-सिद्धार्थ शंकर-
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मिट्टी को पूरी तरह से कैमिकल मुक्त करने की वकालत कर चुके हैं। प्रधानमंत्री
ने पिछले दिनों विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कहा कि आज मिट्टी को पूरी तरह से कैमिकल मुक्त करना
होगा। सरकार ऐसी नीतियां बना रही है, जिससे फसलों की गुणवत्ता बनी रहे और मिट्टी को नुकसान भी न पहुंचे।
देश के वैज्ञानिक भी परंपरागत तरीके से खेती करने की वकालत कई बार कर चुके हैं। दरअसल मिट्टी को लेकर
बार-बार चिंता इसलिए जाहिर की जा रही है, क्योंकि देश के कई इलाकों में खेतों की मिट्टी ताकत खोती जा रही
है। यह पर्यावरण के साथ हमारी खेती और सेहत के लिए बड़े खतरे की घंटी है। इससे खेती का रकबा घटकर बंजर
जमीन का इलाका बढऩे की आशंका तक जताई जा रही है। वहीं हमारी सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।
इससे भी बड़ी चिंता यह है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर कहीं कोई बात नहीं हो रही है। दरअसल, मिट्टी सैकड़ों
सालों से उर्वरा शक्ति को बनाए हुए अन्न और खाद्य पदार्थ उपजाती रही है। साल दर साल किसान अपने
परंपरागत ज्ञान के आधार पर खेती की जमीन को पोषक तत्वों से युक्त बनाए रखते रहे हैं। इसके लिए वे
प्राकृतिक खाद, फसल चक्र कई पारंपरिक और प्राकृतिक तौर-तरीकों से खेतों की मिट्टी को सहेजते थे। विशेषज्ञ भी
मानते हैं कि मिट्टी में 12 तरह के पोषक तत्व होते हैं जो कि मिट्टी में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों में भी
पहुंचते हैं और इनका उपयोग करने वाले व्यक्ति को सेहतमंद बनाए रखते हैं। 50 सालों में जिस तरह हमने
प्राकृतिक व्यवस्था को तहस-नहस कर उत्पाद आधारित खेती व्यवस्था को अपना लिया है, खेती में अधिक से
अधिक पैदावार के लिए अब रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल शुरू कर दिया है, उससे खेतों
की मिट्टी की ताकत क्षीण हो गई है। सरकार का कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय देश में मिट्टी की जांच कर
किसानों को बता रहे हैं कि उनके खेतों की मिट्टी की सेहत कैसी है। मिट्टी की सेहत खराब होने से फसलें तो
प्रभावित होती ही हैं, उनमें पर्याप्त पोषक तत्वों का संतुलन भी बिगड़ जाता है। इसके लिए खेतों की मिट्टी के
नमूने की जांच कर संबंधित किसान को उसके खेत की जमीन की रिपोर्ट भी सौंपी जा रही है। अलग-अलग हिस्सों
में मिट्टी की जांच में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। इसमें हुए खुलासे से पता चला है कि खेतों की मिट्टी में
मौजूद 12 तत्वों में से अधिकांश तत्व या तो बहुत कम हैं या फिर बहुत ज्यादा हैं। यहां तक कि इनमें से छह
तत्व पूरी तरह असंतुलित हैं। ऐसी मिट्टी में उपजे खाद्य पदार्थ खाने से लोगों में कुपोषण और कई तरह की
बीमारियां घर कर रही हैं। मिट्टी के अंसतुलित पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर और जिंक
शामिल हैं। जाहिर है, इन जरूरी पोषक तत्वों की कमी से ही कुपोषण और खतरनाक बीमारियां तेजी से पैर पसार
रही हैं। शरीर को जिस तरह पोषक तत्वों की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह एक पौधे और फसल के लिए भी
मिट्टी में तमाम तरह के तत्वों की जरूरत होती है। इन दिनों शरीर के लिए जरूरी अनाज, सब्जियों में पोषक
तत्त्वों की कमी मिट्टी में आई पोषक तत्वों की कमी का नतीजा है।