हरी राम यादव
कब तक केसर की क्यारी में बारुद घुलेगी,
कब तक घाटी में घायल होंगे पेड़ चिनार?
कब तक धुलते रहेंगे सिंदूर महावर,
कब तक छिनेंगे परिवारों के आधार?
मुझे बता दो दिल्ली वाली मेरी सरकार।
कब तक मांऐं रोयेंगी छाती पीट पीट,
कब तक दुधमुंहे बच्चे करेंगे चीत्कार?
कब तक सिसक कर रोयेंगे बूढ़े बप्पा ,
कब तक बहिना खोयेंगी भाई का प्यार?
मुझे बता दो दिल्ली वाली मेरी सरकार।
खोटी नीयत वाला नीच पड़ोसी,
रोज कर रहा सैनिकों पर प्रहार?
इंदिरा गांधी सा रणचंडी बनकर,
कब कर रहे हो दुष्ट के टुकड़े चार?
मुझे बता दो दिल्ली वाली मेरी सरकार।
केवल बातें करने से बड़ी बड़ी,
क्या ठीक होगी सुरक्षा की दीवार?
वह हमारे घर में घुसकर मार रहे,
हम उनको क्यों खोज रहे हाथ पसार?
मुझे बता दो दिल्ली वाली मेरी सरकार।