-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
भारत के सर्वोच्च न्यायालय का यह कदम बिल्कुल सही है कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के मामले को
अपने हाथ में ले लिया है। केंद्र सरकार और पंजाब सरकार, दोनों ने यह मालूम करने के लिए जांच बिठा दी थी
कि मोदी का रास्ता रोकने के लिए कौन जिम्मेदार है? पंजाब की पुलिस या केंद्र का विशेष सुरक्षा दस्ता
(एसपीजी)? मोदी को भारत-पाक सीमा के पास स्थित हुसैनीवाला में जाना था, जो सरदार भगतसिंह का बलिदान-
स्थल हैं। मौसम की खराबी से उन्होंने अपनी विमान-यात्रा को पथ-यात्रा में बदल दिया, जो कि बिल्कुल ठीक था
लेकिन उन्हें फिरोजपुर के पास एक पुल पर लगभग 20 मिनिट इंतजार करना पड़ा, क्योंकि आगे जाने के रास्ते
को किसान प्रदर्शनकारियों ने घेर रखा था। प्रधानमंत्री की सुरक्षा का मामला बहुत गंभीर है, क्योंकि सरकारी
लापरवाही के कारण ही हमें महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को खोना पड़ा है। कायदे के मुताबिक
जिस मार्ग से प्रधानमंत्री को गुजरना होता है, उसे पूरी तरह से निष्कटंक बनाए रखना उस राज्य सरकार की
जिम्मेदारी होती है। मोदी का रास्ता रोका गया, यह अपने आप में गंभीर घटना है लेकिन सुरक्षित लौटने के
बावजूद मोदी का यह बयान कि (मुख्यमंत्री) चन्नी को धन्यवाद कि मैं भटिंडा से जिंदा लौट आया हूँ, जबर्दस्त
विवाद और मजाक का विषय बन गया है। कांग्रेसी कह रहे हैं कि आप भीड़ से बहुत दूर थे। आप पर न किसी ने
पत्थर फेंके, न तलवार या गोली चलाई और न ही धक्का-मुक्की तो आप बचे किससे? भीड़ ने आपको और आपने
भीड़ को देखा तक नहीं तो यह बात आपने कैसे कह दी? आपके बीच में ही लौट आने का कारण तो यह था कि
आपके समारोह-स्थल पर 700 लोग भी नहीं आए थे जबकि आपकी सुरक्षा के लिए 10 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात
थे। निराशावश जब आपको लौटना पड़ा तो आपने अपना रास्ता रोकने की नौटंकी-लीला छेड़ दी। इसका उद्देश्य
पंजाब सरकार को बदनाम करना और चुनावी पैंतरा मारना था। इन कांग्रेसी बयानों का भाजपा ने भी मुंहतोड़ जवाब
देने की कोशिश की। भाजपाइयों ने सिख आतंकियों की राष्ट्रविरोधी प्रवृत्ति का मसला उठा दिया। पंजाब सरकार के
सिर सारा दोष मढ़ते हुए भाजपाइयों ने आरोप लगाया कि पंजाब की सरकार ने भयंकर लापरवाही बरती है। उसने
हवाई मार्ग के वैकल्पिक थल-मार्ग को एकदम खाली क्यों नहीं रखा? उसने कायदे का उल्लंघन किया है। उसने
जान-बूझकर हुसैनीवाला की बड़ी जनसभा पर पानी फेरने का षड़यंत्र रचा था। उसे डर था कि मोदी की यह सभा
चुनावी हवा को पल्टा खिला देगी। कुल मिलाकर हुआ यह कि केंद्र और पंजाब, दोनों सरकारों ने अपनी-अपनी जांच
बिठा दी। केंद्र सरकार ने पंजाबी अधिकारियों को अपनी सफाई देने के लिए नोटिस भी जारी कर दिए। सर्वोच्च
न्यायालय ने दोनों जांचों पर रोक लगा दी है और अपनी स्वतंत्र जांच बैठा दी है। यह जांच समिति पता करेगी कि
असली दोष किसका है? पंजाब की पुलिस का है या प्रधानमंत्री के विशेष सुरक्षा दस्ते का? नतीजा जो भी हो,
प्रधानमंत्री की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। इस विषय पर घटिया राजनीति उचित नहीं है।