सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक याचिका स्वीकार किये जाने के बाद न्यायालय का नाम लेकर चौकीदार
चोर है, का प्रचार करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने बयान से पलट गए हैं। उन्होंने सर्वोच्च
न्यायालय में कहा कि उन्होंने ऐसा बयान चुनावी जोश में कह दिया, ऐसी गलती अब दोबारा नहीं होगी।
राहुल गांधी की इस स्वीकारोक्ति के बाद यह तो प्रमाणित हो ही जाता है कि वे राफेल मामले पर बिना
किसी प्रमाण के ही सर्वोच्च न्यायालय का नाम लेकर चौकीदार चोर है का नारा लगा रहे थे। अदालत में
राहुल के दिए बयान से यह भी साबित हो गया कि वे न सिर्फ अपनी बल्कि गलतबयानी करके कांग्रेस
पार्टी की भी फजीहत करा रहे थे। ऐसा लगता है कि राहुल गांधी ने चुनावी जोश में अपना होश ही गंवा
दिया है। यहां पर एक सवाल यह भी आता है कि क्या अब राहुल गांधी का चुनावी जोश ठंडा हो जाएगा,
क्योंकि वह स्वयं ही यह कह चुके हैं कि ऐसा उन्होंने चुनावी जोश में कह दिया, जो भविष्य में नहीं
होगा। मतलब अब राहुल गांधी चुनावी जोश नहीं दिखाएंगे। अगर वे अंतिम चरण के मतदान तक जोश
में रहते हैं तो हो सकता है कि कोई और गलतबयानी कर सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रॉफेल
खरीदी मामले में समाचार माध्यमों में दी गई खबरों के आधार जिस याचिका को पुनर्विचार के लिए
स्वीकार किया है, उसका कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गलत अर्थ निकालकर यह कहना प्रारंभ कर दिया
था कि अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। वास्तविकता यह है कि
सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा बिलकुल नहीं कहा था। याचिका का स्वीकार किया जाना एक नियमित प्रक्रिया
का हिस्सा है। इसके स्वीकार करने के बाद किसी भी प्रकार की निर्णायक ध्वनि भी नहीं निकलती।
लेकिन राहुल गांधी ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का नाम लेकर गलत बयानी की। शायद,
इसीलिए कुछ लोग उन्हें ''पप्पू'' कहते हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राफेल मामले में यह कहने के बाद
भी कि इस सौदे में किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी
द्वारा कई बार यह कहा जाना कि चौकीदार चोर है, वास्तव में देश की जनता को गुमराह करने जैसा ही
कदम है। वर्तमान में जिस प्रकार से लोकसभा चुनाव में प्रचार किया जा रहा है, उसमें प्राय: यही देखा
जा रहा है कि वर्तमान केन्द्र सरकार के विरोध में विपक्षी राजनीतिक दलों को किसी भी प्रकार का कोई
मुद्दा नहीं मिला, लेकिन विपक्ष विशेषकर कांग्रेस ने पूरी तरह झूठ पर आधारित ''चौकीदार चोर है,
नामक मुद्दा हवा में उछाल दिया। बाद में भले ही इस मुद्दे की हवा निकल गई, लेकिन कांग्रेस को
जितना प्रचारित करना था, उतना उसने कर ही दिया। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल
मामले के लीक दस्तावेजों को सही मानते हुए राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका स्वीकार की थी। इसके
पश्चात सर्वोच्च न्यायालय की इस कार्यवाही को राहुल गांधी ने राजनीतिक रुप दे दिया और कहा कि
अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है। राहुल गांधी के इस बयान पर
भाजपा की सांसद मीनाक्षी लेखी ने एक याचिका प्रस्तुत कर न्यायालय की अवमानना की शिकायत दर्ज
कराई थी। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली
बेंच ने साफ करते हुए कहा कि न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में ऐसा कोई वक्तव्य नहीं
दिया है, जैसा राहुल गांधी कह रहे हैं। राहुल गांधी ने न्यायालय के बयान को आम जनता के समक्ष
गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। अब चूंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने बयान से पूरी तरह से
पलटी मार चुके हैं, तब यह स्वाभाविक ही है कि अब कांग्रेस की ओर से सर्वोच्च न्यायालय का नाम
लेकर चौकीदार चोर है का नारा नहीं दिया जाएगा। सरकार ने कई बार यह कहा है कि राफेल सौदे में
कोई चोरी नहीं हुई, इसके बाद भी राहुल गांधी चौकीदार चोर है का नारा लगाते रहे हैं। इसे कांग्रेस के
लिए विसंगति ही कहा जाएगा कि उसके पास अभी मात्र एक ही नारा था, जिसके सहारे वह चुनाव प्रचार
कर रहे थे। हालांकि इस नारे में प्रारंभ से ही किसी प्रकार की ताकत नहीं थी, लेकिन कहा जाता है कि
कांग्रेस को प्रचार के लिए किसी न किसी नारे की आवश्यकता थी, सो उसने इसी झूठे नारे को अपना
आधार बनाया। सवाल यह आता है कि कांग्रेस अब किस नारे के सहारे अपना चुनाव प्रचार करेगी।
जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त शासन दिया है। अब चूंकि
सर्वोच्च न्यायालय में राहुल गांधी ने इस नारे पर खेद प्रकट कर दिया है, तब स्वाभाविक ही है कि
भाजपा को और मजबूत होने का आधार मिल गया है। अब चौकीदार चोर है के नारे को लेकर कांग्रेस पर
प्रहार किया जाएगा। ऐसा लगता है कि जिस प्रकार से पिछले चुनाव में मोदी को चाय वाला कहकर
कांग्रेस ने हंसी उड़ाई थी, उसके बाद देश के सारे चाय वाले मोदी के पक्ष में आकर खड़े हो गए थे, वैसे
ही इस चुनाव में भी कांग्रेस ने मोदी के चौकीदार शब्द को लेकर हंसी उड़ाई है। नतीजतन देश के
विभिन्न हिस्सों में और सोशल मीडिया पर खुद को चौकीदार कहनेवालों की प्रतियोगिता जैसी चल रही
है। संभव है कि कांग्रेस का यह कदम भी कहीं उसके लिए कहीं आत्मघाती न बन जाए।