पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आगामी आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के शामिल होने की खबर को लेकर कांग्रेस पार्टी में बैचेनी व्याप्त हो रही है। कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं का प्रयास था कि प्रणब दा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल नहीं हों। मगर प्रणब दा ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने की स्वीकृति प्रदान कर कांग्रेस की बोलती बन्द कर दी है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने बताया कि हमने भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को इसके लिए आमंत्रित किया था और यह उनका बड़प्पन है कि उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दी है। मुखर्जी को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों के लिए आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। प्रणब मुखर्जी तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में शिरकत करेंगे और लोगों को संबोधित करेंगे। नागपुर शहर के रेशमीबाग क्षेत्र स्थित हेडगेवार स्मृति मन्दिर में 25 दिनों का संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष चल रहा है जिसमें देश भर के करीब 708 स्वयं सेवक भाग ले रहे हैं।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बनकर जाएंगे, इस खबर के सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर हर कोई सकते में है। प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने पर एक कांग्रेस नेता का कहना है कि वह प्रणब मुखर्जी ही थे जिन्होंने एआईसीसी के बुरारी सेशन में 2010 में यूपीए सरकार को आरएसएस और इसकी सहयोगी संस्था के खिलाफ आतंकी संगठनों के साथ संबंध की जांच करवाने की बात कही थी। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता एके एंटनी ने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है, उन्होंने कहा कि मुझे इस कार्यक्रम की जानकारी नहीं है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि वह बुद्धिजीवी हैं, वह देश के राष्ट्रपति रहे हैं। वह सेक्युलर विचार के हैं, ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि उनकी सोच में किसी भी तरह का कोई बर्ताव आया होगा। वह अब भी वैसे ही रहेंगे जैसे पहले थे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि अगर वे प्रणब मुखर्जी की जगह होते तो आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं जाते। चिदंबरम ने कहा कि अब जबकि उन्होंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है तब इस पर बहस करने से कोई फायदा नहीं कि क्यों स्वीकार किया। अब ये कहना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि आप जाएं और उन्हें बताकर आएं कि उनकी विचारधारा में क्या गलत है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि मुझे लगता है कि इसका सही जवाब खुद पूर्व राष्ट्रपति दे सकते हैं। उन्हें न्योता दिया गया है, वह वहां जाएंगे या नहीं, यह सब पूर्व राष्ट्रपति से ही पूछना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के मुद्दे पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीके जाफर शरीफ ने प्रणब मुखर्जी से धर्मनिरपेक्षता के हित में अपने निर्णय पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। जाफर शरीफ ने पूर्व राष्ट्रपति को पत्र लिख कर उनके इस कदम पर आश्चर्य व्यक्ति किया और कहा कि आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में जानबूझ कर वह भी अन्य धर्मनिरपेक्ष लोगों की भांति ही स्तब्ध हैं। शरीफ ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर उनका मानना है कि जो व्यक्ति दशकों तक राजनीति में धर्मनिरपेक्ष रहा, विभिन्न पदों पर सेवाएं दीं, जिसमें राष्ट्रपति जैसे उच्च पद भी शामिल है। उनका संसदीय चुनाव से पहले संघ परिवार के कार्यक्रम में जाना ठीक नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता टॉंम वडक्कन ने कहा कि मीडिया के जरिए यह पता चला है कि इस तरह का कोई निमंत्रण आया है। वह इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। जहां तक पार्टी की विचारधारा का प्रश्न है। हमारी और उनकी विचारधारा में बहुत फर्क है। कांग्रेस ने कभी अपनी विचारधारा से कोई समझौता नहीं किया है। संदीप दीक्षित का कहना है कि आरएसएस और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के व्यक्तित्व में काफी अंतर है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी क्या कहेंगे। दीक्षित ही नहीं पार्टी के दूसरे नेता भी प्रणब मुखर्जी के आरएसएस का निमंत्रण स्वीकार करने को लेकर अचंभित हैं। वह कहते हैं कि वर्ष 1976-77 और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद आरएसएस पर पाबंदी लगाई गई, उस वक्त प्रणब मुखर्जी सरकार का हिस्सा थे। ऐसे में वह किसी ऐसी संस्था के मुख्यालय कैसे जा सकते हैं, जिस संस्था पर उन्होंने दो बार पाबंदी लगाई हो। कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने इस विवाद पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अपने कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण देना और फिर उनके द्वारा न्योते को स्वीकार करने का मामला तूल पकड़ने के बाद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति में छोटे दिल से काम नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई आईएसआईएस नहीं है। गडकरी ने कहा कि राजनीति में बड़े दिल से काम होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसे बुलाना चाहती है किसे नहीं, यह उनका और वहां जाने वाले का अधिकार है। गडकरी ने कहा कि इतने छोटे दिल से राजनीति में काम नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आईएसआईएस तो है नहीं, प्रणब मुखर्जी जी के जाने से क्यों आपत्ति है?
गडकरी ने कहा कि यह एक अच्छी शुरुआत है। इस पर उठ रहे सवालों को लेकर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ राष्ट्रवादियों का संगठन है। गडकरी ने कहा कि मैं मानता हूं कि राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं हैं। राजनीतिक छुआछूत की बात करने वाले दूसरे को कम्यूनल कहते हैं लेकिन खुद कम्यूनल हैं। बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि एक तरफ तो कांग्रेस कुछ भी टिप्पणी से इनकार करती है और दूसरी संदीप दीक्षित जैसे नेता पूर्व राष्ट्रपति की छवि पर कीचड़ फेंकने का काम करते हैं।
नागपुर स्थित आरएसएस के मुख्यालय में सूत्रों का कहना है कि प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत से राष्ट्रपति भवन छोड़ने से पहले चार बार मुलाकात की है। दोनों के बीच पहली मुलाकात उस वक्त हुई थी जब वह राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति रहते प्रणब दा ने भागवत को राष्ट्रपति भवन में दोपहर भोज के लिए भी आमंत्रित किया था। इसके बाद दो बार राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद दोनों के बीच मुलाकात हुई है। इस साल के शुरू में प्रणब मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के प्रारंभ होने के अवसर पर संघ के शीर्ष नेताओं को बुलाया था।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में प्रारम्भ से ही राष्ट्रीय स्तर के नेताओं व प्रभावशाली व्यक्त्यिों को आमंत्रित करता रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 25 दिसम्बर 1934 को वर्धा में आयोजित संघ के समारोह में मुख्य अतिथि के तौर शामिल हुये थे। 1939 के पूना में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर मुख्य अतिथि थे। 03 नवम्बर 1977 को पटना में आयोजित संघ के तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में लोकनायक जयप्रकाश नारायण मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये थे। 2014 में श्री श्री रविशंकर व कर्नाटक के धर्मस्थल मन्दिर के धर्माधिकारी डॉ. विरेन्द्र हेगड़े 2015 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में शामिल हो चुके हैं।
प्रणब मुखर्जी जन्मजात कांग्रेसी रहे हैं इस कारण ज्यादा हंगामा मचा है। कांग्रेस का मानना है कि प्रणब दा पार्टी से पूछे बिना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसे कट्टर विचारधारा वाले संगठन के कार्यक्रम में कैसे जा सकते हैं। लेकिन अपनी धुन के पक्के प्रणब दा ने संघ के कार्यक्रम में शामिल होने की स्वीकृति प्रदान कर यह जता दिया कि अब उनका कद पार्टियों से ऊपर उठ चुका है। वे किसी दल विशेष के बंधन में बंधे नहीं रह सकते हैं।