सुरेंदर कुमार चोपड़ा
कारोबारी गतिविधियों को लंबे समय तक रोक कर रखने का नतीजा अर्थव्यवस्था पर साफ नजर आने लगा है। इस
दृष्टि से सिनेमाघरों और दूसरी गतिविधियों को भी खोलना जरूरी था। मगर कोरोना विषाणु का प्रकोप अभी समाप्त
नहीं हुआ है। प्राथमिक जांच और संक्रमण रोकने संबंधी एहतियाती उपाय किए जा रहे हैं, पर अब तक के अनुभवों
से यही जाहिर है कि बुखार नापने, हाथ की सफाई, मुंह ढंकने आदि जैसे उपाय संक्रमण रोकने में पूरी तरह
मददगार साबित नहीं हो पाए हैं। इसलिए अनेक देशों में इस महामारी की लहर रह-रह कर उठती रही है। अभी
हमारे यहां इसका खतरा कुछ अधिक बना हुआ है। पराली जलाने से वातावरण में धुएं की गाढ़ी परत जमा होने से
संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है। सर्दी का मौसम शुरू हो रहा है और इस मौसम में हवा पृथ्वी की सतह के
निकट संघनित होने लगती है। उस समय कोरोना का कहर बढऩे का खतरा रहेगा। जीवन की गतिविधियों को लंबे
समय तक रोक कर नहीं रखा जा सकता, इसलिए कामकाज चलते रहने देना जरूरी है। हालांकि सरकारें लगातार
हिदायत दे रही हैं कि लोग सावधानीपूर्वक घरों से बाहर निकलें और संक्रमण से बचने के लिए सभी जरूरी उपायों
का पालन करें। मगर देखा जा रहा है कि जैसे ही बंदी हटनी शुरू हुई, लोग इस कदर मनमाने ढंग से घरों से बाहर
निकलने लगे और बाजारों में भीड़भाड़ बढऩे लगी, जैसे कोरोना का भय पूरी तरह समाप्त हो गया हो।
शारीरिक दूरी बनाए रखने, मुंह ढंकने जैसे नियमों का पालन करना अब भी जरूरी है, पर लोगों को जैसे इसकी
कोई परवाह नहीं रह गई है। सरकारी दफ्तरों आदि में जहां इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है, वहां तो फिर
भी लोग मुंह ढंके मिल जाएंगे, पर सामान्य बाजारों में इसका पालन करते कम ही लोग देखे जा रहे हैं। छोटे
शहरों-कस्बों में चलने वाले सार्वजनिक वाहनों में सवारियां कोरोना काल से पहले की तरह ही ठूंस कर भरी जा रही
हैं। लोग चाट-पकौड़े की दुकानों पर पहले की तरह भीड़ लगाए दिखने लगे हैं। यह सब देखते हुए चिंता बढऩा
स्वाभाविक है।
किसी भी महामारी से तब तक नहीं निपटा जा सकता जब तक कि लोग खुद सावधानी बरतते हुए उससे बचने का
प्रयास न करें। बहुत सारी संक्रामक बीमारियां लोगों की मनमानी से फैलती और महामारी का रूप ले लेती हैं। ऐसा
भी संभव नहीं है कि प्रशासन हर वक्त लोगों पर नजर रखे और उन्हें मुंह ढंकने, शारीरिक दूरी बनाए रखने जैसे
खुद पालन किए जा सकने वाले नियमों को लेकर सख्ती बरते और फाइन लगाए। हाल में स्वास्थ्य मंत्री को भी यह
कहने को मजबूर होना पड़ा कि लोगों की लापरवाही से संक्रमण ज्यादा फैला। इसलिए अगर हमें कोरोना से बचना
है तो मास्क और सुरक्षित दूरी जैसे उपायों को तो अपनाना ही होगा। देश में रोजाना जिस संख्या में कोरोना
संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, उससे यह तो स्पष्ट है कि महामारी का प्रसार अभी कमजोर नहीं पड़ा है।
हालांकि पिछले एक हफ्ते के दौरान संक्रमण के मामलों में कमी तो आई है और स्वस्थ होने की दर भी बढ़ रही है,
लेकिन चिंता की बात यह है कि महामारी के प्रति लोग अब लापरवाह होते जा रहे हैं और इससे बचाव के उपायों
को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह नहीं भूलना चाहिए कि जब तक इस महामारी से बचाव का कोई इलाज नहीं खोज
लिया जाता, तब तक इससे बचाव के उपाय ही हमारी रक्षा कर सकते हैं। यह मान बैठना बड़ी भूल होगी कि
संक्रमण का प्रसार अब खत्म हो चुका है, इसलिए अब खतरे की कोई बात नहीं है। चिकित्सा विशेषज्ञ ऐसी आशंका
भी जता रहे हैं कि तमाम मामलों में अभी भी लक्षणों का उभर कर नहीं आना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है और
ऐसे संक्रमिक लोग भी विषाणु के वाहक बन रहे हो सकते हैं। बाजार और दूसरी गतिविधियां इसलिए शुरू की गई हैं
ताकि लोगों को सुविधा हो सके और कारोबारी गतिविधियां भी चलती रहें। इसका मतलब यह नहीं कि इस तरह
लोगों को मनमानी करने, अपने और दूसरे के जीवन को खतरे में डालने की छूट मिल गई है। जब तक कोरोना की
भरोसेमंद दवा नहीं खोज ली जाती, तब तक इस महामारी का खतरा बना रहेगा। ऐसे में लोगों को खुद जिम्मेदार
नागरिक की भूमिका निभानी होगी।