संयोग गुप्ता
करीब 93 साल पहले इस्लाम के प्रचार के लिए भारत के देवबंद में बनाया गया तबलीगी जमात एशिया में कोरोना
वायरस के प्रसार का बड़ा सबब बन गया है। दुनिया भर में करीब 15 करोड़ सदस्यों वाले तबलीगी जमात के
इज्तिमा से भारत ही नहीं पूरे एशिया में हड़कंप मच गया है। आलम यह है कि इस जमात की गलती की सजा
अब मलेशिया, पाकिस्तान समेत एशिया के कई देश भुगत रहे हैं। बताते हैं कि 12 मार्च को पाकिस्तान के लाहौर
शहर में दुनिया के 80 देशों के ढाई लाख लोग तबलीगी जमात के आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे। आयोजन स्थल
पर इतनी ज्यादा भीड़ जुटी कि लोगों को खुले में जमीन पर सोना पड़ा। इस बैठक में 10 हजार मौलाना भी हिस्सा
लेने पहुंचे थे। कोरोना संकट को देखते हुए पाकिस्तानी अधिकारियों ने तबलीगी जमात के धर्मगुरुओं से यह बैठक
कैंसिल करने की अपील की लेकिन जमात ने उनकी अपील नहीं मानी। इसका नतीजा यह हुआ कि तबलीगी जमात
की यह बैठक पाकिस्तान में कोरोना वायरस के प्रसार का बहुत बड़ा जरिया बन गई। पाकिस्तान में तबलीगी जमात
के 27 सदस्यों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि यह संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है। 5
दिन तक चले इस सम्मेलन में 500 विदेशी भी शामिल थे। फरवरी में तबलीगी जमात ने प्रचार के लिए 11 ग्रुप
गठित किए गए थे जो कि कसुर, चुनियान और पटोकी में प्रचार करने पहुंचे थे।
भारत में भी तबलीगी जमात की 18 मार्च को हुई एक बैठक से पूरे देश में हड़कंप जैसी स्थिति है। दिल्ली के
निजामुद्दीन इलाके में हुई इस बैठक में हिस्सा लेने वाले 10 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो गई है। यह पूरा
इलाका ही अब कोरोना का केंद्र बन गया है। यहां पर कोरोना के खतरे के बावूजद बिना इजाजत 18 मार्च को
धार्मिक कार्यक्रम किया गया, जिसमें 300 विदेशियों के साथ 1900 लोग शामिल हुए। नतीजा 10 मौतें और
300 के संक्रमित होने का खतरा है। मरकज बिल्डिंग में मौजूद लोगों में से अब तक 24 को कोरोना संक्रमित
पाया गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि यह खतरा दिल्ली तक सीमित नहीं है। तेलंगाना, तमिलनाडु से लेकर
उत्तराखंड तक कोरोना का यह खतरा फैल चुका है, क्योंकि ये सभी लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से आए और
गए हैं।
खैर तबलीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला। वहीं जमात का मतलब होता है
समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का मतलब होता है मीटिंग के लिए जगह।
दरअसल, तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। एक दावे
के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। बताया जाता है कि इस आंदोलन को 1927 में
मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। मगर अब यही पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया
है। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के आयोजन को लेकर अब घोर लापरवाही की बातें
सामने आ रही है। इस आयोजन को नहीं रोक पाने को लेकर राज्य की केजरीवाल सरकार भी घिरती जा रही है।
कहा जा रहा है कि अंडमान निकोबार प्रशासन की तरफ से जमात में शामिल 10 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने
की रिपोर्ट 25 मार्च को दिल्ली पुलिस और प्रशासन को भेजी गई थी लेकिन इस पर प्रशासन ने टाल-मटोल वाला
रवैया अपनाया और कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि मकरज में जमात में शामिल 24 और लोग कोरोना पीडि़त पाए
गए हैं। यह संख्या बढ़ सकती है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब जमात पर सवाल उठे हैं। इससे पहले भी दो
बार जमात पर अलकायदा की मदद करने और उससे जुड़े आतंकी को पनाह देने का आरोप लग चुका है।