पर्यावरण का सरंक्षण: हमारा नैतिक कर्तव्य

asiakhabar.com | June 4, 2023 | 6:25 pm IST
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-नरेन्द्र भारती-
बेशक 5 जून 2023 को पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। मगर ऐसे आयोजन केवल मात्र औपचारिकता भर रह गए है। विश्व में 5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। केवल मात्र एक दिन पर्यावरण के सरंक्षण के लिए संकल्प लिए जाते है। स्कूलों कालेजों व स्वयंसेवी सस्थाओं द्वारा रैलियां निकाली जाती है। सैमीनार लगाए जाते है। सरकारी विभागों व सरकारी संस्थाओं में अधिकारीयों व स्कूली बच्चों को शपथ दिलाई जाती है। फिर पूरे साल पर्यावरण को प्रदूषित करके धज्जियां उड़ाई जाती है। पर्यावरण का संरक्षण हमारा नैतिक कर्तव्य है। आज पर्यावरण असन्तुलन एक विश्वव्यापी गंभीर समस्या बनती जा रही है। सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। लाखों रुपया खर्च किया जाता है। केवल मात्र खानापूर्ति करने से कुछ नहीं होगा। आज वायु प्रदूषण एक विकराल व लाईलाज समस्या बनती जा रही है। आकडे बताते है कि वायु प्रदूषण के कारण दुनिया में प्रतिवर्ष 20 लाख लोग जान गंवाते हैं। पराली जलाई जा रही है। कपड़ा जलाया जा रहा है। प्लास्टीक जलाया जा रहा है जिससे वातावरण अशुद्व होता जा रहा है। आज पूरे विशव में बायु प्रदूषण जानलेवा साबित होता जा रहा है। चंद लोगों की जानबूझकर की गई गलतियों से आज वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है। आज मानव अपनी ही गलतियों के कारण सासों की बीमारियों व अन्य लाईलाज बीमारियों से ग्रस्त हो रहा है। दमा का शिकार हो रहा है यह सब पर्यावरण प्रदूषण का ही नतीजा सामने आ रहा है। जब तक मानव सच्चे दिल से पर्यावरण का सरंक्षण नहीं होगा तब तक ऐसे आयोजन व्यर्थ है। एक दिन पर्यावरण को बचाने के लिए नारे लगाए जाते है फिर पूरी साल पर्यावरण की याद नहीं रहती। सभी की सहभागिता ही पर्यावरण को सुरक्षित कर सकती है। आज आपदाएं हो रही है पहाड़ दरक रहे है। बादल फट रहे है। ग्लेशियर पिघल रहे है। पेड़-पौधों का अंधाधुंद कटान किया जा रहा है। जंगलों में आग लगाई जा रही है। सरकारों व समाज के बुद्विजावीओं को पर्यावरण के संरक्षण हेतू मंथन करना होगा। पर्यावरण के सरक्षंण के लिए अभियान चलाने होगें। भाषणवाजी करने से कुछ नहीं होगा धरातल पर काम करना होगा। एक दिन चोचलेबाजी की जाती है फिर पूरी साल 365 दिन लोग पर्यावरण को प्रदूषित करते है। कहने का तात्पर्य यह है कि अगर सही मायनों में पर्यावरण को बचाना है तो सभी को एकजूट होना होगा। तभी हम इसका संरक्षण कर सकते है। आज अवैज्ञानिक रुप से खनन किया जा रहा है पहाडियां दरक रही है खडडों का सीना छलनी किया जा रहा है। जलस़़्त्रोत सूख रहे है। जलस्तर घटता जा रहा है। खनन करके आज इंसान महल बना रहे है मगर एक दिन पानी को तरसेगें। खनन को रोकना होगा। नदीयों व नालों का जलस्तर गिर रहा है। आज अधिकांश नदियों का पानी प्रदूषित हो चुका है। आज पर्यावरण को सुरक्षित रखनें के लिए स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे है। पर्यावरण की स्वच्छता ही हमारा धर्म है। पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करना होगा। आज जहां पूरे भारतवर्ष में पर्यावरण सरंक्षण के लिए स्वच्छता अभियान चला हुआ है करोड़ों रुपया इस अभियान पर खर्च किया जा रहा है कि वातावरण शुध्द रहे और हर नागरिक स्वस्थ रहे क्योकि कहते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता बेहद जरुरी है मगर कुछ बीमार व नीच मानसिकता के लोग इस अभियान को बट्टा लगा रहे हैं यह गंदी सोच वाले लोग गांव व शहरों में गंदगी डालने व प्रदूषण फैलाने से बाज नहीं आ रहे है। दरअसल इन लोगों के दिमागों में गंदगी ही भरी पड़ी है नजीजन यह गंदगी ही फैलाएगें। गंदगी के कारण जब बीमारियों से ग्रस्त होगें तब इन लोगों के होश ठिकाने आएगें। सड़कों व दुकानों के सामने घरों व दुकानों का गंदा कूड़ा-कचरा व कपडा़ जला रहे है जिससे वातावरण प्रदूषित हो रहा है इस जहरीले धुएं के कारण लोग सांस की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे है मगर इन लोगांे को इससे कोई सरोकार नहीं है कि उनकी छोटी सी गलती के कारण कितना बड़ा नुक्सान हो रहा हैं। सड़को पर दौड़ने वाले वाहनों के धुएं के कारण भी जनमानस को नुक्सान हो रहा है। ऐसे वाहन चालको के लाईसैंस रदद करने चाहिए जो ऐसे जानलेवा कार्यों को अंजाम देतें है जिनकी छोटी सी गलती कितने लोगों का अहित कर रही है। आज पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए सैमीनार आयोजित किए जा रहे हैं प्रतियोगिताएं करवाई जा रही हैं। मगर कुछ बीमार मानसिकता के लोग इस धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं। आज भले ही पूरे भारत में स्वच्छता अभियान को लेकर कार्यक्रम चल रहे हैं मगर इन लोगों को इस से कोई सरोकार नहीं है। इन पर हम नहीं सुधरेगें का लेबल लगा हुआ है। यह बेशर्म टाईप के लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं लगातार गंदगी फैला रहे हैं। सफाई अभियान के लिए सामाजिक संस्थाएं कदम से कदम बढ़ा रही है और इस अभियान में लोगों को जागरुक किया जा रहा है। कुछ लोगों को सफाई पसंद नहीं है बे लोग आज भी गंदगी फैला रहे है। दुकानों व मकानों का सारा कचरा लोगों की दुकानों के आगे जला रहे है। ऐसे लोग इस अभियान को बटटा लगा रहे है। कुछ लोग सड़को पर केले के छिलके फैंेक रहे हैं। मगर इन गंदगी फैलाने वालों को जरा भी समझ नहीं है कि लोग सफाई कर रहे है और वह गंदगी डाल रहे हैं। ऐसे लोगो के खिलाफ जनमानस को लामबंद होना चाहिए ताकि वातावरण स्वच्छ रहे। सरकार व प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार के लोगों पर शिकंजा कसा जाए जो गंदगी फैला रहे हैं। अगर इन पर कानूनी कारवाई की जाए तब इनको समझ आएगी कि गंदगी फैलाने कितना जुर्म है। अक्सर देखा गया है कि लोग सुबह के समय ही कुड़ा फैंक देते हैं जब सैर करने निकलते हैं। प्रशासन को चाहिए कि बाजारों में सीसीटीवी कैमरें लगाए जाएं ताकि गंदगी फैलाने वालों की हरकते कैमरे में रिकार्ड हो जाए तभी इन पर रोक लग सकती है। सरकार को चाहिए कि प्रदूषण व गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ कारवाई की जाए तथा मनमानी करने वालो को जुर्माना लगाया जाए तभी इन लोगों को होश आएगी। गंदगी फैलाने वाले लोगों को सजा दी जाए ताकि फिर गंदगी फैलाने का दुस्साहस न कर सके। प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड को भी समय-समय पर प्रदूषण फैलाने वालों पर नजर रखनी चाहिए, पंचायतों को भी ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को पर्यावरण की स्वच्छता के इस यज्ञ में आहुती डालनी होगी तो वह दिन दूर नहीं जब भारतवर्ष में प्रत्येक गांवों व शहरों में वातावरण स्वच्छ होगा। स्वच्छता अभियान को लगातार चलाना होगा तभी गंदगी से निजात मिल सकती है। पर्यावरण को बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य है इस कर्तव्य से हमें विमुख नहीं होना चहिए। अगर सब एकजुट होकर काम करेगें तो हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। सरकारी व गैर सरकारी सस्थाओं को इसमें अपना योगदान देना होगा मिलजुल कर अभियान चलाने होगें। पर्यावरण को संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने होगें। जागरुकता शिविरों का आयोजन करना होगा। संचार के माध्यमों से पर्यावरण को बचाने के लिए अलख जगानी होगी। तभी ऐसे पर्यावरण दिवसों की सार्थकता होगी। पर्यावरण बचेगा तभी मानव जीवन भी बचेगा। आज पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण को बचाने का एक संकल्प लेना होगा।


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