डेंगू के डंक से बीमार है पटना, आखिर इसका कैसे होगा समाधान

asiakhabar.com | October 19, 2019 | 5:29 pm IST
View Details

अर्पित गुप्ता

आखिर बिहार को क्या हो गया है? अपने ही आंगन में अपने लाल दम तोड़ रहे हैं और सरकार चाहकर
भी कुछ नहीं कर पा रही है। पटना में जलजमाव के बाद से डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया जैसी कई
बीमारियों का भयंकर प्रकोप से पटना की जनता जूझ रही है। अब तक डेंगू से पटना में हजारों लोग
पीड़ित हैं, तो कईयों की अब तक मौत हो चुकी है। डेंगू से पटना में हो रही मौत का आखिर कौन है
गुनहगार, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। पटना का पीएमसीएच अपने आप में सबसे बड़ा अस्पताल
माना जाता है। इसे विश्व स्तरीय 5000 बेडों वाला अस्पताल बनाने के लिए सरकार ने प्रयास शुरु कर
दिया है। मगर अफसोस कि इस अस्पताल में डेंगू से पीड़ित मरीजों के लिए तात्कालिक इलाज के लिए
जरुरी दवाएं उपलब्ध नहीं है। बिना मच्छरदानी के मरीज बिस्तरों पर हैं तो उससे कई गुणा ज्यादा मरीज
अस्पताल के फर्श पर अपना इलाज कराने को विवश हैं। इतना ही नहीं अपने मरीजों का इलाज कराने
आए कई परिजन भी डेंगू के शिकार हो रहे हैं।
प्लेटलेस के लिए मरीजों के परिजन लगा रहे हैं दौड़
डेंगू होने के बाद मरीजों का ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगता है और अगर समय पर प्लेटलेट्स की
कमी को नहीं रोका जा सकेगा तो मरीजों की मृत्यु तक होती है। मरीजों के प्लेटलेस की जरुरत को पूरा
करने के लिए उनके परिजन ब्लड बैंक की दौड़ लगाते रहते हैं। 6 से 8 घंटे तक बल्ड बैंक का चक्कर
लगाना पड़ रहा है और आपकी पैरवी पहुंच है तो तब कहीं आपको प्लेटलेस मिल पा रहा है। इस
दरम्यान कई बार मरीज दम तक तोड़ दे रहे हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री पिछले 15 दिनों से दावा कर
रहे हैं कि स्वास्थ्य तंत्र किसी भी बीमारी से निपटने को तैयार है लेकिन डेंगू के मरीजों की दिन पर दिन
बढ़ती संख्या और हो रही मौतों ने उनके दावे पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। आखिर जनता यह
जानना चाहती है कि बीमारी के बाद ही इलाज क्यों और वह भी मृत्यु के इंतजार तक क्यों ? स्वास्थ्य
मंत्री स्वास्थ्य भवनों के उद्घाटन एवं लोकार्पण के कार्यक्रम में अपने मुस्कुराते चेहरे से अपने स्वस्थ्य
होने का प्रमाण दे रहे हैं या राज्य के स्वास्थ्य तंत्र के खोखले और बाहरी चमकते आवरण का। मुफ्त

दवा की सुविधा शायद राज्य के अस्पतालों में चलायी जा रही है तो फिर मरीज दवा के पूर्जे लेकर दवा
दुकानों पर क्यों खड़े हैं। जब डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया एवं अन्य बीमारियों की जांच की सुविधा
सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है तो बाहर के जांच लैब में क्यों भीड़ है?
राज्य सरकार से हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने राज्य की नीतीश सरकार से बाढ़ से बेहाल हुए पटना में स्वच्छता कार्य करने और
राज्य में तेजी से फैल रहे डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का विवरण मांगा है।
ज्ञात हो कि 27 से 30 सितंबर तक हुई मूसलाधार बारिश से सितंबर के आखिरी सप्ताह से अक्टूबर के
प्रथम सप्ताह तक जलजमाव की स्थिति से पूरे पटना में तबाही का मंजर था। साथ ही बिहार के 15
जिलों में बाढ़ की स्थिति हो गई थी। सरकार के प्रयासों के बावजूद बारिश के बाद पैदा हुए बाढ़ के
हालात से लोग अबतक पूरी तरह नहीं उबर पाए हैं। गंदे पानी के जमाव के बीच डेंगू जैसी बीमारी फैलने
लगी और लोग इस बीमारी से बुरी तरह से प्रभावित हो गए हैं।
पटना में कई राजनेता भी डेंगू से पीड़ित
पटना में डेंगू से केवल आम जनता ही चपेट में नहीं आयी है बल्कि नेताओं को भी डेंगू ने डंक मारकर
पटना की त्रासदी का एहसास करा दिया है। पटना के बांकीपुर के विधायक नितिन नवीन, दीघा के
विधायक संजीव चौरसिया डेंगू के शिकार हुए हैं वहीं कुम्हरार के विधायक अरुण सिन्हा भी तेज बुखार के
शिकार हो गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, 30-40 फीसदी एडीस मच्छर के लार्वा घरों के अंदर प्रजनन कर
रहे हैं। पिछले चार पांच वर्षों से इस मौसम में डेंगू बीमारी लोगों के दिमाग में इतना भय पैदा कर चुका
है कि लोग मच्छर देखकर घबरा जाते हैं। राज्य सरकार हर वर्ष यह दावा करती है कि डेंगू जैसी बीमारी
से निपटने के लिए राज्य सरकार मुस्तैद है लेकिन हमेशा डेंगू ही जीतता है। एक फिल्म में संवाद में
कहा गया है कि “एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है…”लेकिन फिल्मों से आगे वास्तविक जिंदगी
में एक मच्छर आदमी की सुधि को खोने पर विवश कर दिया है और जानलेवा हो गया है। दिनोंदिन डेंगू
के मरीजों की संख्या पटना में बढ़ती जा रही है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *