राजीव गोयल
कोरोना की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई। नए संक्रमित केसों का आंकड़ा कम जरूर हुआ है लेकिन मौत का
आंकड़ा कम होता दिखाई नहीं दे रहा। महाराष्ट्र और केरल में जीका वेरियंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उत्तर
प्रदेश में कोरोना के नए वेरियंट के मरीज मिलने से चिंता बढ़ गई है। इसी बीच पर्वतीय राज्यों के पर्यटक स्थलों
पर भीड़ उमड़ने की जो तस्वीरें सामने आई हैं उससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय
काफी चिंतित हो उठे हैं। पर्यटक स्थलों की स्थिति को लेकर समीक्षा भी की जा रही है और राज्यों को जरूरी दिशा-
निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं। पर्यटक स्थलों पर उमड़ी लोगों की भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे लोग
कोरोना की तीसरी लहर को आमंत्रित कर रहे हैं। यह सही है कि लॉकडाउन की पाबंदियां खत्म की जा चुकी हैं।
बाजार, रेस्तरां, बार और कुछ राज्यों में सिनेमाघर आवश्यक गाइड लाइन्स जारी कर खोल दिए गए हैं। यह छूट
इसलिए दी गई ताकि जनजीवन सामान्य हो सके और लोग पाबंदियों की जकड़न से बाहर आ सकें। देश की
अर्थव्यवस्था जकड़न से बाहर आए और आर्थिक गतिविधियां सामान्य ढंग से चलें।
जैसे ही बाजार खुले लोग बिना मास्क लगाए बाजारों में उमड़ पड़े। दिल्ली के बाजार कोरोना गाइड लाइन्स का
पालन नहीं किए जाने के कारण एक के बाद एक बंद करने के कदम उठाने पड़ रहे हैं। लोग हैं कि मानते ही नहीं।
मनाली, मसूरी, शिमला और अन्य पर्यटक स्थलों पर उमड़ी भीड़ की तस्वीरें देखकर होटल व्यवसायी और स्थानीय
लोग जरूर खुश होंगे। उन्हें उम्मीद है कि पिछले दो माह के लॉकडाउन के दौरान उनकी ठप्प दुकानदारी चलेगी।
लोगों में इस बात का कोई खौफ नजर नहीं आ रहा कि जरा सी भी लापरवाही उनकी जान जोिखम में डाल
सकती है। हरिद्वार में कुम्भ के आयोजन और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद कोरोना की दूसरी लहर
ने िवकराल रूप ले लिया था और कोरोना वायरस गांव तक पहुंच गया था। कोरोना से मरने वालों की संख्या
सरकारों के लिए भले ही एक आंकड़ा हो लेकिन उन परिवारों से पूछिये जिन्होंने अपने सदस्यों को खोया है। उन
बच्चों से पूछिये जिन्होंने अपने अभिभावकों में से किसी एक को खोया है या फिर दोनों को खोया है।
पर्यटक स्थलों पर कोई होटल खाली नहीं है। मसूरी के कैम्प टी फॉल में लोग बेपरवाह होकर नहा रहे हैं। ऐसे लगता
है कि लोगों को अहसास ही नहीं है कि कोरोना के चलते हमने कई करीबियों को खोया है। देश में कोरोना से मरने
वालों की संख्या 4 लाख दस हजार के आंकड़े को छू चुकी है। लोगों को देेखकर तो ऐसा लगता है कि भारत में
कोरोना महामारी कभी आई ही नहीं हो।
यह सही है कि एक साल से भी ज्यादा समय से पाबंदियां झेल रहे लोगों की मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा
है। यह भी यथार्थ है कि लोगों को लगातार घरों में बंद नहीं रखा जा सकता। इसलिए लोग बाहर निकल रहे हैं
लेकिन हम सबको समझना होगा कि सबसे बड़ी प्राथमिकता खुद को सुरक्षित रखने और दूसरों का जीवन बचाने की
है। हमें ‘जियो और जीने दो’ का सिद्धांत अपनाना होगा। पहले तो हिमाचल और उत्तराखंड ने दूसरे राज्यों से आने
वाले लोगों के लिए आरटीपीसीआर टैस्ट अनिवार्य बना रखा था लेकिन बाद में इसे वापिस ले लिया गया। इसी का
नतीजा है कि लोग पर्यटक स्थलों पर निकल पड़े। 13 जुलाई को गणेश चतुर्थी है। अब अगस्त में रक्षाबंधन के
त्यौहार के साथ उत्सव सीजन शुरू हो जाएगा। फिर उसके बाद श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार आता है, फिर
अक्तूबर में नवरात्र आते हैं। अक्तूूबर में ही विशेषज्ञों ने तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी कर रखी है। जिस तरह
से कोरोना के नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं उससे तो लगता है कि तीसरी लहर की शुरूआत हो चुकी है। केन्द्र
सरकार की हिदायत पर अब राज्य सरकारों को फिर से पाबंदियां लागू करने को विवश होना पड़ रहा है। अब कांवड़
यात्रा को भी अनुमति देने की वकालत की जा रही है।
भारत एक आस्थावान देश है लेकिन आस्था में इंसानियत भी निहित है। भीड़ में कौन सा व्यक्ति संक्रमित है या
कौन बिना लक्षणों का व्यक्ति दूसरों को संक्रमित कर रहा है, कुछ पता नहीं चलता। बेहतर यही होगा कि तीसरी
लहर को न्यौता न दें। वर्ना महामारी पर काबू पाना मुश्किल होगा। राष्ट्र को महामारी से बचाने के लिए जरूरी है
कि पर्वतीय पर्यटक स्थल तो हम तभी देख पाएंगे जब हम जीवित रहेंगे। हमारी लापरवाही हमारे सभी प्रयासों पर
पानी फेर सकती है।