हरी राम यादव
आइए नव वर्ष में हम नया संकल्प लें,
पहले स्वयं सुधरने का हम विकल्प लें ।
दूसरों के बारे में बातें करना हम छोड़ दें,
बस यही एक बात नव वर्ष में जोड़ दें।
यदि स्वयं हम सुधर गए साहेब तो,
सारा जग स्वत: सुधर जाएगा।
बंद होगा जन का शोषण जहां में,
नि:शुल्क सबका काम हो जाएगा।
हम आदर्शों की बातें तो करते बड़ी,
दिखावा करते हैं हम शरीफ का।
प्रवचन सुनते हैं जाकर जगह जगह,
पर उधेड़बुन चलती ग़लत तरकीब का।
लिखा जा रहा है हिसाब हर क्षण,
कर से कर रहे है जो कर्म हम।
निर्भर करता है हमारी सोच पर,
लेना है हमें आशीष या लेना गम ।
मार करके खा रहे जो हक और का,
वह तराना देख रहे उन्नति के दौर का।
ऐसी उन्नति का रास्ता न किसी ठौर का,
हाय से गिरते देखा सिर सिरमौर का।
न कुछ है हरी आज छुपाव में,
देखने का बस अंतर मनोभाव में।
जीवन को लगाइए नेक काम में,
नहीं कुछ रखा है झूठ के नाम में।।
नव वर्ष में उत्कर्ष और हर्ष का,
जन जन के जीवन में शोर हो।
प्रगति पथ पर बढ़े सकल समाज,
ज्ञान विज्ञान अनुसंधान पर जोर हो।।