दिल दहला देने वाली है बल्लभगढ़ की घटना, क्या यही है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ?

asiakhabar.com | November 5, 2020 | 4:57 pm IST

राजीव गोयल

हरियाणा के बल्लभगढ़ में घटित घटना पर पर ओछी राजनीति की जा रही है। वोट बैंक के लिए समाज को बांटने
वाली राजनीति करने वाले चंद राजनेता व अन्य तथाकथित बुद्धिजीवी लोग हमारे समाज को बेहद चालाकी के
साथ हिंदू, मुस्लिम, अगड़े-पिछड़े, शहर-गांव, अमीर-गरीब में विभाजित करके, अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए
बेहद ज्वंलत मुद्दों पर भी समाज को बांटने का कार्य कर रहे हैं। अफसोस व चिंताजनक बात यह है कि हमारे देश
की नौकरशाही में बैठे बहुत सारे लोग भी उसी उपरोक्त आधार पर कार्य करके लोगों से भेदभाव करते हैं और आम
लोगों के अधिकारों का हनन करते हैं। इस तरह की कार्यशैली से हमारा सिस्टम व व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हो
जाती है और किसी भी क्षेत्र में आशानुरूप सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है। जिन लोगों, बुद्धिजीवियों राजनेताओं व
नौकरशाहों पर ‘सबका साथ सबका विकास’ करने की जिम्मेदारी है उसमें से अधिकतर अपनी सीमित सोच के
चलते, भेदभाव वाले रवैये के चलते वोट बैंक के अनुसार कार्य करने में विश्वास रखते हैं, जो स्थिति देश व समाज
हित में बिल्कुल भी ठीक नहीं है। देश में इस तरह की यह हालात हमारे सभ्य समाज के अस्तित्व के लिए एक

बहुत बड़ा खतरा बन रहे हैं, इस सोच के चलते देश में अपराध व भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुंच गया है। इंसान
का तेजी से पतन हो रहा है, इंसानियत व मानवीय संवेदनाओं की आये दिन सरेआम सड़कों पर हत्या हो रही है।
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जिस तरह से देश की राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के जनपद फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में 26 अक्तूबर
सोमवार की शाम को बी.कॉम फाइनल ईयर की एक छात्रा की सिरफिरे युवक तौसीफ ने गोली मारकर हत्या कर दी
थी, वह समाज को भयभीत करने वाला अक्षम्य अपराध है। पुलिस सूत्रों के अनुसार यह घटना एकतरफा प्यार के
चक्कर में घटित हुई है। जिस तरह से सरेआम दिनदहाड़े बल्लभगढ़ के अग्रवाल कॉलेज से परीक्षा देकर अपनी
सहेली के साथ निकली छात्रा को कॉलेज के पास ही एक आई-20 कार में सवार एक दुस्साहसी युवक ने अपने
साथी के साथ जबरदस्ती खींचकर जबरन गाड़ी में बैठाने की कोशिश की थी, वह देश में महिलाओं की सुरक्षा की
स्थिति को दर्शाती है, लेकिन छात्रा को कार में बैठाने से नाकाम रहने पर नाराज होकर तौसीफ नामक युवक ने
उसे गोली मार दी थी और अपराधी घटना को अंजाम देकर तमाशबीन बनी कायर भीड़ के चलते बेखौफ होकर
घटनास्थल से अपने साथी रेहान के साथ कार लेकर मौके से फरार हो गया था। इसके बाद छात्रा को तुरंत इलाज
के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। जिसके बाद से क्षेत्र
में बेहद तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। हालांकि फरीदाबाद के पुलिस-प्रशासन के लिए राहत की बहुत बड़ी बात यह
रही कि पूरी घटना स्पष्ट रूप से घटनास्थल के पास में लगे एक सीसीटीवी के कैमरे में कैद हो गई थी, जिसके
आधार पर ही पुलिस ने तत्काल बेहद तत्परता दिखाते हुए हत्यारोपी तौसीफ व उसके सहयोगी रेहान को गिरफ्तार
करके जेल भेज दिया और बाद में हत्यारोपी तौसीफ को अवैध हथियार उपलब्ध करवाने वाले बदमाश अजरु को भी
गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। जिसके बाद अब हालात सामान्य हैं और प्रशासन के नियंत्रण में हैं।
लेकिन इस घटना के बाद हम सभी लोगों के लिए निष्पक्ष रूप से और शांतचित्त मन से विचारणीय बात यह है कि
हाल ही में महिलाओं के खिलाफ अलग-अलग प्रदेशों में घटित अपराध की घटनाओं पर देश में जमकर आरोप-
प्रत्यारोप की राजनीति हुई थी। उत्तर प्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ की हाल ही में घटित महिलाओं के प्रति
घटनाओं पर देश के कुछ दिग्गज पत्रकारों, कुछ बुद्धिजीवियों, कुछ समाजसेवियों व बहुत सारे राजनेताओं ने
जमकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति की थी, कई दिनों तक न्यूज चैनल, समाचारपत्र, सोशल मीडिया व सड़कों
पर जमकर हंगामा बरपाया था। लेकिन राजनीति करने वाले इन सभी लोगों के साथ पक्ष व विपक्ष के अधिकांश
राजनेताओं की अचानक बल्लभगढ़ की घटना पर बोलती क्यों बंद हो गयी है। हर मुद्दे का राजनीतिकरण करके
राजनीति करने के शौकीन हमारे देश के बहुत सारे लोग व राजनेता इस घटना से बिल्कुल अंजान बनने का नाटक
आखिर क्यों कर रहे हैं। स्थिति को देखकर लगता है कि इन सभी लोगों के लिए इंसान की जान व इंसानियत की
रक्षा से ज्यादा अपने आकाओं के दिशानिर्देश, वोट बैंक व अपनी राज्य सरकार की छवि बेहद महत्वपूर्ण है। जिसके
चलते यह सभी लोग, पक्ष व विपक्ष के अधिकांश राजनेता बल्लभगढ़ की घटना पर आँख बंद करके चुपचाप बैठ
गये हैं। हाथरस कांड व राजस्थान कांड पर आये दिन जमकर बवाल करने वाले राजनेताओं के द्वारा बल्लभगढ़ की
घटना में शामिल अपराधियों को सख्त सजा देने की मुहिम सोशल मीडिया में चलाने व पीड़ित परिवार के लिए
संवेदना तक व्यक्त करने के लिए एक ट्वीट करने तक समय नहीं है। स्थिति देखकर लगता है कि वोट बैंक व
किसी अज्ञात भय में उन लोगों के हाथ एक ट्वीट तक करने में कांप रहे है।


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