बांग्लादेश में हिंसा

asiakhabar.com | October 19, 2021 | 5:23 pm IST
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-सिद्वार्थ शंकर-
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। रविवार रात को उपद्रवियों ने रंगपुर के पीरगंज में 65
से ज्यादा हिंदुओं के घरों में आग लगा दी। इसमें 20 घर पूरी तरह जल चुके हैं। बांग्लादेश में 13 अक्टूबर से
हिंदुओं पर हमले शुरू हुए हैं। पहले अलग-अलग स्थानों पर दुर्गा पंडालों को निशाना बनाया गया था और हिंदुओं पर
हमला किया गया था। इसमें चार हिंदुओं की मौत हो गई थी, वहीं 60 से ज्यादा घायल हो गए थे। इसके बाद
इस्कॉन मंदिर को भी निशाना बनाया गया और तोडफ़ोड़ की गई थी। हिंदुओं के घरों में आग लगाए जाने की वजह
एक सोशल मीडिया पोस्ट है। एक शख्स ने फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट किया था। इसके बाद तनाव पैदा हो
गया और उपद्रवियों ने उस शख्स के घर पर हमला बोल दिया। इसके बाद हिंसा का दौर शुरू हो गया है। बांग्लादेश
में हिंसा के पीछे उपद्रवी तत्वों का ही हाथ माना जा रहा है। बांग्लादेश के साथ भारत के सदा से मधुर संबंध रहे
हैं। मगर वहां के कुछ लोग इस सौहार्द को बिगाड़ कर अपना स्वार्थ साधने की फिराक में रहते हैं। वे इस मौके की
तलाश में रहते हैं कि कैसे कट्टरपंथियों को उकसाया जाए और अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाने पर लेकर दोनों देशों
के रिश्तों में खटास पैदा की जा सके। इसी का ताजा उदाहरण वहां के हिंदू मंदिरों पर हमले हैं। इन हमलों के बाद
वहां जगह-जगह फैले दंगों में अब तक चार लोग मारे जा चुके हैं। कई घायल हैं। मरने वालों की संख्या बढऩे की
आशंका है। इन हमलों के पीछे किसी उपद्रवी तत्व का अफवाह फैलाना है। अफवाह फैलाई गई कि कुछ हिंदुओं ने
इस्लाम के पवित्र ग्रंथ का अपमान किया है। फिर देखते-देखते लोग उत्तेजित हो गए और मंदिरों और दुर्गापूजा के
पंडालों में तोड़-फोड़ शुरू कर दी। कई हिंदू अल्पसंख्यकों के घरों पर भी हमले हुए। बांग्लादेश सरकार ने इस स्थिति
पर काबू पाने के लिए 22 जिलों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी है। हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले हुए हैं। पहले भी कुछ उपद्रवी तत्व अफवाह फैला कर सौहार्द्र का
वातावरण बिगाडऩे का प्रयास करते रहे हैं। बांग्लादेश में ऐसा मानस बनने के पीछे कुछ लोग पिछले कुछ समय से
भारत में चल रहे नागरिकता कानून लागू करने के प्रयासों से जोड़ सकते हैं। मगर इसमें बहुत दम इसलिए नजर
नहीं आता कि जब भारत में यह कानून संशोधन हुआ था, तब बांग्लादेश सरकार ने सहर्ष अपने नागरिकों को अपने
यहां आने देने को तैयार हो गई थी। फिर अब उसे लेकर कहीं कोई प्रतिक्रिया भी नहीं उठ रही। इसलिए ताजा
घटना के पीछे उपद्रवी तत्वों का ही हाथ माना जा रहा है। सत्ताधारी दल को बदनाम करने की नीयत से ऐसी
घटनाओं को अंजाम देने की कोशिशें हर कहीं देखी जाती हैं। ऐसे लोग समुदाय विशेष के प्रति नफरत फैला कर
ऐसा माहौल बनाने का प्रयास करते हैं कि जैसे वह उनका दुश्मन हो। कई देशों में, यहां तक कि अमेरिका तक में,
तो युवाओं में ऐसी नफरत भरने का प्रयास किया गया कि बाहर से आए लोग उनके रोजगार के अधिकार पर डाका
डाल रहे हैं। बांग्लादेश में भी हिंदू कारोबारियों की खासी बड़ी तादाद है। इसलिए कुछ संकीर्ण मानसिकता के लोगों
को ऐसा लग रहा होगा कि उनके वहां जड़ें जमाने से उनकी तरक्की में बाधा पैदा हो रही है। फिर कुछ ऐसे उपद्रवी
भी होंगे, जो चाहते होंगे कि हिंदुओं पर हमले करने से भारत में भी प्रतिक्रिया होगी, वहां के लोग बांग्लादेशियों पर
हमले करेंगे और इस तरह माहौल बिगड़ेगा। दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो जाएंगे। इस तरह आम लोगों में
मौजूदा सरकार के प्रति व्यापक विरोध का माहौल बनेगा। मगर अच्छी बात है कि ऐसा वातावरण बनाने में वे
कामयाब नहीं हो सके हैं। बांग्लादेश सरकार ने तत्परता से उपद्रवियों पर काबू पा लिया है।


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