राजीव गोयल
कोरोना कोविड 19 वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह उभरकर सामने आ रही है कि
मनुष्य की रोग प्रतिरोकधक क्षमता अगर मजबूत है तो कोविड 19 का संक्रमण मनुष्य को कम ही प्रभावित कर
पाएगा। यह राहत की बात मानी जा सकती है कि भारत के निवासियों का इम्यून सिस्टम अन्य देशों के नागरिकों
के बजाए बहुत मजबूत है। हमने पिछले एपीसोड में यह बताया था कि तीन बातें कोविड 19 को प्रभावित करने के
लिए सबसे बड़ी कारक के रूप में सामने आईं थीं। ये सारी बातें देश के चिकित्सकों से चर्चा और अन्य तरह से
जानकारियों को एकत्र करने के बाद ही सामने आई थी।
चिकित्सकों का मानना है कि भारत और अमेरिका में हुए अनेक शोधों में यह बात निकलकर सामने आई है कि
भारत के लोगों में नेचुरल किलर अर्थात एनके सेल्स ज्यादा और प्रभावी होी हैं। इस तरह की एनके सेल्स के द्वारा
संक्रमण की शुरूआत के समय ही उन्हें खोजकर उन्हें निष्प्रभावी कर दिया जाता है या मार दिया जाता है।
चिकित्सकों का यह भी मानना है कि भारतीय लोगों में प्राकृतिक रूप से जलवायु परिवर्तन को सहन करने की
क्षमता ज्यादा होती है जो किलर सेल्स इम्यूनाईजेशन रेस्परेट्स अर्थात केआईआर के कारण होता है। यही कारण है
कि भारतीय लोगों में किसी भी संक्रमण से निपटने में प्रारंभिक तौर पर प्रतिरोध करने की क्षमता ज्यादा होती है।
चिकित्सकों की मानें तो ऐसा इसलिए भी होता है, कयोंकि भारत के निवासी लगातार ही किसी न किसी संक्रमण
की चपेट में आते रहते हैं। इसके कारण उनके शरीर में इस तरह के संक्रमण के प्रतिरोध के लिए एंटी बॉडीज़ का
निर्माण सतत रूप से होता रहता है। इसके अलावा एक यह बात भी शोध में सामने आई है कि मलेरिया प्रभावित
क्षेत्रों में भी देश में मृत्युदर बहुत ही कम है।
चिकित्सकों ने यह भी बताया कि एक शोध में यह बात भी उभरकर सामने आई है कि मलेरिया का एक कारक
प्लास्मोडियम फ्लेसीफेरम को अपनी बढ़ोत्तरी के लिए जिंक की आवश्यकता बहुतातय में होती है। इसके साथ ही
जिंक भी रीबोन्यूक्लिक एसिड अर्थात आरएनए पर निर्भर करता है, जो कोविड 19 के आरएनए पोलीमेजर्स को
रोकता है और क्लोरोक्वीन जिंक एम्पयोर है। संभवतः यही कारण है कि क्लोरोक्वीन का उपयोग इस संक्रमण से
निपटने के लिए किया जा सकता है।
चिकित्सकों का यह भी मानना है कि भारतीय महाद्वीप में मलेरिया एक आम बीमारी है। भारत में यह बहुतायत
में होता है इसलिए कोविड 19 के संक्रमण को रोकने में भारत की भूमिका अहम हो सकती है, इस बात से इंकार
नहीं किया जा सकता है। चिकित्सकों की यह राय भी है कि क्षय रोग अर्थात ट्यूबरक्लोसिस की रोकथाम के लिए
प्रयुक्त होने वाला टीका अर्थात बीसीजी भी 30 फीसदी तक विषाणुओं के संक्रमण को घटने में सफल दिखा है,
इसलिए इसका उपयोग भी किया जा सकता है, पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि बीसीजी का टीका इस
संक्रमण को रोकने में मददगार होगा।