संयोग गुप्ता
कुछ खास शहरों तक रेल का सफर दोबारा शुरू कर सरकार ने लॉकडाउन खोलने के ठोस संकेत दिए हैं।
मुख्यमंत्रियों से संवाद के बाद प्रधानमंत्री मोदी इससे भी बड़ा फैसला ले सकते हैं, क्योंकि अब लॉकडाउन खोलना
राष्ट्रीय जरूरत और सरोकार है। इस संवाद का विश्लेषण बाद में करेंगे, लेकिन 12 मई से 15 बड़े शहरों तक
यात्री रेलगाड़ी की नए सिरे से शुरुआत एक स्वागत-योग्य निर्णय है। फिलहाल रेलगाडि़यां नई दिल्ली स्टेशन से ही
खुलेंगी। टिकट ऑनलाइन ही ले सकते हैं, क्योंकि अभी स्टेशन पर टिकट विंडो नहीं खोली जाएंगी। संक्रमण का
खतरा अब भी बरकरार है। बहरहाल इस फैसले के निहितार्थ स्पष्ट हैं कि अब सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को
खोलने का मन बना लिया है। रेल का नया सफर कई शर्तों और कायदे-कानूनों से बंधा होगा। साफ है कि सरकार
अभी कोरोना वायरस से जुड़े एहतियात को नहीं छोड़ सकती, क्योंकि सामुदायिक संक्रमण के खतरे अब भी हैं।
बेशक पाबंदियां कम होती जाएंगी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान के संयम, अनुशासन और चिकित्सीय प्रबंध की
बुनियादी अपेक्षा रहेगी। लॉकडाउन से भारत सरकार और और देश की जनता को जो हासिल होना चाहिए था, उसके
परिणाम स्पष्ट हैं कि करीब 16 लाख टेस्ट करने के बावजूद संक्रमित मामले 67, 152 आए हैं। संक्रमण से
ठीक होकर घर लौटने वालों की संख्या भी 20, 917 है और मौतें 2206 हुई हैं। ये चार महीने में कोरोना
वायरस के कहर, सोमवार 11 मई की सुबह तक, के आंकड़े हैं। इन पर अमरीका और यूरोपीय देशों की तुलना में
संतोष किया जा सकता है। इस दौरान सिंगापुर यूनिवर्सिटी का एक शोधात्मक आकलन सामने आया है कि 20
मई तक भारत में कोरोना वायरस मर जाएगा। विशेषज्ञों के दूसरे वर्ग का आकलन है कि भारत में संक्रमण की जो
औसत दर है, उसके मुताबिक मई माह के अंत तक करीब दो लाख कोरोना मामले सामने आ सकते हैं। बीते
रविवार-सोमवार के 24 घंटों में 4213 लोग संक्रमित हुए हैं। यह अभी तक का सर्वाधिक आंकड़ा है, लेकिन
विमर्श इन बिंदुओं पर जारी है कि अब देश को लॉकडाउन से मुक्त किया जाए, ताकि बाजार खुल सकें और आम
आदमी तक लाभ पहुंच सके। लॉकडाउन की एक सीमा है, उससे पार देश को तालाबंद नहीं रखा जा सकता। बेशक
दो गज की दूरी, मास्क, स्क्रीनिंग, सेनेटाइजेशन आदि की व्यवस्थाएं लॉकडाउन खोलने के बाद भी बरकरार रहेंगी।
नए रेल सफर के मद्देनजर ये तमाम व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। फ्रांस और ब्रिटेन में भी एहतियात के ऐसे ही
प्रयोग करते हुए तालाबंदी को खोलने के निर्णय लिए गए हैं। लॉकडाउन के दौरान हमारी चिकित्सीय व्यवस्था को
जो तैयारियां करनी थीं और जिन उपकरणों के उत्पादन तय किए जाने थे, वे तमाम व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं।
लॉकडाउन खोलने के साथ-साथ कुछ और फैसले भी करने होंगे। मसलन-रेड जोन को दोबारा परिभाषित करना होगा।
इस क्षेत्र में आप पूरी गली, मुहल्ला, आवासीय सोसायटी आदि को ही बंद नहीं कर सकते। रेड जोन के तौर पर
एक निश्चित जगह को चिह्नित करें और उस पर ही पाबंदी लगाएं। पूरा जिला या इलाका हॉट स्पॉट नहीं हो
सकता। इसी तरह ओरेंज जोन को भी परिभाषित करना होगा। अब लॉकडाउन खोलना सरकारी मजबूरी भी है,
क्योंकि देश की लंबे वक्त तक तालाबंदी संभव नहीं है। यकीनन लॉकडाउन खुल जाए, लेकिन हमारी बदली हुई
जीवन-शैली सामने आएगी। वायरस पलटवार भी करता है। ऐसा स्पेनिश फ्लू के दौरान भी हुआ था, जब जून,
1918 में वायरस का प्रकोप समाप्त मान लिया गया, लेकिन नवंबर में वह फिर फैलने लगा। एक किताब के
मुताबिक, करीब शताब्दी पूर्व फैले उस फ्लू में करीब 1.80 करोड़ लोग मारे गए थे। लिहाजा कोरोना के संदर्भ में
भी माना जा रहा है कि वह हमारी जिंदगी से अलग नहीं होगा। हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी
पड़ेगी, लेकिन लॉकडाउन के बंधन अब खोल देने चाहिए।