आतंकियों के परिवारों को कथित रूप से तंग करने और उनके घरों को तबाह करने की पुलिस की कार्रवाई का विरोध अब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी करने लगी हैं। उनके इस ‘आतंकी’ प्रेम पर पुलिसबल में नाराजगी भी है।
दरअसल पिछले कुछ अरसे से आतंकियों तथा पुलिस के बीच यह चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है। कभी आतंकी किसी पुलिस वाले के घर में घुस कर उनके परिजनों को निशाना बना रहे हैं तो कभी धमकी देते हुए घर में तोड़फोड़ कर रहे हैं। पुलिस भी इन घटनाओं को हल्के से नहीं ले रही। जवाबी कार्रवाई कह लीजिये या फिर बदले की कार्रवाई, आतंकियों के परिजनों को भी ऐसे ही हालात का सामना करना पड़ रहा है।
स्थिति अब उस समय और बिगड़ गई जब पुलिस-आतंकी के चूहे-बिल्ली के खेल में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पुलिस को ‘सलाह’ देते हुए कहा है कि वे आतंकियों के परिजनों को तंग न करें और बदले की कार्रवाई न करें। हालांकि उनका साथ ही में कहना था कि ऐसा करने से स्थानीय आतंकियों के आत्मसमर्पण की मुहिम में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
इस वर्ष अप्रैल के महीने में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पांव तले से उस समय जमीन खिसक गई थी जब आतंकियों ने एक डीएसपी रैंक के अधिकारी के घर पर धावा बोलते हुए उनके परिजनों को जान से मारने की धमकी देते हुए घर में तोड़फोड़ की थी। उसके बाद चूहे-बिल्ली का जो खेल आरंभ हुआ वह समाचार लिखे जाने तक जारी था जिसमें अब मुख्यमंत्री भी कूद पड़ी हैं।
अप्रैल में ही लश्करे तौयबा के चीफ महमूद शाह ने कश्मीर के अखबारों को भेजे गए संदेश में राज्य पुलिस पर आरोप लगाया था कि वह आतंकियों के परिवारों को प्रताड़ित कर रहे हैं। इस संदेश में उसने ‘धमकी’ भी दी थी कि अगर यूं ही चलता रहा तो पुलिस अधिकारियों के परिवार उनकी गिरफ्त से दूर नहीं होंगे।
आतंकी कमांडर का वक्तव्य उस समय आया था जब जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक शेषपाल वैद ने आतंकियों को पुलिसवालों के परिवारों से दूर रहने की चेतावनी देते हुए कहा था कि वे अपनी गतिविधियों में पुलिस वालों के परिवारों को न घसीटें। उन्होंने साथ ही चेतावनी भी दी थी कि भविष्य में अगर ऐसा होता है तो आतंकियों को अपने परिवारों के बारे में सोच लेना चाहिए।
अब हालात यह है कि मामले को लेकर पुलिस और आतंकी गुट आमने-सामने हैं। परिणाम यह है कि दोनों पक्षों के बीच हो रहे वाकयुद्ध के कारण पुलिस तथा आतंकियों के परिवार डरे हुए हैं। हालांकि पुलिस अधिकारी ऐसे किसी डर की पुष्टि तो नहीं करते लेकिन कुछ आतंकी परिवारों के सदस्यों का मानना था कि दोनों की लड़ाई में परिवारों के अन्य सदस्य ही पिस जाएंगे।
ऐसा भी नहीं है कि अतीत में उन्हें बख्श दिया जाता रहा हो बल्कि आतंकी कई बार पुलिसवालों के परिवारों की जानें ले चुके हैं और बदले में पुलिस व अन्य सुरक्षा बल आतंकियों के परिवार के सदस्यों को कथित तौर पर प्रताड़ित करते रहे हैं। और अब यह ‘जंग’ तेज होने से परिवारों के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है इससे कोई इंकार नहीं कर रहा है।
ऐसे में जबकि अब मुख्यमंत्री भी अपना ‘आतंकी’ प्रेम दर्शाते हुए पुलिस को निर्देश रूपी सलाह दे रही हैं, इसने जम्मू कश्मीर पुलिस के अधिकारियों में गुस्से की लहर पैदा की है। हालांकि सार्वजनिक तौर पर कोई भी अधिकारी मुख्यमंत्री के ‘निर्देश’ का विरोध नहीं कर रहा पर दबे स्वर में विरोध के स्वर जरूर मुखर हो रहे हैं।