जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र अपनी जड़ों तक पहुंच गया है। वहां पहली बार पंचायती राज, अपने संपूर्ण संदर्भों के साथ,
स्थापित हुआ है। जम्मू-कश्मीर में 30,000 से ज्यादा जन-प्रतिनिधि पंचायतों में चुनकर आए हैं। गौरतलब यह रहा
है कि देश का ‘पंचायती राज दिवस’ पहली बार सांबा, जम्मू की पल्लू पंचायत में मनाया गया और प्रधानमंत्री मोदी
ने समूचे जम्मू-कश्मीर को संबोधित किया। यह अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद का पहला परिदृश्य है, जहां
लोकतंत्र के साथ विकास की संभावनाएं भी स्पष्ट हैं। यह संघशासित क्षेत्र आगामी 25 सालों में विकास की नई
गाथा लिखेगा, प्रधानमंत्री अपने इस दावे को और स्पष्ट करते, तो बेहतर रहता, लेकिन आज हमारी ‘जन्नत’ में
काफी उल्लास और सक्रियता महसूस की गई, पर्यटन बहार पर है, लिहाजा अगली गर्मियों तक सभी बुकिंग हो चुकी
हैं। उम्मीद है कि लाखों सैलानी कश्मीर जाएंगे, तो वहां का कारोबार भी चमकेगा और राजस्व भी हासिल होगा।
ऐसे बदलते कश्मीर में प्रधानमंत्री ने 20,000 करोड़ रुपए की सौगातें दी हैं। शिलान्यास के साथ शुभारंभ भी किए
गए हैं। बेहद महत्त्वपूर्ण बनिहाल-काजीगुंड सुरंग का उद्घाटन किया गया, जिससे जम्मू और श्रीनगर की दूरी करीब
2 घंटे कम हो जाएगी। ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला को लिंक करने वाला ऑर्क ब्रिज भी जल्द ही देश को मिलेगा।
सुरंग बनने से अब बारिश, ओलावृष्टि, हिमपात की कोई चिंता नहीं। सुरंग का रास्ता 24 घंटे, सातों दिन खुला
रहेगा। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के लिए दो पनबिजली परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, तो 7500 करोड़
रुपए की लागत वाले दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे का भी शिलान्यास किया। इससे मां वैष्णो देवी के धाम तक
पहुंचने में सुविधा होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि बहुत जल्द कन्याकुमारी की देवी को वैष्णो देवी धाम
से जोड़ा जाएगा। देश आज़ादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है, तो 75 ‘अमृत सरोवर’ बनाए जाएंगे। उनके जरिए
स्वतंत्रता सेनानियों और ‘क्रांतिवीर शहीदों’ के परिवारों को जोड़ा जाएगा। सांबा में 108 जन औषधि केंद्रों की
शुरुआत की जाएगी, ताकि आम आदमी को सस्ती दवाएं उपलब्ध हो सकें। नए कश्मीर में नए निवेश की घोषणा
स्पष्ट संकेत है कि निजी कंपनियां निवेश कर रही हैं। प्रधानमंत्री के साथ संयुक्त अरब अमीरात के बिजनेस लीडर
भी मौजूद थे। वे जम्मू-कश्मीर में 3000 करोड़ रुपए का निवेश करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया
कि बीते दो सालों में ही 38,000 करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है, जबकि आज़ादी के बाद सात दशकों के
दौरान 17,000 करोड़ रुपए का ही निवेश किया गया था। बहरहाल प्रधानमंत्री ने खासकर युवाओं का आह्वान करते
हुए कहा है-‘मेरे शब्दों पर भरोसा रखिए। मैं हर तरह की दूरियां मिटाने आया हूं।’ प्रधानमंत्री की घोषणाओं और
दावों पर उनके राजनीतिक विरोधी संदेह और सवाल कर सकते हैं, लेकिन हम इन्हें नए विकास और नई
लोकतांत्रिक धारा की नई शुरुआत मान रहे हैं। परिसीमन की प्रक्रिया भी आखिरी चरण में है। मई की शुरुआत में
ही आयोग की रपट आना प्रस्तावित है। उसके बाद विधानसभा चुनावों की गहमागहमी शुरू होगी।
लोकतंत्र का एक और निर्णायक अध्याय आरंभ होगा। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा बहाल होगी। राज्य शेष भारत
के कानूनों से जुड़ चुका है और मुख्यधारा से जुडऩे की गति विधानसभा बनने के बाद शुरू होगी। प्रधानमंत्री के इस
देशव्यापी आयोजन के अर्थ राजनीतिक भी हैं, लेकिन उसे भी लोकतंत्र से ही जोड़ा जाएगा। बेशक कश्मीर का चेहरा
बदलना है। अब वह कश्मीर नहीं चाहिए, जिसे भारत-विरोधी बना रखा गया था। दो-दो ध्वज थे और केंद्रीय कानूनों
को लागू नहीं किया जा सकता था। अनुच्छेद 370 के बाद कई पाबंदियां तोड़ दी गई हैं। अब कश्मीर में भी ‘तिरंगा’
लहराया जाता है। सवाल है कि नए कश्मीर में, नए निवेश और नई सियासत के साथ नए अवसर पैदा होंगे अथवा
नहीं? वैसे प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि कश्मीर में 2.40 लाख रोजग़ार के अवसर सृजित होंगे। नौकरियों और
भर्तियों की स्थिति क्या होगी, वह भी देखनी है। कुछ नई शुरुआत की गई हैं, जिनकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने
की। आतंकवाद अब भी मोदी और भारत सरकार के लिए गंभीर चुनौती है। जिस दिन यह खूबसूरत आयोजन जम्मू
में किया गया, उसी दिन कश्मीर में सुरक्षा बलों को लश्कर के आतंकियों के साथ मुठभेड़ करनी पड़ी। तीन
आतंकियों को ढेर कर दिया गया, लेकिन इस बिंदु पर भी अब कारगर होने की जरूरत है कि बचे-खुचे पाकपरस्त
आतंकवाद का खात्मा कैसे करना है।