कांग्रेस पार्टी त्याग कर भारतीय जनता पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले
दिनों दिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा व अन्य भाजपा नेताओं तथा मीडिया के समक्ष
अपना जो संक्षिप्त संबोधन किया उसमें जहाँ उन्होंने अनेक बातें कहीं वहीँ यह भी कहा कि ,आज मैं सौभाग्यशाली
समझता हूं कि नड़्डा जी ने, प्रधानमंत्री जी ने और अमित शाह जी ने मुझे वो मंच प्रदान किया जिससे मैं जनसेवा
पर आगे बढ़ पाऊंगा।" सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विषय में कहा, ‘मैं मानता हूं कि भारत का भविष्य पूर्ण
रूप से उनके हाथों में सुरक्षित है"। ज़ाहिर है सिंधिया 'भारत के भविष्य' के साथ साथ अपने भी राजनैतिक भविष्य
का गुणा भाग लगाने व लगभग एक वर्ष से 'खिचड़ी पकाने' के बाद ही भाजपा परिवार में शामिल हुए हैं लिहाज़ा
उनका प्रधाननमंत्री की शान में इस तरह के उद्गार व्यक्त करना स्वाभाविक भी है और वक़्त का तक़ाज़ा भी। वैसे
भी व्यक्ति केंद्रित आज की राजनीति में वह दौर नहीं रह गया जबकि आप किसी दल के मुखिया की आलोचना कर
या उसकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर उसी पार्टी में रह सकें। इसके बजाए अब इस बात में प्रतिस्पर्धा मची
दिखाई देती है कि अपने नेता या पार्टी मुखिया को कौन कितनी तेज़ी से और कितना ज़्यादा प्रसन्न रख सकता है।
ज़ाहिर है इसके लिए क़सीदा पढ़ने के लिए शब्दकोष का ख़ज़ाना भी ख़ाली करना पड़ता है। परन्तु इस तरह की नई
नवेली 'क़सीदा ख़्वानी' से एक उत्सुकता यह तो होती ही है कि आख़िर अचानक आस्था का यह परिवर्तन हुआ कैसे
और नैतिकता के पैमाने पर आख़िर इस आस्था परिवर्तन के मायने क्या हैं। क्या वजह थी कि कल तक जो दल,जो
नेता,जिस पार्टी की विचारधारा सब कुछ उल्टी व नकारात्मक नज़र आती थी आज उसी दल व उसी दल के नेताओं
में देश का भविष्य पूर्ण रूप से सुरक्षित नज़र आने लगा?
आइये देखते हैं भारतीय जनता पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण करने से पहले यही ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा व नरेंद्र
मोदी के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया करते थे। प्रधानमंत्री 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाक
प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के एक पारिवारिक विवाह समारोह में शिरकत करने अचानक पाकिस्तान पहुँच गए थे उस
दौरान 16 मार्च 2016 को सिंधिया ने कहा था – प्रधानमंत्री एक विदेशी शादी में गए,किसी को बताए बिना। और
आज हमें पठानकोट का सामना करना पड़ रहा है। अगर देश की जनता को आप विश्वास में लोगे, विपक्षी पार्टियों
को आप विश्वास में लोगे और उन्हें बताओगे कि द्विपक्षीय वार्ता में किन मुद्दों पर चर्चा हुई तो इसका फ़ायदा
होगा । पर सावधानी आपने छोड़ी, तो इसका खामियाज़ा देश और हमारे जवानों को भुगतना पड़ रहा है सिंधिया
द्वारा प्रधानमंत्री पर लगाए जाने वाले इन गंभीर आरोपों की संवेदनशीलता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इसी
प्रकार 6 फ़रवरी 2017 को सिंधिया ने मोदी पर इन शब्दों में कटाक्ष किया था -सरकार ने काम क्या किया, ये
पता नहीं। पर मोदी जी ने ढाई साल में पूरी दुनिया ज़रूर घूम ली है। वे 40-50 देशों की यात्रा कर आये हैं। पर
देश उनसे पूछना चाहता है कि अब तक इन यात्राओं का नतीजा क्या निकला। देश के लोगों को इससे क्या फ़ायदा
मिला। आज जिस प्रधानमंत्री के हाथों सिंधिया को देश का भविष्य पूर्ण रूप से सुरक्षित नज़र आता है उन्हीं के
विषय में 1 जनवरी 2018 को सिंधिया ने फ़रमाया था कि जिन्होंने बयान दिया था कि वे मुँह तोड़ जवाब देंगे,
आज ये लोग चुप्पी क्यों साधे हुए हैं, एक भी बयान प्रधानमंत्री की तरफ़ से नहीं आया, जबकि हमारे जवान शहीद
हुए हैं। 7 जून 2018 को एक जनसभा में नोटबंदी पर कटाक्ष करते हुए सिंधिया ने कहा था कि दिल्ली में बैठे
हुए हैं प्रधानमंत्री मोदी जो देश में नोटबंदी कर रहे हैं। और मध्य प्रदेश में बैठे हुए हैं उनके छोटे भाई, मेरे
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जो मंदसौर में किसान बंदी कर रहे हैं। और मैं माँग करता हूं कि जिस व्यक्ति ने नोटबंदी
की, जिस व्यक्ति ने किसान बंदी की, उन दोनों से नवंबर के महीने में आप लोग वोट बंदी करके बदला लेना।
और अब देखिये सिंधिया का मोदी पर वह हमला जो 18 मार्च 2018 को कांग्रेस अधिवेशन में तालकटोरा
स्टेडियम में बोला गया था। -'ये है मोदी जी का न्यू इंडिया। जिस संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताया जाता है,
उसमें हिटलरशाही लागू करके लोगों की आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है। मैं मोदी जी और उनकी सरकार
को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी का एक-एक सांसद और कार्यकर्ता,ना कभी झुका है और ना कभी झुकेगा। चाहे
गर्दन कट जाए, पर हम झुकेंगे नहीं, ये एक संदेश हम इस अधिवेशन से देना चाहते हैं। बाबा साहेब भीम राव
अंबेडकर ने कहा था कि पाँच ऊंगली रहेंगी तो बिखर जाएँगी। पर ये मुट्ठी बन जाएँ तो देश का उत्थान, देश का
विकास सुनिश्चित हो पाएगा। तो हमें मुट्ठी बनकर इस भाजपा का सामना करना होगा। इसी तरह 15 अप्रैल
2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि-'पाँच साल पहले एक आदमी आया था आपके
सामने वोट बंटोरने, किसान के नाम पर, नौजवान के नाम पर, राष्ट्र के नाम पर। पाँच साल से उस शख़्स का
चेहरा नहीं दिखा। और जब दोबारा वोट माँगने की घड़ी आ गई, तो वो फिर आने वाला है आपके सामने। याद
रखिएगा कि पाँच साल में वे आपके सामने तो नहीं आए, लेकिन 84 देशों का दौरा किया। उन्होंने अपने लोगों को
गले नहीं लगाया, पर विदेशी नेताओं को झप्पी देते दिखे। किसानों का क्या हाल कर दिया इन्होंने। पर प्रधानमंत्री
के पास अपने लोगों के लिए समय नहीं है। उनके पास पाकिस्तान में जाकर बिरयानी खाने का समय है। चीन के
राष्ट्रपति को घुमाने का समय उन्हें मिल जाता है। मोदी ने नौजवानों से तो कहा था कि हम लाएंगे अवसरों का
भंडार, पर लेकर आए पान और पकौड़े वाली सरकार। अब इसे अवसरवादिता की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहा
जाए कि अब सिंधिया को उसी 'पान और पकौड़े वाली सरकार में देश पूर्ण रूप से सुरक्षित नज़र आ रहा है?
इसी प्रकार नवज्योत सिंह सिद्धू जो कि अपने भाषणों से लोगों को आकर्षित भी करते हैं वे भाजपा में रहकर जिन
शब्दों व वाक्यों से कांग्रेस व उसके नेतृत्व को कोसा करते थे कांग्रेस में आने के बाद उन्हीं शब्दों का प्रयोग वे
भाजपा व उसके नेतृत्व के लिए करने लगे। और आगे भी पता नहीं कि वही सिद्धू किसी नए अवतार में वही बातें
किसी और के लिए करते नज़र आएं। मध्य प्रदेश की नेता उमा भारती के विचार तो देश देख ही चुका है कि किस
प्रकार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कभी तो 'विकास पुरुष' बताया तो पार्टी छोड़ने पर वही मोदी उन्हें 'विनाश
पुरुष' नज़र आने लगे? ऐसे नेता हर दलों में मौजूद हैं। शायद ऐसे ही मौक़ापरस्तों को सीख देने के लिए मशहूर
शायर बशीर बद्र ने फ़रमाया है कि- दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे-जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो
शर्मिंदा न हों।