प्रवासियों को संदेश

asiakhabar.com | January 11, 2018 | 5:15 pm IST
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वासी भारतीयों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कुछ कहा है उसका उद्देश्य एक ही है, देश को, दुनिया को और दुनिया भर में फैले भारतवंशियों के अंदर यह विास पैदा करना कि भारत अब तेजी से बेहतरी की दिशा में बदल रहा है। उनके पूरे भाषण में भारत के वर्तमान एवं भविष्य के प्रति गहरे आत्मविास की झलक थी तो वैचारिकता का प्रकटीकरण भी था। यह पहला प्रवासी सम्मेलन है, जिसमें केवल जनप्रतिनिधि प्रवासी शामिल हो रहे हैं। कुल 124 सांसदों और 17 मेयरों ने इसमें शिरकत किया है। इसीलिए इसका नामकरण किया गया है, प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन। प्रवासी भारतीयों का सम्मेलन एक ऐसा मंच होता है, जहां से आप अपने देश का बेहतर परिदृश्य उल्लिखित करके उनको भावनाओं से जोड़ते हैं और उनको भी भारत के लिए कुछ करने को प्रेरित करते हैं। प्रधानमंत्री के नाते मोदी का यही दायित्व है। हम यह तो नहीं कहते कि अर्थव्यवस्था की जो तस्वीर उन्होंने पेश की वाकई सब कुछ वैसा ही है, लेकिन देश की एक सकारात्मक छवि पेश करने और उपस्थित सांसदों एवं मेयरों को अपनी माटी के लिए योगदान करने की प्रेरणा देने का दायित्व उन्होंने बखूबी निभाया है। आज दुनिया का शायद ही कोई देश हो जहां भारतवंशी नहीं रहते हों। अलग-अलग देशों में अलग-अलग क्षेत्रों में उनका योगदान है। वो नीति-निर्माण से लेकर विज्ञान, अर्थ, व्यवसाय, कला-साहित्य-संस्कृति आदि हर क्षेत्र में प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं। इस समय भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भले वे बाहर बस गए, लेकिन भारत के प्रति उनका लगाव अंतर्मन में अवश्य रहता है। प्रवासी सम्मेलनों और दुनिया भर के भारतवंशियों के साथ संपर्क बढ़ाने का अनेक लाभ भारत को मिला है। वे राजनय के क्षेत्र में दो देशों के बीच अच्छे संबंधों का मामला हो, विदेशी पर्यटकों को भारत की ओर आकर्षित करने, पूंजीनिवेश सहित वाणिज्य-व्यवसाय को बढ़ावा देने और साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में जुड़ाव का हो..उनकी भूमिका पिछले कुछ सालों में काफी महत्त्वपूर्ण हो रही है। प्रधानमंत्री ने दुनिया भर के प्रवासी भारतीय सांसदों से भारत की प्रगति में हिस्सेदार बनने और देश के आर्थिक विकास में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने की अपील की। देखना होगा इस अपील का फिर से असर कैसा होता है।


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