पहलवानों का संघर्ष थमा नहीं

asiakhabar.com | June 7, 2023 | 6:24 pm IST
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बीती 3 जून की रात्रि 11 बजे मुलाकात और चर्चा के बाद आंदोलनकारी पहलवान रेल मंत्रालय में अपनी-अपनी ड्यूटी पर लौट आए। आम निष्कर्ष यह निकाला गया कि पहलवानों ने आंदोलन समाप्त कर दिया। शायद गृहमंत्री के स्तर पर कोई दबाव दिया गया होगा! यह भी हो सकता है कि गृहमंत्री ने देश के पदकवीर पहलवानों को कोई आश्वासन दिया हो और उसके सम्मान के लिए पहलवान अपनी नौकरी पर लौट गए! कई अटकलें और अफवाहें भी तैर रही हैं। उनमें से कुछ तो बड़े अंग्रेजी अखबारों में भी छपी हैं। जिज्ञासा हुई, तो सवाल भी कौंधने लगे कि भारतीय कुश्ती संघ में यौन-शोषण, उत्पीडऩ और भद्दे-धमकी भरे व्यवहार सरीखे मुद्दों का क्या होगा? क्या महिला पहलवानों को निर्णायक इंसाफ नहीं मिलेगा? क्या पुलिसिया जांच इसी तरह खिंचती और टलती रहेगी, क्योंकि यौन-सीमाएं लांघने के गंभीर आरोप कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे हैं।
क्या हिन्दी फिल्मों के खलनायक की तरह बृजभूषण का भी सामाजिक व्यवहार होगा और उसकी मुस्कान भी व्यंग्यमयी होती जाएगी? कुश्ती संघ के भीतर नाबालिग, बालिग और पदकवीर महिला पहलवानों का किस तरह यौन-शोषण, उत्पीडऩ और शारीरिक संबंध बनाने की जो हरकतें एक बड़े अंग्रेजी अखबार में, प्राथमिकी के आधार पर, पृष्ठ एक पर छपती रही हैं और टीवी चैनलों पर खुली बहस होती रही है, क्या उसे असत्य और फर्जी करार दे दिया जाएगा? बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक भारत के पदकवीर, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं। बजरंग ने ट्वीट कर स्पष्ट किया है कि हम न पीछे हटे हैं और न ही हटेंगे। मैडल की कीमत आंकने वाले हमारी नौकरी के पीछे पड़े हैं। यदि जिंदगी दांव पर लगी है, तो उसके सामने नौकरी बहुत छोटी चीज है। हम नौकरी को भी छोड़ सकते हैं। आंदोलन वापस लेने की खबर झूठी अफवाह है। आखिरी इंसाफ तक हम संघर्ष करते रहेंगे। कुछ और फर्जी खबरों का निराकरण भी हुआ है। मसलन-न्यायाधीश के सामने धारा 164 के तहत दोबारा और नया बयान दर्ज नहीं कराया जा सकता। यौन-शोषण संबंधी पुलिस में दर्ज प्राथमिकी को खारिज नहीं किया गया है।
जो शिकायतकर्ता नाबालिग पहलवान थी, उसके पिता ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने अपनी शिकायत और बयान वापस नहीं लिए हैं। यौन-शोषण और पदक जीतने के वक्त पहलवान नाबालिग थी और आज भी नाबालिग ही है, लिहाजा पॉक्सो कानून के तहत ही केस चलाया जाएगा। क्या गृहमंत्री ने पहलवानों को आश्वस्त किया है कि आरोपित बृजभूषण शरण सिंह को पॉक्सो के तहत अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? क्या भविष्य में गिरफ्तारी संभव है? यदि देश के गृहमंत्री ने पहलवानों को कोई सकारात्मक आश्वासन दिया है, तो बेहतर है, क्योंकि देश की पुलिस उनके अधीन कार्यरत है। लेकिन सवाल बजरंग आदि से भी है कि उनके निवास पर किसान और खाप पंचायतों के नेताओं की बैठकें क्यों हो रही हैं? क्या बजरंग और दूसरे पहलवान 10-11 जून की जयपुर में प्रस्तावित महापंचायत में हिस्सा लेंगे? आंदोलन पहलवानों का है या उनकी आड़ में किसानों की राजनीति खेली जा रही है? पहलवानों के सरोकारों और समस्याओं के साथ देश खड़ा हो सकता है, लेकिन क्षुद्र सियासत पर देश का औसत नागरिक अपना स्वतंत्र मत बनाने को स्वतंत्र है।


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