येस बैंक पर जब संकट के बादल मंडरा रहे थे तब खाताधारकों व विरोधी दल के नेताओं ने सरकार व आरबीआई
पर तरह-तरह के आरोप लगाना शुरू कर दिए थे क्योकि अभी तक पी एम सी बैंक का मामला गरम था। हालांकि
सरकार ने पी एम सी बैंक के हादसे के बाद जमाकर्ताओं के बीमे की रकम एक लाख से बड़ा कर पांच लाख कर दी
थी पर करोड़ों की जमा राशि के सामने यह उंट के मुह में जीरा था। चूँकि दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर
पीता है सो येस बैंक संकट से निबटने में आरबीआई और वित्त मंत्रालय व हमारी जाँच एजेंसियों ने बहुत तेजी
दिखाई वरना लोगों में देश के बैंकिंग तंत्र के प्रति अविश्वास बढ़ता। येस बैंक के ग्राहकों की समस्याएं निपटाने पर
वित्त मंत्रालय स्वयं नजर रखे रहा और आरबीआई ने धड़ाधड़ कदम उठाये। आरबीआई ने येस बैंक को संकट से
उबारने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों को निवेश के लिए मनाया, यही नहीं इन सरकारी और निजी क्षेत्र
के बैंकों के बोर्ड ने भी येस बैंक में निवेश के लिए तत्काल मंजूरी प्रदान कर दी और केंद्र सरकार ने पुनर्गठन
योजना को येस बैंक संकट उत्पन्न होने के महज सप्ताह भर के अंदर मंजूरी प्रदान कर दी, यह सब दर्शाता है कि
यदि इच्छाशक्ति प्रबल हो तो किसी भी संकट से निबटा जा सकता है। जरूरत इस बात की होती है कि लोग धैर्य
बनाएं रखें और सरकार पर विश्वास रखें। सबसे खास बात यह रही कि येस बैंक के संस्थापक राणा कपूर और
उनके परिवार पर जिस तेजी के साथ कार्रवाई की गयी उससे लोगों में संदेश गया कि घोटाले करने वालों को बख्शा
नहीं जायेगा चाहे वह कितना भी बड़ा आदमी क्यों ना हो।
अब जो पुनर्गठन योजना सामने आई है उसके मुताबिक येस बैंक को संकट से उबारने के लिए एस बी आई 49
प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगा। इसके अलावा निजी क्षेत्र का ऐक्सिस बेंक 600 करोड़ रुपये का का निवेश करेगा
और हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एच डी एफ सी की ओर से 1,000 करोड़ रुपये तथा कोटक महिन्द्रा बेंक की ओर से
500 करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा। आई सी आई सी आई येस बैंक में 1000 करोड़ रुपए और निजी क्षेत्र
का बंधन बेंक 300 करोड़ रुपए येस बैंक में निवेश करेंगे। फेडरल बैंक ने भी संकट में फंसे निजी क्षेत्र के यस बैंक
में 300 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि एस बी आई की सलाह के मुताबिक
येस बैंक के एडमिनिस्ट्रेटर प्रशांत कुमार को बैंक का नया सी ई ओ बनाया जायेगा। सरकार ने जो अधिसूचना जारी
की है उसके मुताबिक सात दिनों के भीतर येस बैंक का नया निदेशक मंडल गठित कर लिया जायेगा। सरकार ने
इस बात के पुख्ता प्रबंध किये हैं कि येस बैंक के पुनर्गठन की योजना कहीं बीच में धराशायी ना हो जाये इसके
लिए निजी क्षेत्र के बैंकों पर यह बाध्यता रहेगी कि येस बैंक में वह जितने शेयर खरीद रहे हैं उसके 75 प्रतिशत
पर तीन साल का लॉक-इन रहेगा यानि निजी बैंक येस बैंक में खरीदे गये कुल शेयरों में से 75 प्रतिशत तीन साल
तक नहीं बेच पाएंगे जबकि एसबीआई पर मात्र 26 प्रतिशत शेयरों पर ही तीन साल की लॉक-इन अवधि रहेगी।
उल्लेखनीय है कि येस बैंक के बोर्ड को भंग कर जब उस पर तमाम तरह की पाबंदियां लगा दी गयी थीं तो एकदम
भूचाल-सा आ गया था। देश के बड़े निजी बैंकों में शुमार येस बैंक के ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग सुविधा और
यूपीआई के माध्यम से भुगतान सेवा और एटीएम से नकदी निकालने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा
था। जो लोग देश या विदेश यात्रा पर थे उनके सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी कि खाते में पैसे होने के बावजूद
वह इसे निकाल नहीं पा रहे थे। इसी तरह चालू खाता धारकों को भी तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना
पड़ा क्योंकि 50 हजार रुपए की मासिक निकासी सीमा से उनका कुछ नहीं होने वाला था। यही नहीं येस बैंक के
देशभर में 1800 से ज्यादा एटीएम पर लाइन लग गयी, कैश खत्म हो गया तो बैंक ने यह सुविधा प्रदान की कि
आप किसी भी बैंक के एटीएम से तय सीमा के तहत राशि निकाल सकते हैं। लेकिन अब संकट दूर हो गया है
जिससे लोगों को बड़ी राहत मिली है। सरकार और आरबीआई को येस बैंक प्रकरण से सीख लेते हुए निजी और
सहकारी बैंकों पर खासतौर पर सतत निगरानी बनाये रखने की जरूरत है। काश सरकार ने जो तत्परता येस बैंक के
मामले में दिखाई सरकार ने यदि पी एम सी बैंक मामले में भी दिखाई होती तो आज उसके खाताधारक दरबदर
नहीं होते।