राजीव गोयल
देश में दोबारा कोरोना संक्रमण का का प्रकोप बढ़ रहा है, खासकर महाराष्ट्र व केरल राज्य में।महाराष्ट्र में तीन
महीने बाद पहली बार शुक्रवार को कोविड-19 के 6,000 नए मामले आए जिससे महामारी की स्थिति बिगड़ने
का संकेत मिलता है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार राज्य में संक्रमण के 6112 नए
मामलों में अधिकतर अकोला, पुणे और मुंबई खंड से आए हैं। इससे पहले राज्य में 30 अक्टूबर को एक दिन
में 6,000 से ज्यादा मामले आए थे और उसके बाद मामलों की संख्या घटने लगी थी.संक्रमण के नए मामलों
के साथ संक्रमितों की संख्या 20,87,632 हो गई जबकि 44 और लोगों की मौत होने से मृतक संख्या
51,713 हो गई. इन 44 मौतों में 19 लोगों की मौत पिछले 48 घंटे में हुई, 10 की मौत पिछले सप्ताह
हुई जबकि 15 की मौत उससे पहले हुई थी। मुंबई शहर और आसपास के इलाकों से संक्रमण के सबसे ज्यादा
मामले आ रहे थे. लेकिन, 12 फरवरी के बाद से अकोला, अमरावती में संक्रमण के मामलों में तेज वृद्धि हुई
है।
अकोला खंड में 12 फरवरी को संक्रमितों की संख्या 76,207 थी जो शुक्रवार को बढ़कर 82,904 हो गई।
अकोला खंड में अकोला, अमरावती और यवतमाल जिले शामिल हैं। इससे पहले दिन में राज्य सरकार ने कहा
कि ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाये गये कोरोना वायरस के नये स्वरूप का कोई मामला महाराष्ट्र
के अमरावती और यवतमाल जिलों में सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पश्चिमी महाराष्ट्र के
पुणे, सतारा जिले और विदर्भ क्षेत्र के अमरावती और यवतमाल जिलों में कोरोना वायरस के नये मामले बढ़ने
के मद्देनजर इन इलाकों से लिये गये वायरस के नमूनों की ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ की गई। राज्य में अस्पतालों
से 2159 लोगों को छुट्टी मिलने के साथ अब तक 19,89,963 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. राज्य में 44,765
उपचाराधीन मरीज हैं।
वहीं, मुंबई में दिसंबर के बाद से कोविड-19 के सबसे ज्यादा 823 मामले आए हैं। बृहन्मुंबई महानगरपालिका
के अनुसार मुंबई में संक्रमितों की संख्या 3,17,310 हो गई जबकि पांच और लोगों की मौत हो जाने से
मृतक संख्या 11,435 हो गई। पिछले 24 घंटे के दौरान 440 मरीजों को छुट्टी दे दी गयी। शहर में 6577
मरीजों का उपचार चल रहा है।महानगर पालिका के अनुसार शुक्रवार को शहर में 18,366 नमूनों की जांच की
गई। अब तक कुल 30,98,894 जांच की गई है।
इस समय नागपुर में स्थिति एक बार फिर खराब हो रही है। इस बीच महाराष्ट्र के मंत्रियों और नेताओं को भी
कोरोना वायरस संक्रमण हो गया है। इनमें कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो दोबारा कोरोना वायरस की चपेट में आए
हैं। महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के क्षेत्रों में भी पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में
लगातार तेजी देखने को मिल रही है। देश में कोरोना से बचाव का सबसे प्रमाणिक तरीका है कि टीकाकरण
जल्द रफ़्तार पकडे। इस समय तक देश में कोरोना की पुष्टि 10977387 वाले पीड़ित हैं, जिनका इलाज चल
रहा है उनकी संख्या 143127, इनमे से ठीक हो चुके की संख्या 10678048 है, मृत लोग156212।
बढ़ते केसो के कारण देश में जल्द वेक्सिन लगे इसकी जरुरत है।निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार सबसे पहले
कोविड 19 वैक्सीन हेल्थकेयर कर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगो को दी जा
रही है। सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल को मिलकर इनकी संख्या 80 लाख से एक करोड़ बताई जा रही
है। इनके बाद क़रीब दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स यानी राज्य पुलिसकर्मियों, पैरामिलिटरी फ़ोर्सेस, फ़ौज,
सैनिटाइजेशन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। इसके बाद नंबर लगेगा 50 वर्ष से ऊपर के लोगों का। भारत में
पचास वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 27 करोड़ के लगभग है। स्वास्थ्य कर्मियों व सेवा कर्मियों के
बाद कोरोना वरीयता में ये बुजुर्ग लोग ही आते हैं। अभी तक केवल चिकित्सा व अन्य सेवा कर्मियों को ही
कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। यह कार्य पिछले महीने से ही शुरू हो चुका है। सवाल पैदा हो रहा है कि इन
लोगों को वैक्सीन लगाने का तरीका क्या हो? क्या केवल सरकारी चिकित्सा कर्मी ही यह काम कर सकते हैं?
भारत जैसे विशाल देश में यह संभव नहीं है। इसके साथ यह भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि वैक्सीन का वितरण
सरकारी खर्चे पर होगा अथवा इस कार्य में निजी क्षेत्र की भागीदारी भी होगी। भारत को टीकाकरण का शानदार
अनुभव है। इस कार्य में सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की भागीदारी का अनुभव भी अच्छा-खासा है। विश्व का सबसे
बड़ा पोलियो टीकाकरण अभियान इसी आधार पर पूरा किया गया था। इसके अलावा अन्य टीकाकरण अभियान
भी चलते रहे हैं। अतः कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान भी हम इसी तर्ज पर शुरू कर सकते हैं। फैसला
केवल यह करना है कि समाज के किस आय वर्ग के लोगों को सरकार बिना किसी खर्चे या न्यूनतम खर्चे पर
वैक्सीन उपलब्ध करायेगी और किस वर्ग के लोगों को अपने खर्चे से लगवाने की इजाजत देगी। इसके लिए
जरूरी होगा कि सरकार वैक्सीन की किफायती कीमत तय करे और निजी क्षेत्र को इस कार्य में शामिल करके
जल्दी से जल्दी लोगों को टीका लगाये। इसके साथ ही इस कार्यक्रम को व्यावहारिक रूप से सफल बनाने हेतु
‘कोविड एप’ पर खुद को पंजीकृत कराने के लिए लोगों को प्रेरित करे जिससे टीका प्राप्त लोगों की गणना
आसानी से हो सके। निजी चिकित्सा क्षेत्र का तन्त्र भारत में बहुत बड़ा है। खास कर शहरी व अर्ध शहरी क्षेत्रों
में अस्पतालों व अन्य चिकित्सा सेवाओं का अच्छा खासा ढांचा तैयार हो चुका है। कोरोना टीकाकरण में इसका
इस्तेमाल सुविधापूर्वक किया जा सकता है शर्त केवल यह है कि निजी क्षेत्र के लिए कोरोना टीके की फीस
सरकार तय कर दे जिससे यह लाभार्थियों को घोषित फीस पर ही टीका लगाये। इसका सीधा लाभ यह होगा कि
टीका लगवाने के लिए लोग स्वयं आगे आयेंगे और उन्हें इसे लगवाने के लिए मुश्किलें भी नहीं झेलनी होंगी।
ऐसा करके सरकारी खर्चे में भी बचत होगी। अभी तक भारत में केवल .6 प्रतिशत लोगों को ही कोरोना टीका
लग सका है जबकि अमेरिका में 23 प्रतिशत लोगों को लगाया जा चुका है। भारत जब कोरोना टीकों का
निर्यात दूसरे देशों को कर रहा है तो अपने देश में वह लोगों तक इसे पहुंचाने में आल्सय कैसे दिखा सकता है
जबकि मुम्बई व महाराष्ट्र के अन्य शहरों में संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने की तरफ जा रहे हैं। इसके साथ
ही कोरोना वेरियंट व स्टेंस के कुछ मामले भी भारत में पाये गये हैं। वेरियंट कोरोना से भी ज्यादा रफ्तार से
फैलता है। इसकी काट भी सिर्फ टीका है। अतः अब टीका लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया जाना
चाहिए और कोरोना के दूसरे आक्रमण के डर से निजात पाई जानी चाहिए। यह कार्य मार्च महीने तक निपट
जाये तो बहुत बेहतर होगा जिससे नये वित्त वर्ष की शुरूआत भयमुक्त माहौल में हो।