अशोक कुमार यादव मुंगेली
चलो नया साल में कुछ नया करेंगे।
हार को फिर भव्य जीत में बदलेंगे।।
अतीत की बीती बातें याद आयेंगी।
कभी रुलायेंगी तो कभी हँसायेंगी।।
क्या खोया है और क्या पाया हमने?
खुद उन्नति की गणित लगाया हमने।।
समय लाता परिवर्तन और स्थिरता।
मानव मानसिक शक्ति में गंभीरता।।
सब कुछ भूल कर नव शुरुआत होगी।
एक बार फिर संघर्ष से मुलाकात होगी।।
प्रयासों का बीज धरती पर बोते चलेंगे।
तभी हमको कर्म का मीठा फल मिलेंगे।।
उम्मीद की कलम से तकदीर लिखेंगे।
जीवन की पुस्तिका में सात रंग भरेंगे।।
बढ़ेंगे आगे सभी भर कर मन में जुनून।
लक्ष्य को पाकर हमको मिलेगा सुकून।।