लोकेन्द्र सिंह राजपूत
महिला सशक्तिकरण की दिशा में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी ‘लाड़ली बहना योजना’ को लेकर जिस प्रकार का उत्साहजनक वातावरण मातृशक्ति के बीच में बना हुआ है, उससे इस योजना की आवश्यकता एवं महत्व ध्यान में आ रहा है। अभी हाल में ग्वालियर प्रवास के दौरान विभिन्न वर्गों की माताओं-बहनों से बातचीत के बाद दो बातें अनुभव में जुड़ी हैं। एक, महिलाओं के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता गजब की है। यह मामला केवल लोकप्रियता तक सीमित नहीं है, अपितु उन्हें मुख्यमंत्री पर अटूट विश्वास भी है। दो, उनका मानना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए जितनी योजनाएं शुरू कीं, उतनी किसी और ने कभी नहीं की हैं। बेटी के जन्म से लेकर उसके विवाह और उसके बाद के जीवन की भी चिंता सरकार ने की है। शिवराज सरकार बेटी के साथ माँ का ध्यान भी रखती है। नि:संदेह, शिवराज सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही स्त्री सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत दिखी है। मध्यप्रदेश सरकार की महिला नीति को देखने से ध्यान आता है कि यह सरकार सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक रूप से महिलाओं को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। बेटी बचाओ अभियान, लाड़ली लक्ष्मी योजना, स्वागतम् लक्ष्मी योजना, गाँव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा कार्यक्रम, कन्या अभिभावक पेंशन योजना, उषा किरण योजना और मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अतिरिक्त कई अन्य कार्यक्रम एवं योजनाएं हैं, जिनके माध्यम से सरकार हर कदम पर महिलाओं के साथ खड़ी नजर आती है। स्त्री सशक्तिकरण की इसी श्रृंखला में ‘लाड़ली बहना योजना’ भी जुड़ गई है।मध्यप्रदेश सरकार ने बेटियों के प्रति संवेदनशील जननेता शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन प्रसंग पर यानी 5 मार्च 2023 को ‘लाड़ली बहना योजना’ की शुरुआत की। योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश की 1 करोड़ 25 लाख से अधिक महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रुपये यानी 12 हजार रुपये वार्षिक आर्थिक सहायता प्राप्त होगी। इस योजना की पहली किस्त 10 जून को पात्र महिलाओं के खातों में पहुँच जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि आगे चलकर योजना का आकार बढ़ेगा और महिलाओं की दी जाने वाली राशि में भी बढ़ोतरी हो सकती है। जैसे मध्यप्रदेश के किसानों को ‘किसान सम्मान निधि’ के अंतर्गत 10 हजार रुपये वार्षिक (6 हजार केंद्र और 4 हजार प्रदेश सरकार की ओर से) प्राप्त होते हैं। बहरहाल, मुख्यमंत्री पहले दिन से योजना के क्रियान्वयन पर नजर रख रहे हैं। कोई पात्र महिला योजना से वंचित न रह जाए, इसके लिए मुख्यमंत्री की पहल पर प्रदेशभर में शिविर लगाकर महिलाओं के आवेदन प्राप्त किए गए। योजना के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की आर्थिक रुकावट न आए, इसलिए पहले से ही बजट में भी योजना के लिए 8 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान कर दिया था। ‘लाड़ली लक्ष्मी योजना’ ने जिस प्रकार समाज में बेटियों के प्रति एक सकारात्मक वातावरण बनाने का काम किया है, उसी तरह की उम्मीद ‘लाड़ली बहना योजना’ से भी है। इस योजना के तीन मुख्य उद्देश्य हैं- एक, महिलाओं के स्वावलम्बन एवं उनके आश्रित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत सुधार को बनाये रखना। दो, महिलाओं को आर्थिक रूप अधिक स्वावलम्बी बनाना। तीन, परिवार स्तर पर निर्णय लिये जाने में महिलाओं की प्रभावी भूमिका को प्रोत्साहित करना। यदि यह योजना अपने इन उद्देश्यों की पूर्ति में कुछ हद तक भी सफल होती है, तब समाज में एक क्रांतिकारी बदलाव दिखायी देगा।