-सिद्धार्थ शंकर-
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को केंद्रीय बजट 2022-23 पेश किया। करदाताओं को दो साल में अपने
रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति दी है। राज्य सरकार के कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम में योगदान पर
14 फीसदी टैक्स छूट देने का फैसला किया है। आम बजट में न तो आयकर स्लैब्स बदली गई है और न ही कोई
बड़ी छूट दी गई है। व्यक्तिगत करदाताओं के लिए बुनियादी छूट की सीमा में आखिरी बार बदलाव 2014 में हुआ
था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का पहला बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने करमुक्त
आय की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया था। वरिष्ठ नागरिकों के लिए करमुक्त आय की सीमा
को बढ़ाकर 2.5 लाख से 3 लाख रुपए किया गया था। तब से करमुक्त आय की सीमा नहीं बढ़ी है। वित्त मंत्री
सीतारमण ने 2020 में टैक्स जमा करने का नया विकल्प दिया था। इसमें उन लोगों के लिए टैक्स रेट्स को
घटाया गया था, जो टैक्स में मिलने वाली छूट और राहत का लाभ नहीं उठाना चाहते। यह एक तरह से आयकर का
सरलीकरण था। कमाई के हिसाब से टैक्स तय किया गया था। इसमें निवेश एवं अन्य आवश्यक खर्चों के तहत
टैक्स में मिलने वाली छूट खत्म कर दी गई थी। इससे करदाताओं को दो विकल्प मिल गए। वे पुरानी व्यवस्था में
रहकर छूट प्राप्त कर सकते हैं या नई व्यवस्था में बिना छूट के कर का भुगतान कर सकते हैं। दोनों ही विकल्पों
में 2.5 लाख रुपए तक की आय करमुक्त है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक की आय पर 5 प्रतिशत कर लगता
है। हालांकि, आयकर अधिनियम की 87ए के तहत 12,500 रुपए तक की छूट दी गई है। इसका मतलब है कि
दोनों ही विकल्पों में 5 लाख रुपए तक की आय पर कोई कर नहीं चुकाना पड़ता। नए विकल्प में 5 से 7.5 लाख
रुपए पर 10 फीसदी और 7.5 लाख से 10 लाख रुपए की आय पर 15 फीसदी टैक्स है, जबकि पुराने विकल्प में
5 से 10 लाख रुपए की आय पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। पुराने विकल्प में 10 लाख रुपए से अधिक की आय
पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। नई व्यवस्था में 10 से 12.5 लाख रुपए की आय पर 20 फीसदी और 12.5 लाख
से 15 लाख रुपए पर 25 फीसदी टैक्स है। 15 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।
सेस और सरचार्ज की वजह से प्रभावी टैक्स रेट बढ़ जाता है। बजट में जो बड़ी घोषणा की गई है, वह दो साल में
रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति है। अगर किसी करदाता ने अपनी सालाना आय की घोषणा में कोई गलती की
है तो वह इसे दो साल में सुधार सकता है। इसके लिए उसे अपना रिटर्न अपडेट करना होगा। इससे मुकदमेबाजी
कम होगी। रिटर्न अपडेट करते हुए उन्हें आवश्यक कर का भुगतान करना होगा। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को
नेशनल पेंशन स्कीम में योगदान पर 14 फीसदी तक की टैक्स राहत मिलती है, जबकि राज्य सरकार के
कर्मचारियों को 10 प्रतिशत। इसमें बदलाव करते हुए राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी 14 फीसदी टैक्स राहत
देने का फैसला किया है। इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह एनपीएस
में योगदान पर टैक्स छूट मिलेगी। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 15 फीसदी सरचार्ज लगाया जाएगा। इस समय
यह सिर्फ लिस्टेड शेयर और म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स पर लगता था। अब यह सभी संपत्तियों पर लगेगा।