पूजा में भाव के साथ साथ भक्त के द्वारा भगवन को अर्पित की गई वस्तुओं का भी अपना महत्व होता है। सभी
लग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार भगवन को भेंट एवं सामग्री अर्पण करते हैं। भावना से अर्पण की हुई
अल्प वस्तु को भी भगवान सहर्ष स्वीकार करते हैं। ज्यादातर लोग पूजन में जो सामग्री बच जाती है उसे अगले ही
दिन पानी में प्रवाहित कर देते हैं। लेकिन इस बात को शायद कम ही लोग जानते होंगे कि बची हुई पूजन सामग्री
से भी हम अपने सुख-समृद्धि और वैभव को पा सकते हैं।
दीपावली, गणेशोत्सव या नवरात्र किसी भी देवी-देवता की पूजा के समय जो सामग्री हम अपनी थाली में सजाते हैं,
वह शेष रूप में बच ही जाती है। ऐसे में अधिकांश लोग उसे विसर्जित कर देते हैं लेकिन ज्योतिषाचार्यों और
विद्वानों के मतानुसार उस सामग्री को फेंकें नहीं बल्कि अपने घर, अलमारी, पूजा स्थल और पॉकेट आदि में
सालभर तक रखने से घर में बरकत व सुख-समृद्धि में लाभ मिलता है।
पूजन संपन्न होने के बाद जो अक्षत थाली में शेष रह जाएं उन्हें घर में रखे गेहूं-चावल आदि में मिला दें। इससे
घर हमेशा धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा। माता का चुन्नी चुनरी को अपने घर की अलमारी में कपड़ों के साथ रखें
ताकि माता के आशीर्वाद से हम नित नए परिधान पहन सकें और माता की कृपा हम पर बनी रहे। पूजा के बाद
जो बिंदी-मेहंदी रह जाती है उसे कुंवारी लड़कियों और विवाहित स्त्रियों को लगाना चाहिए। माना जाता है कि इससे
कुंवारियों को योग्य वर और विवाहिताओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
नारियल:- इसे फोड़कर उसका प्रसाद बांट दें। यदि ऐसा नहीं करना है तो हवन में पूरा नारियल होम दें अन्यथा उसे
लाल या सफेद कपड़े में बांधकर पूजा वाले स्थान पर रखें। पूजन से बचे हुए रक्षा सूत्र को घर की अलमारी या
दुकान की तिजोरी पर बांध सकते हैं।
पुष्प-हार:- इन्हें फेंके नहीं बल्कि घर के मुख्य दरवाजे पर बांध दें। पुष्प हार जब पूरी तरह मुरझा जाएं तो गमले
या बगीचे में इन्हें फैला दें। ये नए पौधे के रूप में आपके साथ रहेंगे। किसी भी देवी-देवता का पूजन बिना कुमकुम
के अधूरा माना जाता है। पूजन के बाद बचे हुए कुमकुम को महिलाएं अपनी मांग में लगाएं, इससे अखंड सौभाग्य
की प्राप्ति होती है। घर में जब भी कोई नई वस्तु की खरीदारी हो, तब उसका पूजन इसी कुमकुम से करने पर
धन-वैभव में वृद्धि की मान्यता है।
गोल सुपारी-जनेऊ:- पूजन शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा की जाती है। प्रतीकात्मक रूप से हम
गणेशजी की स्थापना करते हैं। पान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर गोल सुपारी रखकर जनेऊ पहनाते हैं।
पूजन के बाद इन्हें लाल कपड़े में बांधकर रखें ताकि धन की बरकत बनी रहे।