डॉ. बाबासाहब अंबेडकर

asiakhabar.com | April 13, 2023 | 11:09 am IST
View Details

अशोक कुमार यादव मुंगेली
मन-ही-मन सोच रहा नन्हा भीम,
भेदभाव, छुआ-छूत क्यों हावी है?
कुआँ से पानी पी नहीं सकते हम,
मानव-ही-मानव पर कुप्रभावी है।।
मुक बधिर बनकर जीना पड़ रहा है,
शिक्षा ग्रहण करना क्यों मनाही है?
जिंदगी बीत रही है कुंठा,अवसाद में,
मैं भुक्तभोगी, रोम-रोम अनुभवी है।।
सामाजिक कुरीतियाँ देख संकल्पित,
चुनौतियों का सामना कर आगे बढूँगा।
छठा प्रहर तक विद्या ग्रहण करना है,
दुनिया की सारी ज्ञान पुस्तकें पढूँगा।।
लिखूँगा एक दिन भारत का संविधान,
सबको स्वतंत्रता और अधिकार मिलेगा।
एकता,अखंडता और भाईचारे का संदेश,
समानता का सुवासित कुसुम खिलेगा।।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *