राजनीतिक प्रयोग

asiakhabar.com | February 23, 2018 | 4:24 pm IST
View Details

पाल के प्रधानमंत्री और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के नेता के. पी. शर्मा ओली और मार्क्‍सवादी सेंटर के नेता पुप्प दहल कमल प्रचंड ने अपनी पार्टियों के विलय का ऐतिहासिक फैसला किया है। उनके इस फैसले से किसी को आश्र्चय नहीं हुआ क्योंकि यह उनका चुनावी वादा था। दोनों नेताओं के बीच विलय से संबंधित जो सहमति बनी है, उसके मुताबिक, पहले तीन साल ओली प्रधानमंत्री रहेंगे और उसके बाद के दो साल के कार्यकाल में प्रचंड प्रधानमंत्री होने का दायित्व संभालेंगे। इसी तरह यह भी समझौता हुआ है कि दोनों नेता संयुक्त रूप से चेयरमैन के रूप में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। नेपाल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा विलक्षण राजनीतिक प्रयोग होने जा रहा है। इसीलिए लोगों के मन में विलय के सवाल पर कईतरह की शंकाएं और दुविधाएं हैं। हालांकि पिछले दो-तीन दशकों से नेपाल जिस तरह की राजनीतिक अस्थिरता का दंश झेल रहा है, उसे देखते हुए दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों के एकीकरण की घोषणा देश की जनता के पक्ष में है। यह एकीकरण नेपाल को सुशासन की ओर ले जाने में काफी मददगार हो सकता है। हाल में संपन्न हुए प्रांतीय और संसदीय चुनावों में वाम मोर्चे को भारी जनादेश मिला है। संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा की कुल 275 सीटों में से सीपीएन-यूएमएल को 121 और माओवादी सेंटर को 53 सीटें मिली हैं, जो दो तिहाई बहुमत से थोड़ी बहुत ही कम हैं। यह जनादेश भी दोनों नेताओं को आपस में मिल कर सरकार चलाने का दबाव बना रहा है। लेकिन मूल समस्या यह है कि एक समान राजनीतिक कद के दो नेता एक पार्टी का नेतृत्व संयुक्त रूप से कैसे करेंगे? आम तौर पर एक सर्वोच्च नेता अपनी पार्टी से संबंधित या किन्हीं अन्य मसलों पर उठे विवाद को हल करने का निर्णय लेता है। दोनों पार्टियों के विलय के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल के नाम से अस्तित्व में आने वाली नईपार्टी का संयुक्त रूप से नेतृत्व करने वाले ओली और प्रचंड के बीच अगर कोई मतभेद पैदा होता है, तो उस स्थिति में क्या होगा, यह कहना मुश्किल है। इसी तरह प्रचंड को नेतृत्व सौंपना ओली के लिए बहुत आसान नहीं होगा। फिर भी दोनों नेताओं से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि नेपाल की जनाकांक्षाओं की कसौटी पर खरा उतरने के लिए वे अपने-अपने अहं को छोड़कर विलय की प्रक्रिया को उसके वांछित मुकाम तक पहुंचाएंगे और नेपाल को लोकतांत्रिक पथ पर अग्रसर कराएंगे। 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *