-डॉ श्रीगोपाल नारसन- (एडवोकेट)
कोई पद न होने पर भी उनकी राजनीतिक हैसियत कभी कम नही हुई।किसी भी दल में क्यों न रहे हो,लेकिन
मित्रता हर किसी से रहती थी।जमीनी स्तर तक जनता से जुड़े रहना, उन्हें अच्छी तरह से आता था।किसी
मंत्री,सांसद या विधायक के कार्यालयों जितनी कार्यकर्ताओ की भीड़ उनके कार्यालय पर भी बनी रहती थी।हरिद्वार
के स्वाधीनता सेनानी परिवार में जन्मे अम्बरीश कुमार के राजनीतिक जीवन का एक लंबा इतिहास रहा है। अपने
साथियों के लिए मर मिटने वाले अम्बरीश कुमार उत्तर प्रदेश विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक के पुरस्कार से भी
सम्मानित हुए थे।सन 2019 में हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर उन्होंने चुनाव भी लड़ा था, लेकिन
भाजपा प्रत्याशी डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से हार गए थे।
उनकी गिनती हमेशा एक दिग्गज नेता के रूप में होती रही। मुझे उनके लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हाई कमान की
ओर से बतौर प्रवक्ता एबीपी न्यूज चैनल पर एक घण्टे की डीबेट में भाग लेने का अवसर मिला था।अम्बरीश कुमार
अक्सर मुझे फोन कर ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करते रहते थे।हरिद्वार के सदस्यता अभियान के प्रभारी के रूप में
उन्होंने मेरी व संगठन की बहुत मदद की थी। 21 जुलाई को अमृतबेला के समय शरीर छोड़कर परमधाम गए
अम्बरीश कुमार का शरीर भी अब पंचतत्व में विलीन हो गया हैं। हरिद्वार में कनखल श्मशान घाट पर पूरे सम्मान
के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। अम्बरीश कुमार की बेटी प्रियमवता गोयल ने उन्हें मुखाग्नि दी।इसी के
साथ उत्तराखंड की राजनीति का यह बड़ा सूरज अस्त हो गया । हरिद्वार में 'भाई जी 'के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड
कांग्रेस के बड़े नेता अम्बरीश कुमार काफी समय से बीमार चल रहे थे। अम्बरीश कुमार की अंतिम यात्रा में
कांग्रेस,भाजपा,समाजवादी पार्टी और बसपा के भी कई बड़े नेता शामिल हुए।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक,
हरिद्वार सांसद व पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ,कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश
रावत,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी अम्बरीश कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अम्बरीश
कुमार के निधन को राजनीति के लिए गहरा आघात बताया । अम्बरीश कुमार ने 70 साल से ज्यादा की उम्र में
करीब आठ बार चुनाव लड़ा था। लेकिन वे सिर्फ एक बार ही जीत विधायक का चुनाव जीत पाए। छह बार वे दूसरे
नंबर पर रहे। हरिद्वार में अम्बरीश कुमार की पहचान एक जमीनी नेता के तौर रही है। उनका राजनीतिक सफर
कांग्रेस से शुरू हुआ था। इसके बाद वे समाजवादी पार्टी में सक्रिय रहे। बाद में वे फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए
थे। उत्तराखंड में हरीश रावत के बाद अम्बरीश कुमार ही एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और
राहुल गांधी तीनों के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था।सन 2019 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर हरिद्वार से आखिरी
लोकसभा चुनाव लड़ा ,लेकिन हार गए।वे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू व इंदिरा गांधी से प्रभावित
होकर कांग्रेस में आए थे। अम्बरीश कुमार के पिता हरिद्वार के एक कपड़ा व्यवसायी थे।अम्बरीश कुमार ने सन
1971 में तब कांग्रेस को ज्वाइन किया था जब पूरे देश में इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर नौजवानों ने कांग्रेस का
हाथ थामा था। एक साल के भीतर ही सन 1972 में वे हरिद्वार के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए । अम्बरीश
कुमार के चाचा ओमप्रकाश गांधी स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी के बेटे प्रभुलाल गांधी के करीबी थे। अम्बरीश
कुमार को राजनीति की असली शिक्षा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजेन्द्र कुमार गर्ग से मिली थी।तभी तो
उनमें कही न कही वामपंथीपन भी झलकता था।अंबरीश कुमार हरिद्वार की सियासत का एक जाना-माना चेहरा थे।
उनकी सक्रियता लगातार बनी रहती थी। वह चाहे किसी भी दल में रहें हों, लेकिन मुद्दों को लेकर वे हमेशा मुखर
रहे।राजनीतिक जीवन में अंबरीश कुमार को अपना सम्मान हासिल करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। सन
1996 में वह पहली बार हरिद्वार से विधायक बने थे।उन्होंने कई लोगों को अपनी राजनीतिक ताकत के बूते
विधानसभा और लोकसभा भेजा ।सन 1985 में उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर अपना क्रांतिकारी मंच
बनाया।क्रांतिकारी मंच का नगरपालिका की राजनीति में जबरदस्त वर्चस्व रहा। उत्तर प्रदेश विधान सभा में सर्वश्रेष्ठ
विधायक चुने गये अंबरीश कुमार उत्तराखंड बनने के बाद लोकलेखा समिति के अध्यक्ष भी रहे। निगम में श्रमिकों
की राजनीति से राजनीति में अपने पांव जमाने वाले अंबरीश कुमार के राजनीतिक गुरू पूर्व सांसद सहारनपुर के
चौधरी यशपाल सिंह थे।अंबरीश कुमार उच्च शिक्षित राजनेता थे।विधि से स्नातक होने के साथ ही उन्होंने
पत्रकारिता भी की।उनके ज्ञान का लोहा सभी लोग मानते थे।