-डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
पाकिस्तान जब से पैदा हुआ है, वह सिर के बल खड़ा रहा है। इमरान खान ने उसे पांव के बल खड़ा करने की
घोषणा की है। उन्होंने पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसी नीति की घोषणा की है, जो न केवल भारत के
साथ उसके रिश्तों को सुधार देगी बल्कि दुनिया में पाकिस्तान की हैसियत को ही बदल देगी।
अब तक पाकिस्तान दुनिया के शक्तिशाली और मालदार राष्ट्रों के आगे अपनी झोली फैलाए खड़ा रहता रहा है और
उनका फौजी पिछलग्गू बना रहता रहा है। इसका एक मात्र कारण है-भारत के साथ उसकी दुश्मनी ! यह दुश्मनी
पाकिस्तान को बहुत मंहगी पड़ी है। उसने तीन-तीन युद्ध लड़े, आतंकवाद की पीठ ठोकी और जिन्ना के देश के दो
टुकड़े करा लिये। कभी उसे अमेरिका का चरणदास बनना पड़ा तो कभी चीन का! इतना ही नहीं, पाकिस्तान के
स्वाभिमानी और आजाद तबियत के लोगों को फौज की गुलामी भी करनी पड़ रही है।
पिछले सात वर्षों से तैयार हो रही पाकिस्तान की सुरक्षा और अर्थ नीति की घोषणा अब इमरान सरकार ने की है।
इसका प्रारंभ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के मार्गदर्शक मियां सरताज अजीज ने किया था। जाहिर है कि इमरान
सरकार अपनी फौज की हरी झंडी के बिना इसकी घोषणा नहीं कर सकती थी। इसमें कहा गया है कि भारत के
साथ अगले सौ साल तक किसी प्रकार की दुश्मनी नहीं रखी जाएगी और अपने पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान शांति
की नीति का पालन करेगा। भारत के साथ व्यापारिक और आर्थिक संबंध भी सहज रूप धारण करेंगे। इस प्रक्रिया में
कश्मीर बाधा नहीं बनेगा। इसी दस्तावेज में एक बहुत ही सूक्ष्म बात भी कही गई है जिस पर भारत के अखबारों
और टीवी चैनलों का ध्यान नहीं गया है। वह यह कि वह किसी महाशक्ति का दुमछल्ला नहीं बनेगा। वह सामरिक
से भी ज्यादा अपनी आर्थिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित करेगा।
यदि सचमुच पाकिस्तान अपनी कथनी को करनी में बदल सके तो पूरे दक्षिण एशिया का भविष्य ही चमक उठेगा।
हालांकि, लेकिन यह साफ है कि यह अंतिम फैसला पाकिस्तान की फौज के हाथ में है। माना जा रहा है कि यह
विलक्षण घोषणा फौज की सहमति से हुई है। यदि ऐसा है तो अफगान-संकट पर भारत द्वारा आयोजित बैठक का
पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर बहिष्कार क्यों किया? अफगानिस्तान को भेजे जानेवाला 50 हजार टन गेहूं
अभी तक क्यों नहीं वहां ले जाने दिया जा रहा है? कश्मीर के सवाल को बार-बार संयुक्तराष्ट्र के मंचों पर क्यों
घसीटा जा रहा है? इमरान सरकार भारत से बात करने की पहल क्यों नहीं करती है? इमरान खान, नवाज शरीफ,
जनरल मुशर्रफ, बेनज़ीर भुट्टो और जनरल ज़िया से जब भी मेरी भेंट हुई है, मैंने उनको कहा है कि जुल्फिकार
अली भुट्टो भारत से एक हजार साल तक लड़कर कश्मीर छीनने की बात करते थे, यह बात बिल्कुल बेमानी है।
कश्मीर का हल लात से नहीं बात से हो सकता है। लेकिन अब भी इस नए दस्तावेज के 100 पृष्ठों में से 50 तो
छिपाकर रखे गए हैं। क्यों ? क्या इमरान की दाल में कुछ काला है?