-विजय तिवारी-
गृह मंत्री अमित शाह ने बीजेपी सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह को कुश्ती फेडरेशन से हटाने और उनके विरुद्ध मुकदमा चलाने की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे ओलंपिक पदक विजेता महिला पहलवानों से मुलाक़ात कर कह दिया कानून को अपना काम करने दीजिये! पास्को एक्ट लगने के बाद नाबालिग पहलवान जिसने झारखंड के रांची में नेशनल जूनियर रेस्लिंग चैंपियनशिप में गोल्ड पदक जीतने वाली लड़की को कंधे से नीचे जकड़ कर कहा तुम मुझको सपोर्ट करो मैं तुमको सपोर्ट करूंगा! तब उस बालिका पहलवान ने जवाब दिया कि मैं अपने बलबूते पर यहां पहुंची हूँ और मेहनत करके आगे जाऊँगी।
अब बताया जा रहा है कि उसने अपनी शिकायत पुलिस से वापस ले ली हैं! क्यूंकि दिल्ली पुलिस ने कहा लड़की शिकायत के समय बालिग थी! सवाल यह हैं कि अपराध होते समय वह नाबालिग थी की नहीं? क्यूंकि जिस समय ब्रज भूषण शरण सिंह ने यौन अपराध किया उस समय वह जूनियर रेस्लिंग में भाग लिया था। नियमों के अनुसार कोई बालिग इस चैंपियन शिप में भाग नहीं ले सकती! अब या तो तब ब्रज भूषण शरण सिंह ने गलती की अथवा नाबालिग से छेड़छाड़ का अपराध किया! दिल्ली पुलिस की भी दलील अजब हैं, उनके अनुसार शिकायतकर्ता बालिग है। अरे भाई जब अपराध किया गया उस समय शिकायत करता तो नाबालिग थी! लेकिन राजनीतिक और पुलिस के दबाव में आकार शिकायतकर्ता के पिता ने अपनी शिकायत वापस ले ली। यह है दिल्ली पुलिस की जांच का चेहरा!
उधर मुंबई की पाक्सो अदालत ने कुस्ती और लगोरी प्रशिक्षक को एक महिला पहलवान के साथ अश्लील हरकत करने के जुर्म में सज़ा सुना दी है। लगता हैं कि गृह मंत्री अमित शाह जी को इस घटना का पता नहीं चला, वरना वे आंदोलनकारी महिला पहलवानों से यह नहीं कहते कि कानून को अपना काम करने दो। क्यूंकि एक से अपराध में यह दो प्रकार की कार्रवाई होगी एक ओर तो मुंबई की पोक्सो अदालत अवांछित रूप से महिला के बदन को छूने को अपराध मान कर सज़ा दे देता है वहीं दूसरी ओर दिल्ली पुलिस पोक्सो मामले की जांच में उम्र को लेकर ब्रज भूषण को बचाने में लगी है।
अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ ने भी आंदोलनकारी पहलवानों की शिकायतों के निराकरन के जल्दी निराकरण करने को कहा हैं परंतु केंद्रीय सरकार का नेत्रत्व अभी भी अपने सांसद को बचाने में लगा हैं। जैसा कि उसने उन्नाव के एमएलए और बलात्कार और हत्या के दोषी कुलदीप सिंह के मामले में किया था। जैसा की उसने शाहजहांपुर में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिंम्यानन्द पर बलात्कार के मामले में किया था। वैसा ही ब्रज भूषण के मामले भी हो रहा हैंI
फेडरेशन के अध्यक्ष के खिलाफ यौन उत्पीड़न की महिला पहलवानों की शिकायत की पुष्टि एक ओलंपिक, एक कामनवेल्थ गोल्ड पदक विजेता है। एक इंटर्नेशनल रेफरी है और एक राज्य स्तरीय कोच है। अब इनको मिला कर 125 गवाहों की सूची हो गयी है। परंतु दिल्ली पुलिस इन लोगों के बयानों को लेकर कार्रवाई करने के बजाय ऐसा कर रही जिससे की बीजेपी सांसद को बचाया जा सके। अफसोस तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट भी दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट को ही देख रहा है। अगर वह इस मामले के 12 गवाहों के बयानों को ही देख ले तब भी बीजेपी सांसद को नहीं बचाया जा सकता। क्यूंकि मुंबई कोर्ट के फैसले को बदलने तक तो यही हकीकत है कि यह दिल्ली पुलिस की जांच है, जो एकतरफा है और सत्ता के प्रभाव में पीडि़त महिला पहलवानों की शिकायत की अनदेखी कर रही हैं।
मुंबई पोक्सो कोर्ट का फैसला
अदालत ने कहा कि कोई भी अभिभावक अपनी लड़की के बारे में सार्वजनिक रूप से ऐसी झूठी शिकायत नहीं कर सकता जिससे उसकी लड़की के चरित्र पर आंच आए। ऐसा तभी हो सकता है जब ऐसी हरकत हद से गुजर जाये। उन्होंने कहा कि पहलवानों को ट्रेनिंग देते समय अवांछित रूप से छूना, ट्रेनिंग नहीं हो सकता। कोई भी अपनी पुत्री की प्रतिष्ठा को इस प्रकार किसी भी कारण से नहीं करेगा, जब तक वास्तविक उत्पीड़न ना हुआ हो! अब माननीय गृह मंत्री से निवेदन है कि वे इस फैसले को देखे और तब कानून नहीं वरन अदालती फैसले को नजीर मान कर दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करने को कहे। जिसमें ब्रज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी प्रमुख मुद्दा हैं।