-सिद्धार्थ शंकर-
जहांगीरपुरी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अतिक्रमण पर कार्रवाई के खिलाफ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
हुई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने
फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा और अगले आदेश आने तक जहांगीरपुरी में किसी तरह की कार्रवाई
नहीं करने के लिए कहा है। अदालत ने यह भी साफ किया कि उनका यह आदेश सिर्फ जहांगीरपुरी के लिए है न
कि देश के दूसरे हिस्सों के लिए। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई अब दो हफ्ते बाद होगी। उत्तर प्रदेश में जिस
तरह से माफियाओं और अपराधियों पर कारवाही हो रही है उससे यह साफ संदेश दिया जा रहा है कि योगी सरकार
अपने वादों के अनुसार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। ये तरीका काम भी खूब आ रहा है। अपराधी
जेल से बहार आने में कतरा रहे हैं। कई तो खुद सरेंडर कर रहे हैं। छोटे बड़े सभी अपराधियों में डर का माहौल
बनने लगा है। हाल ही में हुए कई एनकाउंटर और बुलडोजर की कार्यवाही से अपराधियों के मन में डर है। अपराध
पर लगाम लगाने बुलडोजर चलाने की नीति का फायदा जब यूपी को मिला, तब इसका चलन दूसरे राज्यों तक भी
पहुंच गया। इस तरह की कार्यवाही भाजपा शासित लगभग हर राज्य में देखने को मिली है। दिल्ली के बाद अब तो
बुलडोजर भाजपा शासित राज्यों से आगे बढ़कर पंजाब और जम्मू-कश्मीर तक पहुंच गया है। अंबाला में एक नशा
तस्कर के घर को गिराया गया है तो कश्मीर के बारामूला में एक आतंकी के घर को जमींदोज करने सेना बुलडोजर
साथ ले गई। एक बड़े परिदृश्य में देखा जाये तो इस बुलडोजर के वार का बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को
2024 के लोकसभा चुनाव में भी मिल सकता है। अब तक जिन राज्यों में बुलडोजर पहुंच चुका है, उन पर नजर
डालें तो सबसे पहले नंबर मध्य प्रदेश का आएगा। कुछ दिनों पूर्व रामनवमी के मौके पर खरगोन हिंसा में संलिप्त
कथित उपद्रवियों के 50 से अधिक घर तोड़े गए। मध्यप्रदेश में दो साल के अंदर भाजपा राज्य में अब तक 12
हजार करोड़ से ज्यादा रुपए की संपत्ति पर बुलडोजर चल चुका है। तो वहीं भूमाफियाओं से 15 हजार एकड़ जमीन
मुक्त कराई जा चुकी है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल के राज्य गुजरात में भी हाल ही में बुलडोजर की कार्रवाई देखने
को मिली। खम्भात में रामनवमी के मौके पर हिंसा हुई, जिसके बाद आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चलाए गए।
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की सरकार में भी बुलडोजर की कार्रवाई देखी गई। सिरसा में दो बड़ी अवैध
कॉलोनियों पर बुलडोजर चलवाया गया। बुलडोजर की कार्यवाही असम में भी देखने को मिली। यहां पिछले साल
नगांवा जिले में जब्त किए गए ड्रग्स पर बुलडोजर चलाया गया। इसको ड्रग्स की सप्लाई लाइन काटने की राह में
एक अहम कदम के रूप में देखा गया। हालांकि, एक तरफ सरकार बुलडोजर का इस्तेमाल दंगाइयों अपराधियों
माफियाओं को नियंत्रित करने के दंड के रूप में दिखा रही है तो वहीं विपक्ष ऐसी कार्रवाई पर कई तरह के सवाल
भी खड़े कर रहा है। आरोप लग रहे हैं कि ऐसी कार्रवाई से गरीबों और अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाया जा रहा है और
इस तरह से दंड देना अनुचित है। राहुल गांधी का कहना है कि महंगाई और बेरोजगारी पर बुलडोजर चलाने की
बजाय भाजपा का बुलडोजर घृणा और भय से भरा पड़ा है। गंभीर अपराधों के अपराधियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई
नहीं की गई, जैसी कि तोडफ़ोड़ की कार्रवाई करने वाले लोगों के विरुद्ध की जा रही है और इसका उद्देश्य बदला
लेना है। किसी भी राज्य प्रशासन को प्रभावी प्रतिरोधक के रूप में ऐसे कदम उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है।
मगर भाजपा तो इसे फायदे के रूप में देख रही है।