अमरीका के राजदूत एरिक गार्सेटी के कनाडा को लेकर भारत-अमरीका संबंध बिगडऩे के बारे में किसी तरह का बयान देने से इंकार करने से यह साबित हो गया है कि इस मुद्दे पर दोनों द्विपक्षीय देशों के रिश्तों में कोई असर नहीं पड़ेगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पश्चिमी मुल्क इस मुद्दे पर भारत के साथ संबंध बिगाड़ने पर सहमत नहीं हैं। इस पूरे घटनाचक्र के बाद कनाडा पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है। यही वजह रही कि विदेश मंत्री एस जयशंकर के अमेरिका से लौटते ही केंद्र सरकार ने कनाडा के 41 राजनायिकों को देश छोड़ने के लिए कह दिया। अब कनाडा गिड़गिड़ाने की हालत में है। कनाडा ने कहा है कि इस मुद्दे पर निजी तौर पर बातचीत की जा सकती है। भारत के इस निर्णय ने कनाडा को आखिरी छोर पर धकेल दिया। भारत ने यह साबित कर दिया कि विश्व का कोई भी देश भारत पर हावी नहीं हो सकता। इस मामले में भारत की कूटनीति कामयाब रही।विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका में संयुक्त राष्ट्रसभा और एक कार्यक्रम में दो टूक बता दिया था कि कनाडा की हरकतों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दूसरे रूप में भारत के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी करने के खिलाफ कार्रवाई करने का यह संदेश विश्व के दूसरे देशों को दिया गया। विशेषकर फाइव आई में शामिल देशों को आगाह कर दिया गया कि भारत के खिलाफ कोई बयान या कार्रवाई की परवाह नहीं है। भारत ऐसी हरकतों से अच्छी तरह से निपटना जानता है। गौरतलब है कि फाइव आई में कनाडा भी शामिल है। ये देश एक-दूसरे को इंटेलीजेंस पर आधारित सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में बहुत नपा-तुला बयान देकर सारे पक्षों को साधने का काम किया। जयशंकर ने एक तरफ जहां अमेरिका से भारत के मजबूत होते रिश्तों की गहराई का जिक्र किया वहीं कनाडा को बेनकाब करने में कसर नहीं छोड़ी। जयशंकर ने कहा कि जी20 की सफलता अमेरिका के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकती थी। भारत ने सबसे शानदार जी20 सम्मेलन आयोजित किया और उन लोगों को गलत साबित कर दिया, जिन्होंने कहा था कि हम 20 देशों को एक साथ नहीं ला पाएंगे। जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार उन्हें एक अलग स्तर तक लेकर जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि ये संबंध चंद्रयान की तरह चंद्रमा तक, शायद उससे भी आगे तक जाएंगे। भारतीय विदेश मंत्री ने अपने संबोधन की रोशनी में विश्व को बता दिया कि इस नए दौर में भारत कितनी ऊंचाइयों तक पहुंच चुका है। भारत की तरक्की को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विदेश मंत्री ने कहा कि आज का भारत पहले के भारत से अलग है। उन्होंने कहा कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं जिसकी बात कर रहा हूं, वह वास्तव में एक अलग भारत है। जैसा कि आपने दूसरों से सुना है। मसलन कनाडा जैसे देश यदि भारत को हल्के में लेंगे तो मुंह की खाएंगे।
विदेश मंत्री के संदेश में यह भाव जाहिर हो गया कि विश्व के अन्य देश भारत की इस तरक्की में भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं तो ठीक है, यदि कोई बाधा पहुंचाने की कोशिश करेगा तो उसकी हालत कनाडा जैसी होगी। इस मौके पर जयशंकर भारत की उपलब्धियों का बखान करने से भी नहीं चूके ताकि बदलती दुनिया में भारत का स्थान शीर्ष पर सुनिश्चित किया जा सके। एस जयशंकर ने कहा कि यह वह भारत है, जो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने दिखाया कि वह न केवल अपने लोगों की देखभाल कर सकता है, बल्कि दुनियाभर के सैंकड़ों देशों की ओर मदद का हाथ भी बढ़ा सकता है। आज भारत में सबसे तेजी से 5जी सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। अगर भारत के कदमों में आज ऊर्जा है, अगर उसकी आवाज में आत्मविश्वास है, तो इसके कई कारण हैं। यह 10 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है… ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां हमारी क्षमताएं दोगुनी या तिगुनी हो गई हैं। वैश्विक मंच से जयशंकर ने कनाडा की बखिया उधेड़ने में भी कसर बाकी नहीं रखी। न्यूयॉर्क के कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि भारत ने कनाडा से कह दिया है कि ऐसा काम करना सरकार की नीति नहीं है। अगर आपके पास कुछ विशिष्ट या कुछ प्रासंगिक है तो हमें बताएं। जयशंकर ने कहा कि जहां तक अलगाववादी गतिविधि का सवाल है तो कनाडा में माहौल बहुत अनुकूल है। जयशंकर ने कहा कि हम बार-बार कनाडा से खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई के लिए कहते रहे हैं। हमने कनाडा की ज़मीन से संगठित अपराध किए जाने से जुड़ी काफ़ी जानकारियां भी दी थीं। भारत सरकार ने कई लोगों के प्रत्यर्पण की अपील भी कनाडा से की थी। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी चिंता ये है कि कनाडा में राजनीतिक कारणों से अलगाववादी गतिविधियों के लिए माहौल बहुत माकूल रहा है। भारतीय राजनयिकों को धमकियां दी गईं और वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया। कनाडा की लाचार हालत से यह जाहिर हो चुका है कि पश्चिमी सहित अन्य देश तभी तक किसी का साथ दे सकते हैं, जब तक उनके स्वार्थ सधते रहें। यही वजह है कि जिन देशों के दम पर कनाडा भारत को चुनौती देने का दंभ भर रहा था, मौजूदा दौर में भारत की जरूरत के मद्देनजर इन देशों ने ही कनाडा को दूध से मक्खी की तरह निकाल फेंका।