तालिबान की ताकत

asiakhabar.com | August 26, 2021 | 5:23 pm IST
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-सिद्वार्थ शंकर-
अफगानिस्तान में अचानक से तालिबान का जो रूप सामने आया है, उसे लेकर ढेरों सवाल हैं। कोई कह रहा है कि
अमेरिका ने इस देश से जाने में जल्दबाजी की और तालिबान का सफाया करने के नाम पर झूठ बोलता रहा। कोई
तर्क दे रहा है कि अशरफ गनी ने देश को अंधेरे में रखा और तालिबान को रास्ता दिया, कोई कह रहा है कि सेना
ने बिना लड़े हथियार डाल दिए। यह ऐसे सवाल हैं, जो लंबे समय तक बहस का विषय बने रहेंगे, मगर अभी जो
समस्या है, वह अफगानिस्तान समेत दूसरे देशों के लिए मुसीबत बनती जा रही है।मुसीबत ऐसे कि आज
तालिबान के पास न सिर्फ हथियार हैं, बल्कि आधुनिक तकनीकी से लैस संसाधन भी। जो हथियार एक समय सेना
के पास होते थे, वह आज आतंकियों के हाथ में है। ये सारे हथियार आतंकियों को किसी ने दिए नहीं, बल्कि
अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हैं। इन हथियारों का प्रयोग करना अफगान की सेना को था, मगर वह तो भाग खड़ी
हुई है।
जाहिर है कि अफगानिस्तान पर नियंत्रण बनाने के बाद तालिबान के हाथ लगे अमेरिकी सैन्य साजोसामान इस
आतंकी संगठन को पहले से ज्यादा घातक बना देंगे। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों से लेकर सांसदों तक ने चिंता
जताई है कि तालिबान अब अफगानिस्तान की सेना को अमेरिका की तरफ से मिले घातक विमानों और हथियारों से
लेकर रात को हमला करने में मददगार तकनीक तक से लैस हो गया है। महज एक महीना पहले ही अफगानिस्तान
के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर अमेरिका से काबुल पहुंचे 7 नए हेलिकॉप्टरों की तस्वीर साझा की थी। इसके
कुछ दिन बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने मीडिया से पेंटागन में कहा था कि हम इस तरह का सहयोग
जारी रखेंगे। इसके महज कुछ सप्ताह बाद ही तालिबान ने न केवल तकरीबन पूरे मुल्क पर कब्जा कर लिया है
बल्कि भागते समय अफगान सेना की तरफ से छोड़े गए हथियार और उपकरण भी उसके हाथ लग गए हैं।
अफगान सेना के छोड़े गए वाहनों की लंबी कतार और नए हथियारों की खुली पेटियां, संचार उपकरणों और यहां
तक कि सैन्य ड्रोनों की कतार का निरीक्षण करते तालिबान आतंकियों की वीडियो जमकर वायरल हो रही हैं। इन

वीडियो की तरफ इशारा करते हुए एक वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने बिना नाम बताए कहा, जो भी नष्ट नहीं
हुआ है, वो अब तालिबान का है। मौजूदा और पूर्व अमेरिकी अधिकारियों को अब यह चिंता है कि तालिबान के
कब्जे में आए घातक हथियार आम नागरिकों की हत्या में काम आ सकते हैं। यहां तक कि वे आईएसआईएस जैसे
दूसरे आतंकी संगठनों तक पहुंच सकते हैं, जो क्षेत्र में अन्य जगह अमेरिका के ही खिलाफ उनका इस्तेमाल कर
सकते हैं। यहां तक कि आतंकी संगठनों से इन हथियारों चीन व रूस समेत अमेरिका के सभी विरोधियों के हाथ
उसकी तकनीक लग सकती है। अमेरिकी सेना के मौजूदा खुफिया आकलन के मुताबिक, यूएस हमवी समेत 2000
सैन्य वाहन तालिबान के हाथ लगे हैं। कई घातक यूएच-60 ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर समेत 40 विमान उनके कब्जे में
हैं, जिनमें स्काउट अटैक हेलिकॉप्टर और स्कैन ईगल मिलिट्री ड्रोन भी है। ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर अफगान सेना को
तालिबान पर बहुत बड़ी सामरिक बढ़त दिलाता था, लेकिन उसका अफगान सेना सही इस्तेमाल ही नहीं कर सकी।
अमेरिका ने 2002 से 2017 के बीच अफगान सेना को 28 अरब डॉलर के हथियार दिए हैं, जिनमें बंदूक, रॉकेट,
नाइट विजन गॉगल्स और खुफिया जानकारी जुटाने वाले छोटे ड्रोन शामिल हैं। यूएस गवर्नमेंट अकाउंटिबिल्टी
ऑफिस के मुताबिक, 2003 से 2016 के बीच अफगान सेना को 208 विमान व हेलिकॉप्टर दिए गए। इनमें से 40
से 50 विमान अफगान पायलट तालिबान हमले के दौरान उज्बेकिस्तान लेकर भागने में सफल रहे। अमेरिकी
अधिकारियों का कहना है कि काबुल पर हमले से एक सप्ताह पहले ही तालिबान ने योजना बनाकर अफगान
पायलटों की हत्या करने का अभियान शुरू कर दिया था। सबसे ज्यादा चिंता तालिबान के हाथ लगे नाइट-विजन
गॉगल्स और कम्युनिकेशंस उपकरण हैं। रात को लडऩे की क्षमता असली गेमचेंजर साबित हो सकती है। अमेरिका
ने अफगान सेना को 2003 से 16000 नाइट-विजन गॉगल्स और 162,000 संचार उपकरण दिए थे। अब इनमें से
अधिकतर तालिबान के कब्जे में हैं। अमेरिका की तरफ से अफगान बलों को दिए गए 6 लाख इंफेंट्री हथियार,
जिनमें घातक एम16 असॉल्ट राइफल भी शामिल है, अब तालिबान के कब्जे में हैं। अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञ इस
बात से हैरान हैं कि उनकी सेना ने 2014 में इराक में की गई गलती से सबक नहीं लिया, जहां आईएसआईएस के
आतंकियों ने अमेरिकी सेना से इराकी बलों को मिले हथियार अपने कब्जे में ले लिए थे।


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