विकास गुप्ता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बंद कमरे में हुई अनौपचारिक बैठक में पाकिस्तान की एक बार फिर
से फजीहत हो गई है। परिषद में शामिल सभी देशों ने जम्मू-कश्मीर को लेकर अपना रुख स्पष्ट करते हुए इसे
द्विपक्षीय मुद्दा बताया। साथ ही परिषद ने कहा कि यह मुद्दा ऐसा नहीं है जिस पर समय और ध्यान दिया
जाए। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने दी। भारत ने बुधवार को
पाकिस्तान की कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मंच पर ले जाने की नापाक हरकत को लेकर एक
बार फिर लताड़ लगाई। भारत ने कहा कि पूरी दुनिया कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय मुद्दा मानती है और यह ऐसा
नहीं है जिस पर अतंरराष्ट्रीय संस्था अपना समय और ध्यान केंद्रित करे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी
प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि इससे पहले पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय संस्था के समक्ष इस
मुद्दे को उठाने का असफल प्रयास किया था। तिरुमूर्ति ने कहा कि परिषद की बैठक में लगभग सभी देश इस बात
पर सहमत दिखे कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है। ऐसे में पाकिस्तान का
यह प्रयास एक बार फिर विफल हो गया। पाकिस्तान ने अपने इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए सुरक्षा परिषद के
स्थायी सदस्य चीन को अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया है। हालांकि परिषद के 15 सदस्यों की बंद कमरे में
हुई इस अनौपचारिक बैठक में हुई चर्चा में से कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया और ना ही मीडिया में किसी
तरह का बयान जारी किया गया।
दरअसल, कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण कर पाकिस्तान ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। दुनिया का
शायद ही कोई ऐसा मंच हो, जहां एक साल में कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को मुंह की न खानी पड़ी हो। जम्मू-
कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के भारत सरकार के फैसले से
बौखलाया पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका सहित कई देशों की शरण में जा चुका है और कश्मीर मुद्दे
पर समर्थन हासिल करने की कोशिशें करता रहा है। मगर उसे अब तक सब जगह से निराशा ही हाथ लगी है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही कूटनीतिक नाकामी से पाकिस्तान का तिलमिलाना स्वाभाविक है। कश्मीर मुद्दे का
अंतरराष्ट्रीयकरण कर पाकिस्तान ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण और
भारत के खिलाफ झूठा प्रचार पाकिस्तान सरकार की रणनीति का हिस्सा अभिन्न हिस्सा है। पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री इमरान खान खुद कह चुके हैं कि उनके विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दुनिया के तमाम मुल्कों में जा-
जाकर उनके राष्ट्र प्रमुखों से मिलेंगे और बताएंगे कि कश्मीर में भारत क्या कर रहा है। वे कई देशों में गए भी
मगर कश्मीर राग गाकर लौट आए, उनके सुर में किसी ने सुर नहीं मिलाया। इसी रणनीति के तहत पाकिस्तान ने
इस्लामी देशों सहित कई देशों से कश्मीर पर समर्थन मांगा। लेकिन उन्हें हाथ कुछ नहीं लगा। यहां तक कि
इस्लामी देशों के संगठन तक से कोई भरोसा या मदद के संकेत नहीं मिले। किसी देश ने अनुच्छेद 370 को खत्म
करने के भारत के फैसले को गलत नहीं बताया बल्कि साफ कहा कि यह भारत का अंदरूनी मामला है। अब जबकि
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भी मान लिया है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है तो पाकिस्तान को
चाहिए कि वह भारत के साथ संबंध सुधारे और समस्याओं को हल करे। इस तरह से दूसरों के पास जाकर मदद
मांगने से कुछ नहीं होने वाला। सवाल है कि ऐसे में पाकिस्तान करे तो क्या करे। शाह महमूद कुरैशी तो पाक
अधिकृत कश्मीर में एक जनसभा में इस हकीकत को स्वीकार कर चुके हैं कि कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को
दुनिया के मुल्कों का समर्थन मिलना आसान नहीं है। लेकिन पाकिस्तान की हुकूमत इस सच्चाई से मुंह मोड़ रही है
और अपनी अवाम की आंखों में धूल झोंक रही है।