अशोक कुमार यादव मुंगेली
दुकानों में सजी है रंग-बिरंगी रेशमी राखी।
नग-नगिनों, चंदन, मौली और मीनाकारी।।
बाजार में दिखने लगी रक्षाबंधन की रौनक।
खरीदने आ रही हैं बहनें मन मगन सम्यक।।
यह बंधन भाई-बहन के पवित्र प्यार का है।
जीवन पर्यंत रक्षा करने और दुलार का है।।
चेहरे पर मुस्कान लिए आँखों में चमके नूर।
सफलता, उन्नति मिलेगी, बाधाएँ होंगी दूर।।
सावन पूर्णिमा के दिन मनाएँगे श्रावणी पर्व।
भाई की कलाई में सुन्दर रक्षा सूत्र का दर्प।।
माथे पर गोल तिलक है स्वीकृति का सूचक।
बहन को खुश रखने भाई बनेगा महारक्षक।।
देवी लक्ष्मी ने राखी बाँधने की शुभारंभ की।
गरीब स्त्री की रूप धारण करके गमन की।।
पाताल लोक में राखी बाँधी राजा बलि को।
वरदान माँग वापस लाई भगवान विष्णु को।।
चक्र चलाते श्रीकृष्ण को उँगली में चोट लगी।
द्रौपदी ने साड़ी का पल्लू फाड़ कर बाँध दी।।
कृष्ण ने कृष्णा को रक्षा करने का वचन दिया।
चीरहरण के समय लाज बचाई वचन निभाया।।