-राकेश अचल-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बहुत छलिया हैं। उन्होंने भाजपा और आरएसएस के साथ ही प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी की दुखती रग को छेड़ दिया है। केजरीवाल ने कहा है कि मोदी जी की तो रिटायरमेंट की उम्र हो चुकी है, उनके बाद कौन उनकी दी जा रही गारंटियां लेगा? केजरीवाल को ऐसा नहीं कहना चाहिए, क्योंकि मोदी जी आम आदमी पार्टी का नहीं भारतीय जनता पार्टी का अंदरूनी मामला हैं।
केजरीवाल की टिप्पणी के बाद पूरी भाजपा बिलबिला गयी है, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री और मोदी जी के हनुमान श्री अमित शाह से नहीं रहा गया। उन्होंने कह ही दिया कि मोदी जी अभी रिटायर होने वाले नहीं हैं, वे 2029 तक देश के प्रधानमंत्री रहेंगे। शाह साहब आखिर मोदी जी के बारे में इससे ज्यादा क्या कहते? वे ये तो नहीं कह सकते थे कि मोदी जी 2034 तक प्रधानमंत्री रहेंगे या 2047 तक? शाह साहब को खुद नहीं पता कल के बारे में। लेकिन मैं चाहता हूँ कि मोदी जी कब तक प्रधानमंत्री रहेंगे ये भाजपा या शाह या केजरीवाल पर नहीं खुद मोदी जी के ऊपर छोड़ देना चाहिए। कोई उन्हें लालकृष्ण आडवाणी जी की तरह धकियाकर प्रधानमंत्री बने ये मुझे बर्दाश्त नहीं।
भारत की राजनीति में जैसे कांग्रेस के राहुल गांधी मोदी जी के सिर पर सवार एक भूत हैं ठीक उसी तरह मोदी जी का भूत राहुल गांधी के ही नहीं बल्कि पूरे विपक्ष और देश की 37 फीसदी आबादी के सिर पर सवार हैं। भूत होना कोई बुरी बात नहीं है। भूत ही अभूतपूर्व होता है। मोदी जी को नाश्ते में हर रोज दो किलो गालियां लगतीं हैं, वे अभूतपूर्व होने पर भी मिल रहीं है और भूतपूर्व होने पर भी आसानी से मिलेंगीं। जैसे मोदी जी दस साल बाद भी हर असफलता के लिए कांग्रेस की सरकार और देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर सत्रहवें प्रधानमंत्री को कोसते रहते हैं, उन्हें भी वही उपचार उपलब्ध रहेगा।
दरअसल मोदी जी को लेकर देश ही नहीं पूरी भाजपा और भाजपा की जननी आरएसएस बुरी तरह से उलझ गयी है। दोनों के पास इस सवाल का कोई फौरी जबाब नहीं है कि – मोदी के बाद कौन? इस सवाल पर दोनों संस्थाएं मौन हैं। तय है कि मोदीजी के बाद कोई तो होगा? किन्तु किसी में इतना साहस नहीं है कि वो मोदी जी के सामने ये घोषणा कर सके कि मोदी के बाद फलां साहब भाजपा की और से प्रधानमंत्री के प्रत्याशी होंगे। ये समस्या ठीक वैसी ही है जैसी कि कांग्रेस में है। कांग्रेस में – राहुल के बाद कौन पर सब मौन रहते हैं। ? हालाँकि कांग्रेस में राहुल के बाद उनकी बहन खड़ी नजर आतीं है लेकिन भाजपा में तो मोदी के बाद कोसों, मीलों दूर तक केवल और केवल मोदी जी ही दिखाई देते हैं।
मुझे तो कभी -कभी लगता है कि आज भी मोदी के आगे या पीछे केवल मोदी जी ही हैं। ठीक उसी तरह जैसे तीतर के आगे दो तीतर, तीतर के पीछे दो तीतर होते हैं यानि आगे तीतर, पीछे तीतर। अब बोलो कितने तीतर? भाजपा में मोदी एक नहीं अनेक का प्रतीक हैं। वे अपने पूर्ववर्ती अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ही नहीं अपितु संघ के संस्थापक से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जायेंगे। भाजपा चाहकर भी मोदी जी को किसी कालपत्र में रखकर जमीदोज नहीं कर सकती। [कालपात्र बनाने और उसे जमीदोज करने का सिलसिला तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने शुरूकिया था], मुझे लगता है कि अरविंद केजरीवाल खामखां माननीय मोदी जी से उलझ रहे हैं। उन्हें खुछ ख़ास हासिल नहीं होगा सिवाय इसके कि वे भी मोदी जी की तरह दिल्ली वालों से अपने लिए तीसरा कार्यकाल मांगेंगे। क्योंकि आम आदमी पार्टी में भी केजरीवाल के बाद कोई नहीं है। और अगर हैं तो इतने हैं कि केजरीवाल के बाद खुद आपस में लड़-भिड़कर समाप्त हो जायेंगे। हाँ केजरीवाल के पास एक विकल्प है जो मोदी जी के पास नहीं है। केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता को दिल्ली की राबड़ी देवी बना सकते हैं , लेकिन मोदी जी ऐसा सात जन्म में भी नहीं कर सकते। क्योंकि उन्होंने अपने पहले जन्म में ही अपनी पत्नी का त्याग कर दिया। अपने उत्तराधिकारी के रूप में पत्नी को बैठने की इस परम्परा के लिए भारत की राजनीति माननीय लालू प्रसाद यादव की सदियों तक आभारी रहेगी। लालू जी को इसी अभिनव प्रयोग के लिए भारतरत्न मिलना चाहिए था।
बहरहाल अभी लोकसभा चुनाव के तीन चरण शेष हैं। तीन चरण के बाद आठवां चरण मतगणना का होग। इसी के बाद पता चलेगा कि देश को मोदी के किसी उत्तराधिकारी की जरूरत है भी या नहीं? वैसे जैसे पति-पत्नी की जोड़ी बनाने का काम ऊपर वाला करता है वैसे ही उत्तराधिकारी बनाने का काम भी किसी न किसी के हाथ में तो होगा ही। अब नेहरू जी कौन सा शास्त्री जी को अपना उत्तराधिकारी घोषित करके गए थे, लेकिन वे नेहरू जी के उत्तराधिकारी बने। ऐसे ही शास्त्री जी के बाद इंदिरा गाँधी को भगवान ने ही शास्त्री जी का उत्तराधिकारी बनाया कि नहीं? इंदिरा जी के बाद मोरारजी भाई या चौधरी चरण सिंह को किसी ने भी इंदिरा गाँधी का उत्तराधिकारी नहीं बनाया था लेकिन वे बने।
उत्तराधिकार किस्मत से मिलता है। जैसे राजीव गांधी के बाद वीपी सिंह को मिला। वीपी सिंह के बाद चंद्रशेखर, नरसिम्हाराव और अटल बिहारी बाजपेयी को मिला। देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल और डॉ मनमोहन सिंह को मिला। खुद नरेंद्र मोदी जी को मिला। ऐसे ही केजरीवाल को परेशान नहीं होना चाहिए कि मोदी जी के बाद कौन उनका उत्तराधिकारी होगा। फिलहाल अगर ताकत है तो पहले मोदी जी को अभूतपूर्व से भूतपूर्व बनाने की जुगत बैठाइये, अन्यथा घर बैठिये।