-नव्यान शर्मा-
पिछले कुछ दशकों में अगर वैश्विक समाज पर आप नजर डालें तो इस दौर की सबसे बड़ी उपलब्धि आप क्या मानेंगे? बेशक जवाब अलग-अलग होंगे और विविधता से भरे होंगे।इंटरनेट से लेकर सचिन तेंदुलकर या मेरेडोना तक का नाम भी इस उपलब्धि के तौर पर लिया जाएगा। यह सब कमोबेश व्यक्तिगत पसंद पर आधारित होगा। लेकिन पिछले 60-70 वर्षों का एक सर्वाधिक प्रशंसनीय पहलू जो अविवादित तौर पर हर व्यक्ति स्वीकारेगा कि हां यह पिछले कुछ दशकों की सबसे बड़ी सामूहिक वैश्विक उपलब्धि है तो वह उपलब्धि, वह कामयाबी है। एक उदार, स्वतंत्र और न्याय पूर्ण समाज की वैश्विक स्तर पर स्थापना। बेशक हमने तकनीकी, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक स्तर पर पिछले कुछ दशकों में बहुत सी उपलब्धियां पाई है लेकिन एक राजनीतिक विचार का व्यक्ति होने के कारण मैं पूरी दुनिया में पिछले 70 वर्षों में बढ़ती हुई उदारता, लोकतंत्र के बुलंद होते झंडे, विचार विनिमय के साधनों में होती बढ़ोतरी, फ्री प्रेस और एक आजाद माहौल को वैश्विक मानवीय समाज की सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूं। इतिहास में नए विचारों को लेकर इतनी आजादी, इतना तेज संचार और उन विचारों के लिए इतना सुरक्षित वातावरण शायद कभी भी उपलब्ध ना था।
भारत ने भी इन्हीं पिछले 60–70 वर्षों में ही आजादी का स्वाद चखा है और बहु सांस्कृतिक, उदार लोकतांत्रिक समाज और राष्ट्र की संकल्पना पर कार्य किया है और भारत के इन्ही लोकतांत्रिक मूल्यों का चरम आया 2012 में। आज से करीब एक दशक पहले हम सब ने भारत में सिविल सोसाइटी की आवाज को इतने बड़े स्तर पर आजादी के बाद पहली बार सुना। अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल एवं अन्य बहुत से प्रतिभावान महानुभावों के नेतृत्व में पूरा भारत सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के खिलाफ और लोकपाल के समर्थन में सड़कों पर उमड़ता दिखाई दिया। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस सरकार के खिलाफ ही नहीं बल्कि यह एक सड़ चुकी व्यवस्था के खिलाफ शांत मगर बहुत तीव्र विद्रोह था।
विरोध की इसी तीव्र लपट से जन्म हुआ 26 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी का। भारत में हमेशा ही सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों से राजनीति के कीचड़ में ना उतरने की अपेक्षा की जाती है और ज्यादातर संगठन राजनीति से दूर रहते हुए अविवादित और आराम से भरी गतिविधियां करते हुए समय व्यतीत करते रहते हैं। बेशक राजनीति का स्वरूप कीचड़ जैसा होता है मगर फूल भी इसी कीचड़ में ही खिलते हैं। आधुनिक समाज को विकसित और भविष्योन्मुखी बनाने का संकल्प रखने वाला संगठन राजनीति से कैसे दूरी रख सकता है। आम आदमी पार्टी के नेता और संस्थापक अरविंद केजरीवाल भी राजनीति को बदलाव का, लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का औजार मानते हुए ही राजनीति में प्रविष्ट हुए थे। पहले दिन से ही उनका और पार्टी का मिशन व्यक्तिगत या सांगठनिक लाभ लेना नहीं बल्कि आम आदमी की आवाज को देश के हर हिस्से में मजबूत करना था।
आजादी के बाद भारत में ज्यादातर समय कांग्रेस ने और खास तौर पर कांग्रेस में भी एक ही परिवार ने सत्तासीन होने का सुख भोगा। धीरे-धीरे कांग्रेस का अस्तित्व एक परिवार के हितों के पोषण के आसपास ही सिमट गया और इस प्रक्रिया में राष्ट्र का, समाज का हित पीछे छूट गया। आज जो कांग्रेस पार्टी पूरे देश में अप्रासंगिक होती नजर आ रही है। उसके पीछे मूल कारण यही है। और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर उभरी भाजपा तो हमारी पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था, हमारे उदार चरित्र के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बन गई है।
बेशक भारत को भारत के अपने चरित्र से उपजे, आजादी के समय जिन मूल्यों को हमने धारण किया उन मूल्यों को दर्शाती एक राजनीतिक दल की बेपनाह जरूरत थी। और इस जरूरत को पूरा किया आम आदमी पार्टी ने। हमारी पार्टी का मौलिक उद्देश्य ही जनता के हितों की रक्षा करना है। हमारी पार्टी की यही गुणवत्ता ही जनता के लिए प्रेरणा पुंज बनी है। हमारी पार्टी का विचार है कि “जनता हमेशा सही होती है”। देश के गरीब और आम आदमी के मुद्दों को उठाकर उन्हें राजनीति का केंद्रीय तत्व बनाना हमारी रणनीति है।
भारत में ज्यादातर चुनाव व्यक्तिगत करिश्मा और भावुकता के आधार पर लड़े जाते हैं। हम इन आधारों को रिप्लेस करना चाहते हैं, बदलना चाहते हैं। आम आदमी की समस्या ही चुनावी पटल पर मौजूद रहे और उसकी समस्या ही चुनावी मुद्दा बने यह हमारे संस्थापकों का लक्ष्य है। एक आंदोलन से उपजी पार्टी होने के कारण हम जानते हैं कि सफर बहुत कठिन होने वाला है मगर आसान रास्तों पर चलकर मंजिलें भी बौनी ही मिलती हैं। आम आदमी पार्टी के जन्म का समय भारत की परिस्थितियों ने ही तय किया है और आज तो आप पार्टी जैसे उदार दल की भारत को सख्त रूप से आवश्यकता है क्योंकि भारत में बोलने की आजादी, कहने की आजादी, हमारी उदार संस्कृति, न्याय पूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सत्ताधारी दल गंभीर हमले कर रहा है।
तो जैसे कि मैंने लेख की शुरुआत में ही लिखा है कि पिछले 70 वर्षों में जिस उदार लोकतांत्रिक व्यवस्था ने पूरी दुनिया में अपना परचम फहराया है और जिसे मैं व्यक्तिगत रूप से इस समय की सबसे बड़ी उपलब्धि मानता हूं उसके इस स्वरूप को बचाने की, बढ़ाने की, उसे विकसित करने की जिम्मेवारी निभाने में अगर आज भारतवर्ष में कोई राजनीतिक दल, कोई संस्थान अगर सक्षम है तो वह आम आदमी पार्टी ही है और इसीलिए मुझे अपने राजनीतिक झुकाव और चुनाव पर फक्र भी है और बहुत बड़ी उम्मीद भी।