कर है। तेलंगाना और मिजोरम में क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस और भाजपा को अपनी ताकत दिखानी है। तेलंगाना में स्थित अभी भी अस्पष्ट बनी हुई है। पूर्वोत्तर राज्यों में भी जिस तरीके की स्थिति देखने को मिल रही है। उसमें मिजोरम के चुनाव परिणाम भी इस बार आश्चर्यजनक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी। इन चारों राज्यों में 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा था। चुनाव परिणाम के कुछ महीनो बाद कर्नाटक और मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार दल बदल के कारण गिर गई थी। यहां पर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सरकार बना ली थी। 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को अपनी ताकत मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दिखानी है। कहा जा रहा है, कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मजबूत है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में दोनों कड़ा मुकाबला है। 2018 के चुनाव और 2023 के चुनाव में एक अंतर यह है, कि इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन की राजनीति से देश का राजनीतिक समीकरण बदला हुआ है। पिछले 5 वर्षों में कांग्रेस भी पूर्व की तुलना में काफी मजबूत हुई है। कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता इस बार भी बहुत उत्साहित, और संगठित हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी काफी दबाव में दिख रही है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से भारतीय जनता पार्टी ने अपने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारा है। पहले यह माना जा रहा था, कि गुजरात की तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी नए उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारेगी। पुराने मंत्री और विधायकों की टिकट कटेगी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की जो सूची उम्मीदवारों की जारी हुई है। मध्य प्रदेश की चौथी सूची में सारे समीकरण बदल गए हैं। भाजपा की चौथी सूची में लगभग सभी मंत्रियों और विधायकों को टिकट देकर भाजपा ने अपनी रणनीति में परिवर्तन कर लिया है। जो इस बात का संकेत है कि भारतीय जनता पार्टी इस विधानसभा चुनाव को लेकर भारी दबाव में है। इस बार के विधानसभा चुनाव में महिला आरक्षण बिल, जातीय जनगणना, महंगाई, बेरोजगारी, धार्मिक एवं जातीय ध्रुवीकरण का असर मतदाताओं पर स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। सत्तारूढ़ दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बार मतदाताओं के लिए बहुत सारी लोक लुभावन घोषणाएं कर रखी हैं। इस चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारियों में भारी नाराजी है। पहली बार भारतीय जनता पार्टी के अंदर नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के बीच भारी मतभेद देखने को मिल रहे हैं। अन्य दलों से आए नेताओं को पार्टी के टिकट और महत्वपूर्ण पद देने से, समर्पित कार्यकर्ता नाराज है। भारतीय जनता पार्टी छोड़कर या खुले आम मतभेद व्यक्त करने वाली स्थिति भाजपा में पहली बार देखने को मिल रही है। अभी तक कांग्रेस पार्टी मैं इस तरह की बगावत देखने को मिलती थी। आर्थिक मंदी, महंगाई और बेरोजगारी का असर भी इस चुनाव में को प्रभावित करेगा। ऐसी स्थिति में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के जो परिणाम होंगे। वह लोकसभा चुनाव की पृष्ठभूमि को तैयार करने का कारण बनेंगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने अपने क्षेत्रीय क्षत्रपों को महत्व नहीं दिया है। उसके स्थान पर नए नेतृत्व देने की कोशिश की है। पांचो राज्यों के चुनाव इस बार प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और भाजपा के कमल सिंबल पर लड़े जाएंगे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में भाजपा को कड़े संघर्ष से गुजरना पड़ रहा है। एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन का मध्य प्रदेश के अंदर कोई विशेष प्रभाव नहीं है। यहां पर कांग्रेस भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है। इंडिया गठबंधन के अन्य दलों के प्रत्याशी भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े करने जा रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से इंडिया गठबंधन की रणनीति कमजोर होगी। वोटो के बंटवारे का लाभ निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी और एनडीए को विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में मिलना तय माना जा रहा है। बहरहाल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के लिए एक सेमीफाइनल की तरह होंगे। जो देश में मतदाताओं के रुख को पहचान कर लोकसभा चुनाव की तैयारी करने के लिए पक्ष और विपक्ष को तैयारी करने का एक मौका और देंगे। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता भी मतदाताओं की कसौटी में कसी जाएगी। क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़े जा रहे हैं।


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