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आंचल
कपकोट, उत्तराखंड
यूं ही दुनिया हमें डराती नहीं,
यूं ही दुनिया हमें सताती नहीं,
पल भर की है ये चहचहाहट,
जिसमें ये हमे तड़पाती नहीं,
बेटी होना पाप है, ये हमें बताती नहीं,
क्या हमारा भाग्य खराब है?
या हमें दुनिया में लाना पाप है?
क्या ये क़सूर हमारा है?
या फिर डर हमारा है,
क्या लोग इतने स्वार्थी हैं?
या फिर हम इनसे घबराती हैं?
यूं ही दुनिया हमें डराती नहीं,
यूं ही दुनिया हमे सताती नहीं,
बेटी होना कोई पाप नहीं,
क्यों लोगों को बताती नहीं?